महाराष्ट्र विधानसभा चुनावः यहां बीजेपी को 1990 में मिली थी पहली कामयाबी, कांग्रेस का वर्चस्व कायम
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: September 10, 2019 16:00 IST2019-09-10T15:59:58+5:302019-09-10T16:00:18+5:30
नागपुरः निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पिछला चुनाव हारने वाले सतीश चतुव्रेदी ने कांग्रेस का दामन थाम कर 80333 वोट लेकर वापसी की. भाजपा से गठबंधन कर मैदान में उतरी शिवसेना ने यहां से ज्ञानेश वाकुड़कर को मौका दिया जिन्हें 41462 वोट मिले.

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कमल शर्मा
नागपुर में जनसंघ के समय से शहर में विधानसभा चुनाव में जीत का इंतजार कर रही भाजपा को 1990 में पहली विजय का स्वाद मिला. बहरहाल यह चुनाव मध्य नागपुर और कामठी निर्वाचन क्षेत्र में हुई कांटे की टक्कर के लिए आज भी याद किया जाता है. मध्य में तो हार-जीत का अंतर केवल 6 वोट का रहा. भाजपा-शिवसेना ने युति कर पहली बार चुनावी समर में हाथ आजमाए. युति अपनी ताकत का एहसास कराने में सफल रही. केंद्र में सत्ता संभाल रहे जनता दल ने भी अपनी मौजूदगी दिखाते हुए एक सीट हथिया ली. उधर कांग्रेस ने अपना वर्चस्व कायम करते हुए सिद्ध किया कि नागपुर उसका मजबूत किला बना चुका है.
पूर्व में चतुव्रेदी की वापसी
निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में पिछला चुनाव हारने वाले सतीश चतुव्रेदी ने कांग्रेस का दामन थाम कर 80333 वोट लेकर वापसी की. भाजपा से गठबंधन कर मैदान में उतरी शिवसेना ने यहां से ज्ञानेश वाकुड़कर को मौका दिया जिन्हें 41462 वोट मिले. 6579 वोट लेने वाले मुस्लिम लीग के सईद मुबशीर अली के अलावा मैदान में मौजूद अन्य उम्मीदवारों में से कोई भी अपनी छाप नहीं छोड़ सका.
पश्चिम में खिलाभाजपा का कमल
कुल 33 उम्मीदवारों के संघर्ष में विनोद गुड़धे पाटिल ने 55082 वोट लेकर जिले के किसी विधानसभा क्षेत्र में पहली बार कमल खिलाया. कांग्रेस के निवर्तमान विधायक गेव आवारी 46438 वोट के साथ दूसरे स्थान पर रहे. जनता दल के महादेवराव भोरक र ने भी 15188 वोटों के साथ अपनी मौजूदगी का एहसास क राया. निर्दलीय दिलीप चौधरी 7372 वोट और मुकुं दराव पन्नासे 3158 वोट पर ही सिमट गए.
दक्षिण में पंजे का डंका
कांग्रेस के अशोक धवड़ ने 32661 वोट लेक र पुन: इस सीट पर कब्जा किया. कुल 30 उम्मीदवारों के संघर्ष में उन्हें भाजपा के अशोक वाड़ीभस्मे ही टक्कर दे सके. वाड़ीभास्मे को 29350 वोट मिले. अशोक सोमकुं वर ने जनता दल के उम्मीदवार के रूप में 5118 वोट हासिल कि ए जबकि दिग्गज नेता हरिभाऊ नाईक को के वल 3058 मतदाताओं ने ही पसंद किया. बसपा के पी.एस. चंगोले और खोरिपा के नारायण मेश्रम ने आपस में 12 हजार से अधिक वोट बांट लिए. भारिपा के रमेश लोखंडे ने भी 5199 वोट लिए. गजराज हटवार, मदन थुल, वासुदेव तुमसरे, बाबा डवरे अपनी उपस्थिति का एहसास नहीं क रा सके.
उत्तर फिर खोरिपा के साथ
1985 के चुनाव में हार के बाद खोरिपा ने वापसी की. हालांकि इस बार वह कांग्रेस के विरोध में नहीं बल्कि उसके साथ गठबंधन कर मैदान में उतरी थी. पार्टी के उपेंद्र शेंडे ने 33603 वोट लेकर जीत दर्ज की. कांग्रेस की गैरमौजूदगी का लाभ उठाकर भाजपा ने यहां दमदार प्रदर्शन करते हुए दूसरा स्थान हासिल किया. पार्टी उम्मीदवार भोला बढ़ेल ने 21358 वोट लिए. साइकिल के चिह्न् पर उतरे भाऊ लोखंडे 14205 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे जबकि भाकपा के शेरसिंह नाहर 6173 वोट ही हासिल कर सके. उत्तर नागपुर से लगातार जीत दर्जकर मंत्री बने और फिलहाल प्रदेश कांग्रेस के कार्याध्यक्ष नितिन राऊत ने बतौर निर्दलीय उम्मीदवार पहली बार विधानसभा चुनाव लड़ा था. लेकिन वे केवल 3277 वोट ही हासिल कर सके. राजरतन मोटघरे ने 6277 वोट लेकर क्षेत्र में बसपा की बढ़ती ताकत का एहसास करा दिया. इस चुनाव में रिकॉर्ड 26 उम्मीदवारों ने भाग्य आजमाया लेकिन, अधिकांश चार आंकड़ों तक भी नहीं पहुंच सके.