Maharashtra Assembly Election 2019: हिंगणा निर्वाचन क्षेत्र में दो गुटों में बंट गई कांग्रेस, जानें समीकरण
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: September 9, 2019 10:52 IST2019-09-09T10:51:56+5:302019-09-09T10:52:34+5:30
1994 के विधानसभा चुनाव में बाबासाहब केदार ने रमेश बंग को कांग्रेस की टिकट दिलाने के भरसक प्रयास किए. लेकिन, नाना शामकुले को उम्मीदवार बनाया गया.

Maharashtra Assembly Election 2019: हिंगणा निर्वाचन क्षेत्र में दो गुटों में बंट गई कांग्रेस, जानें समीकरण
गणोश धानोरकर
वर्ष 2009 में अस्तित्व में आने से पूर्व हिंगणा तहसील कलमेश्वर विधानसभा क्षेत्र का हिस्सा थी. 1989 में सहकार महर्षि के नाम से पहचाने जाने वाले बाबासाहब केदार इस क्षेत्र के विधायक होने के साथ ही नागपुर जिले के पालकमंत्री भी थे. उन्होंने हिंगणा में कांग्रेस को मजबूत बनाया. 1992 में जिला परिषद और पंचायत समिति चुनाव के दौरान बाबासाहब ने इस क्षेत्र की राजनीतिक कमान रमेश बंग को सौंपी और तभी से कांग्रेस यहां दो गुटों में बंट गई.
दूसरा गुट वरिष्ठ नेता रणजीत देशमुख का था, जिसका नेतृत्व पांडुरंग मते कर रहे थे. जि.प./पं.स. चुनाव में कांग्रेस को पार्टी के बागी प्रत्याशियों से हार का सामना करना पड़ा. पांडुरंग मते जि.प. अध्यक्ष चुने गए. लेकिन, पार्टी स्तर पर आए दबाव के कारण उन्हें 28 दिन में ही अध्यक्ष पद छोड़ना पड़ा.
1994 के विधानसभा चुनाव में बाबासाहब केदार ने रमेश बंग को कांग्रेस की टिकट दिलाने के भरसक प्रयास किए. लेकिन, नाना शामकुले को उम्मीदवार बनाया गया. रमेश बंग, नाना गावंडे और पांडुरंग मते निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में मैदान में उतरे थे, जिसमें बंग विजयी हुए. 1999 के चुनाव के पहले बंग राकांपा में शामिल हो गए. उस चुनाव में भी उन्हें जीत हासिल हुई थी.
2004 में बंग राकांपा-कांग्रेस गठबंधन के प्रत्याशी थे. कांग्रेस की बागी उम्मीदवार सुनीता गावंडे ने उन्हें चुनौती दी थी, लेकिन उन्हें पराजय का सामना करना पड़ा. 2009 में हिंगणा विधानसभा क्षेत्र अस्तित्व में आया. उपराजधानी से सटा होने से विकास कार्यो को लेकर क्षेत्र के नागरिकों की उम्मीदें बढ़ने लगीं. राकांपा-कांग्रेस ने रमेश बंग को पुन: उम्मीदवार बनाया. भाजपा-शिवसेना युति ने विजय घोड़मारे को मैदान में उतारा था. लेकिन, इस बार राकांपा के बबलू गौतम की बगावत की बदौलत अत्यंत रोचक मुकाबले में घोड़मारे ने बंग को 700 वोटों से पटखनी दे दी. घोड़मारे को 65,099, बंग को 64,399 तथा गौतम को 8,600 वोट मिले थे.
2014 के चुनाव में भाजपा ने कुछ ही दिन पहले पार्टी में प्रवेश करने वाले समीर मेघे को टिकट दी. भाजपा के पारंपरिक वोटों के साथ ही समीर मेघे को कांग्रेस और राकांपा के दिग्गज नेता रहे अपने पिता दत्ता मेघे के निष्ठावान कार्यकर्ताओं का भी समर्थन मिला.