UPSC Toppers Interview: 23 साल के अक्षत जैन ने हासिल की दूसरी रैंक, बताया सफलता का मंत्र
By आदित्य द्विवेदी | Published: April 6, 2019 11:06 AM2019-04-06T11:06:20+5:302019-04-06T11:06:20+5:30
यूपीएससी सेकेंड टॉपर अक्षत जैन तैयारी के लिए किताबों के साथ-साथ इंटरनेट की मदद लेने पर भी जोर देते हैं। उन्होंने लोकमत न्यूज के साथ विशेष बात-चीत की। पढ़िए यूपीएससी सेंकेंड टॉपर अक्षत जैन से साक्षात्कार के प्रमुख अंश...
संघ लोक सेवा आयोग (यूपीएससी) ने सिविल सेवा परीक्षा 2018 के फाइनल रिजल्ट घोषित कर दिए हैं। इस परीक्षा में राजस्थान के अक्षत जैन ने दूसरा स्थान हासिल किया है। 23 साल के अक्षत का यह दूसरा प्रयास था। इससे पहले उन्होंने 2017 में परीक्षा दी थी और दो अंकों से प्रीलिम्स क्वालिफाई नहीं कर सके थे। अक्षत जैन तैयारी के लिए किताबों के साथ-साथ इंटरनेट की मदद लेने पर भी जोर देते हैं। उन्होंने लोकमत न्यूज के साथ विशेष बात-चीत की। पढ़िए यूपीएससी सेंकेंड टॉपर अक्षत जैन से साक्षात्कार के प्रमुख अंश...
ये आपका कौन सा प्रयास था और वैकल्पिक विषय क्या था?
ये मेरा दूसरा प्रयास था। इससे पहले 2017 में मैंने तीन महीने की तैयारी के बाद मैंने यूपीएससी एग्जाम दिया था और दो नंबर से प्रीलिम्स क्वालिफाई नहीं कर सका था। टेक्निकली ये मेरा पहला ही प्रयास मान सकते हैं। मेरा वैकल्पिक विषय 'एंथ्रोपोलॉजी' था।
आपने पढ़ाई कहां से की है?
मैंने आईआईटी गुवाहाटी से 2017 में ग्रेजुएशन किया है। थर्ड इयर में ही मैंने तय कर लिया था कि मुझे सिविल सर्विस में जाना है। फिर उसी हिसाब से तैयारी में लग गया था।
आपने सिविल सर्विस में जाने का क्यों तय किया?
मेरे दोनों माता-पिता दोनों सिविल सर्वेंट हैं। उनका काम मुझे प्रेरित करता था। इसके अलावा इस सर्विस के साथ जुड़ी इज्जत भी मुझे इसकी तरफ खींच लाई।
तैयारी का रूटीन क्या रहता था?
पढ़ाई में घंटे तो तय नहीं थे लेकिन दिन में 8-10 घंटे से ज्यादा पढ़ता था। तैयारी के लिए टॉपिक वाइज पढ़ाई करते थे। उसको करने के लिए जितने घंटे जरूरी होते थे वो करता था।
वैकल्पिक विषय के तैयारी की स्ट्रैटजी कैसी थी
वैकल्पिक विषय की तैयारी मैंने प्रीलिम्स के पहले ही कर ली थी। इसके लिए मैं मॉडल ऑन्सर पर बहुत फोकस किया। मेरे पास बड़ा ऑन्सर बैंक था, जितना मैं कर सकता था। टेस्ट भी मैं देता था। इसने मेरी बहुत मदद की।
तैयारी के लिए कोचिंग की या सेल्फ स्टडी?
सामान्य अध्ययन के लिए मैंने कोई कोचिंग नहीं की। वैकल्पिक विषय के लिए मैंने दिल्ली में कुछ महीने की कोचिंग की। इसके अलावा मैंने टेस्ट सीरीज ज्वॉइन की थी।
किताबें या इंटरनेटः किस पर ज्यादा आश्रित रहे?
दोनों का बैलेंस जरूरी है। बेसिक नोट्स के लिए किताबों का इस्तेमाल बेहद जरूरी है। करेंट अफेयर्स के लिए इंटरनेट का इस्तेमाल करना चाहिए। सिलेबस का एक-एक शब्द कम्प्रिहेंसिवली तैयार कीजिए किताबों और इंटरनेट का इस्तेमाल करते हुए।
साक्षात्कार की तैयारी के लिए किन बातों का ध्यान रखा?
मैंने साक्षात्कार के लिए कई मॉक्स इंटरव्यू दिए। मैंने अपने बॉयोडेटा पर खास ध्यान दिया। मेरा मानना है कि इंटरव्यू में नॉलेज से ज्यादा पर्सनॉलिटी पर फोकस होता है। इसलिए हर उम्मीदवार को नॉलेज और पर्सनॉलिटी दोनों पर फोकस करना चाहिए।
फैमिली में कौन-कौन हैं?
मैं जयपुर राजस्थान का रहने वाला हूं। मेरे परिवार में मम्मी, पापा,नानी और छोटा भाई है।
सफलता का श्रेय किसे देंगे?
मेरे परिवार के सदस्यों ने पूरी यात्रा के दौरान काफी सपोर्ट किया। मेरे पापा मुझे काफी सपोर्ट देते थे। दोस्तों और परिवार वालों ने काफी पॉजिटिविटी दी।
क्या आपने सोचा था कि सेकेंड टॉपर रहेंगे?
मेरे हिसाब से शायद ही कोई स्टुडेंट हो जो टॉप करने का सोचता हो। मुझे ये भरोसा था कि लिस्ट में नाम आ जाएगा। रिजल्ट देखकर भरोसा ही नहीं हो रहा था। ये काफी मैजिकल मोमेंट था।
सोशल मीडिया पर एक्टिव हैं?
एक्टिव तो हूं लेकिन स्टेटस या फोटो नहीं डालता। सिर्फ जब पढ़ाई से थक गए तो थोड़ा सर्फ कर लिया। दोस्तों के हाल-चाल ले लिए।
अभ्यर्थियों को क्या संदेश देना चाहते हैं?
सबसे पहले तो जरूरी है कि एक स्ट्रैटजी बनाएं। बिना स्ट्रैटजी के वांछित रिजल्ट नहीं मिलेंगे। शुरुआत में सबसे पहले एक स्ट्रैटजी होनी चाहिए कि कैसे पूरा सिलेबस कवर करेंगे। उसके अलावा मैं कभी रिजल्ट के बारे में नहीं सोचता था। आप अपनी मेहनत डेली के हिसाब से करते रहें। एक्स्ट्रा बर्डन ना लें।
पढ़ाई के दौरान थकान लगने पर क्या करते थे
फुटबॉल मेरी हॉबी है। पढ़ाई के बोझ के बावजूद मैं फुटबॉल मैच देखता था। इसके अलावा जो दिन का टारगेट डिसाइड है उसे कंप्लीट करता था चाहे जो हो जाए।