महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में खर्च होंगे 4 हजार करोड़, पानी की तरह बहाया जा रहा पैसा
By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: October 13, 2019 06:02 IST2019-10-13T06:02:11+5:302019-10-13T06:02:11+5:30
चुनाव कराने के लिए सरकारी मशीनरीज में 700 से 800 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है. हालांकि चुनाव आयोग की उम्मीदवारों के खर्चों पर नजर है ताकि आदर्श आचार संहिता का पालन किया जा सके.

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अतुल कुलकर्णी
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में 288 सीटों पर 3239 उम्मीदवार अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. प्रत्येक उम्मीदवार आधिकारिक रूप से 28 लाख खर्च कर सकता है. सभी उम्मीदवारों के आधिकारिक खर्चे को जोड़ा जाए तो इन 15 दिनों में 906 करोड़ 92 लाख रुपए खर्च होंगे जबकि उम्मीदवारों के बिना हिसाब वाले खर्चों को जोड़ा जाए और तो प्रत्येक उम्मीदवार के औसत 1 करोड़ रुपए के चुनावी खर्च के हिसाब से कुल चुनावी खर्च 4 हजार करोड़ रुपए पहुंचने की संभावना है.
चुनाव कराने के लिए सरकारी मशीनरीज में 700 से 800 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है. हालांकि चुनाव आयोग की उम्मीदवारों के खर्चों पर नजर है ताकि आदर्श आचार संहिता का पालन किया जा सके.
बावजूद इसके चुनाव में बेहिसाब पैसा खर्च होने का देश में चलन रहा है. नवी मुंबई महापलिका के चुनाव में उम्मीदवारों से सोसायटी में रंगरोगन कराने और सोसायटियों के पांच वर्षो के केबल बिल भरने जैसी मतदाताओं की मांगों वाली बातें सामने आती रही हैं.
आमतौर पर अपने विधानसभा क्षेत्र में एक उम्मीदवार 2 से 8 करोड़ रुपए तक खर्च करता है. चुनाव के दौरान करोड़ों रुपए का धन पकड़ा भी जाता है. अगर एक उम्मीदवार औसत 1 करोड़ रुपए भी चुनाव लड़ने में खर्च करे तो इस हिसाब से 3239 करोड़ रुपए खर्च होंगे.
राष्ट्रीय पार्टियों के खर्चो पर किसी प्रकार की कोई पाबंदी नहीं है.उम्मीदवरों को अपने खर्च का ब्यौरा राज्य निर्वाचन आयोग को देना होता है वहीं राष्ट्रीय पार्टियों को अपने खर्च की जानकारी केंद्रीय निर्वाचन आयोग को देना जरूरी है. राष्ट्रीय पार्टियों के खर्चे की कोई सीमा नहीं होने के कारण प्रचार के दौरान बड़े नेताओं की विमान, हेलिकॉप्टर यात्रएं, रैलियां, मंच व अन्य व्यवस्थाओं का खर्च उम्मीदवार को नहीं उठाना पड़ता वह सीधे पार्टी के खाते में जुड़ जाता है.
19 हेलिकॉप्टर और 14 विमान
इस चुनाव में भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस, राकांपा और वंचित बहुजन आघाड़ी जैसी पार्टियों के नेताओं की चुनाव प्रचार के लिए 17 से 19 हेलिकॉपटरों और 13 से 14 विमानों से हवाई यात्रएं होने की संभावना है. एक वीआईपी हेलिकॉप्टर का खर्च तकरीबन दो करोड़ जबकि एक विमान का ढाई करोड़ रुपए आता है. इस हिसाब से नेताओं की हवाई यात्रओं पर 50 करोड़ रुपए खर्च होने की संभावना है. इसके अलावा प्रचार के लिए उपयोग होनेवाली गाड़ियों उनके पेट्रोल, डीजल इन सबका खर्च जोड़ा जाए तो वह भी तकरीबन उपरोक्त राशि के बराबर ही होगा.
चुनाव प्रचार के लिए हवाई यात्रओं का चलन अधिक
मैब एविएशन के एमडी मंदार भारदे ने बताया कि भारत में चुनाव प्रचार के लिए हवाई यात्रओं का चलन अधिक है. लेकिन बीते विधानसभा चुनाव की अपेक्षा इस बार नेताओं की हवाईयात्र के लिए विमान और हेलिकॉप्टरों की मांग कम है . एक दिन में 5-6 रैलियां होने पर हवाईयात्र के लिए विमान और हेलिकॉप्टरों की जरूरत पड़ती है.लेकिन किसी दल ने अभी हवाईयात्र के लिए विमान, हेलिकॉप्टर की मांग नहीं की है.
पिछली बार सबसे ज्यादा खर्च किए थे भाजपा ने
2014 के महाराष्ट्र और हरियाणा विधानसभा चुनावों के दौरान सभी पार्टियों द्वारा किए गए चुनावी खर्च का 60 प्रतिशत से ज्यादा तो अकेले भाजपा ने खर्च किया था. एसोसिएशन ऑफ डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स (एडीआर) ने यह खुलासा किया है. प्रचार, यात्र, अन्य खर्च व उम्मीदवारों को एकमुश्त रकम देने जैसे खर्चो के तहत पिछले दो विस चुनावों में कुल 362.87 करोड़ रु.खर्च किए गए थे. इसमें भाजपा का खर्च 226.82 करोड़ रु., कांग्रेस का 63.31 करोड़ रु. था. सभी पार्टियों ने कुल मिलाकर प्रचार पर 280.72 करोड़ रु.और यात्रओं पर 41.40 करोड़ रु. खर्च किए थे. फंड जमा करने में भी 296.74 करोड़ रु. के साथ भाजपा शीर्ष पर थी.