Maharashtra Assembly Election: 1980 में हिंदीभाषियों ने दिखाया नागपुर में दम, कांग्रेस को चुनौती देने लगी भाजपा

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 4, 2019 09:09 IST2019-09-04T09:09:02+5:302019-09-04T09:09:02+5:30

पूर्व नागपुर से सतीश चतुर्वेदी लगातार जीत दर्ज करने के लिए पहचाने जाते हैं. 1980 के चुनाव में उन्होंने पहली बार जीत दर्ज की. वे युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके थे.

Maharashtra Assembly Election 2019: In 1980, Hindi speakers showed strength in Nagpur, BJP started challenging Congress | Maharashtra Assembly Election: 1980 में हिंदीभाषियों ने दिखाया नागपुर में दम, कांग्रेस को चुनौती देने लगी भाजपा

Maharashtra Assembly Election: 1980 में हिंदीभाषियों ने दिखाया नागपुर में दम, कांग्रेस को चुनौती देने लगी भाजपा

Highlights78 में कांग्रेस की टिकट पर पूर्व नागपुर से जीत दर्ज करने वाले बनवारीलाल पुरोहित (आज तमिलनाडु के राज्यपाल) विदर्भवादी के रूप में पहचाने जाते थे पश्चिम नागपुर इस चुनाव में शहराध्यक्षों के संघर्ष का साक्षी बना.

कमल शर्मा

1978 के विधानसभा चुनाव स्थायी सरकार नहीं दे सके. केवल दो वर्ष में राज्य सरकार को बर्खास्त कर दिया गया. 1980 में पुन: चुनाव हुए जिसने  शहर की राजनीति को नई दिशा दे डाली. 

इस चुनाव में शहर के गैर मराठीभाषियों ने अपना दमखम दिखाया. हालांकि नागपुर कभी मध्य प्रदेश की राजधानी हुआ करता था. लेकिन महाराष्ट्र का हिस्सा बनने के बाद यहां की राजनीति पर मराठी भाषियों का वर्चस्व रहा. 

बहरहाल 1980 के चुनाव में सतीश चतुर्वेदी, बनवारीलाल पुरोहित, गेव आवारी और याकूब कमर विधानसभा पहुंचने में सफल रहे. जिले में कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधे चुनावी संघर्ष और समीकरणों का बदलना भी इसी चुनाव से आरंभ हुआ. नए चेहरों का उदय हुआ जिन्होंने शहर की राजनीति पर गहरा असर डाला. 

उत्तर में खोरिपा का डबल 

अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित इस निर्वाचन क्षेत्र से सूर्यकांत डोंगरे ने खोरिपा को लगातार दूसरी बार कामयाबी दिलाई. 29397 वोट के साथ डोंगरे पुन: विधानसभा पहुंचे.  कांग्रेस ने खोरिपा को पटखनी देने के लिए उम्मीदवार बदला. लेकिन पुष्पचंद बेलेकर भी बालकृष्ण वासनिक की भांति कांग्रेस को जीत नहीं दिला सके. 

पूर्व में सतीश चतुर्वेदी का उदय  

पूर्व नागपुर से सतीश चतुर्वेदी लगातार जीत दर्ज करने के लिए पहचाने जाते हैं. 1980 के चुनाव में उन्होंने पहली बार जीत दर्ज की. वे युवक कांग्रेस के प्रदेशाध्यक्ष रह चुके थे. कांग्रेस ने उन पर दांव खेलते हुए टिकट दे दिया. 75293 वोटों में से उन्होंने 38625 वोट लेकर पार्टी को निराश नहीं किया. भाजपा के बलवंतराव ढोबले 28629 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे जबकि कांग्रेस (अर्स) के अशोक अहीरराव की दौड़ महज 4892 वोटों पर ही थम गई.

 पुरोहित पहुंचे दक्षिण 

78 में कांग्रेस की टिकट पर पूर्व नागपुर से जीत दर्ज करने वाले बनवारीलाल पुरोहित (आज तमिलनाडु के राज्यपाल) विदर्भवादी के रूप में पहचाने जाते थे और फारवर्ड ब्लॉक  से जुड़े थे. बहरहाल 1980 में वे पूरी तरह से कांग्रेस के हो गए. पार्टी ने उन्हें पूर्व की जगह दक्षिण नागपुर से टिकट दी. उन्होंने 39995 वोटों के साथ जीत दर्ज की. खोरिपा के रामचंद्र ढेपे 20064 वोट लेकर दूसरे स्थान पर रहे. इनके अलावा कुल 11 उम्मीदवारों के बीच संघर्ष में केवल कांग्रेस (अर्स) के प्रतापसिंह चव्हाण ही 5768 वोट लेकर दूसरों की तुलना में ठीकठाक प्रदर्शन कर सके. 

मध्य नागपुर में फिर कांग्रेस 

कांग्रेस ने इस बार यहां से याकूब कमर को टिकट दी जो 25838 वोटों के साथ विजयी रहे. भाजपा के मनोहरराव समर्थ 12058 वोट हासिल कर दूसरे स्थान पर रहे. जनता (जेपी) के सुखमन हेडाऊ ने 4220, निर्दलीय भीमशंकर लांजेवार 4182 और कांग्रेस (अर्स) के खेमचंद परमार 3089 वोट लेकर अपनी साख बचा सके.

शहराध्यक्षों के संघर्ष का साक्षी बना पश्चिम 

पश्चिम नागपुर इस चुनाव में शहराध्यक्षों के संघर्ष का साक्षी बना.  कांग्रेस ने यहां से गेव आवारी को मौका दिया जो 33750 वोट लेकर विजयी रहे. जनसंघ की टिकट पर लगातार चुनाव लड़ रहीं सुमतिताई सुकलीकर ने इस बार चुनावी राजनीति से दूर रहने का फैसला किया. भाजपा ने यहां से अपने तत्कालीन शहराध्यक्ष डॉ. रामप्रकाश आहूजा को मौका दिया. 27020 वोट के साथ वे दूसरा स्थान ही हासिल कर सके. कांग्रेस (अर्स) की टिकट पर शिरीष दुपल्लीवार केवल 1378 वोट ले सके. वैसे यह चुनाव तीन शहराध्यक्षों के बीच लड़ा गया. 

कामठी ने फिर दिया कांग्रेस का साथ  
तब कामठी विधानसभा क्षेत्र रामटेक का नहीं बल्कि नागपुर संसदीय सीट का हिस्सा था. कांग्रेस ने इस बार सुरेश देवतले पर विश्वास जताया. कुल पड़े 42165 वोटों में से उन्होंने 26018 वोट लेकर जीत दर्ज की. 6711 वोटों के साथ दूसरे स्थान पर कांग्रेस (अर्स) के डॉ. मो. शफी कुरैशी रहे. जबकि भाजपा के हैदरी जैनूल अबेदीन केवल 5324 वोट ही प्राप्त कर सके.

कांग्रेस की ऐन समय पर उम्मीदवार तय करने की परंपरा 
1980 के चुनाव में पहली बार कांग्रेेस के उम्मीदवारों को ऐन समय पर तय करने की परंपरा आरंभ हुई. तब क ांग्रेस के उम्मीदवारों का चयन सीधे तत्क ालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने कि या था. नामांक न करने की अंतिम तिथि से ठीक पहले रात में इंदिरा गांधी के  फोन के  इंतजार में कांग्रेस के  सभी दिग्गज देवड़िया भवन में बैठे थे. इंदिरा गांधी ने रात क रीब डेढ़ बजे फोन क र उम्मीदवारों के  नामों की घोषणा की.

ग्रामीण में कांग्रेस की क्लीन स्वीप

जिले की ग्रामीण अंचल की सीटों पर कांग्रेस ने अपना दबदबा कायम रखते हुए क्लीन स्वीप की. क लमेश्वर के  विधायक भगवंतराव गायक वाड़ फारवर्ड ब्लॉक  को छोड़कर जांबुवंतराव धोटे के  साथ कांग्रेस में आ गए. उन्होंने 32692 वोटों के  साथ जीत दर्ज की. दूसरे स्थान पर कांग्रेस (अर्स) के मुरलीधर डोईफ होड़े रहे जिन्हें 6616 वोट हासिल हुए. 

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