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युवाओं को आशंका, अगले दशक में हो सकता परमाणु हथियारों का इस्तेमाल: सर्वेक्षण

By भाषा | Updated: January 17, 2020 06:06 IST

सर्वेक्षण में 20 से 35 साल के युवाओं ने हिस्सा लिया जो युद्धग्रस्त अफगानिस्तान और सीरिया के साथ-साथ शांतिपूर्ण फ्रांस और ब्रिटेन सहित विभिन्न देशों के रहने वाले हैं। रेडक्रॉस ने सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन पैनल और 16 देशों के प्रतिभागियों का फोन से या प्रत्यक्ष साक्षात्कार लिया।

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ठळक मुद्दे अगले दशक में दुनिया के किसी न किसी कोने में परमाणु हमले हो सकते हैं।16,000 युवाओं में से 47 प्रतिशत का विश्वास है कि उनके जीवनकाल में ही तृतीय विश्वयुद्ध हो सकता है

 रेड क्रॉस द्वारा गुरुवार को जारी एक सर्वेक्षण रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया के आधे से अधिक लोगों को भय है कि अगले दशक में दुनिया के किसी न किसी कोने में परमाणु हमले हो सकते हैं। सर्वेक्षण में शामिल 16,000 युवाओं में से 47 प्रतिशत का विश्वास है कि उनके जीवनकाल में ही तृतीय विश्वयुद्ध हो सकता है। जिनेवा से कार्यरत रेड क्रॉस की अंतरराष्ट्रीय समिति जिसने रिपोर्ट तैयार की है उसके अध्यक्ष पीटा मौरर ने कहा, ‘‘ युवा मानते हैं कि उनके जीवनकाल में प्रलयकारी युद्ध हो सकता है।

सर्वेक्षण में 20 से 35 साल के युवाओं ने हिस्सा लिया जो युद्धग्रस्त अफगानिस्तान और सीरिया के साथ-साथ शांतिपूर्ण फ्रांस और ब्रिटेन सहित विभिन्न देशों के रहने वाले हैं। रेडक्रॉस ने सर्वेक्षण के लिए ऑनलाइन पैनल और 16 देशों के प्रतिभागियों का फोन से या प्रत्यक्ष साक्षात्कार लिया।

जब सर्वेक्षण में शामिल लोगों से पूछा गया कि उनके विचार से दुनिया में अगले दस साल में कहीं सैन्य संघर्ष होने पर परमाणु हमले की कितनी आशंका है? इसके जवाब में करीब 54 फीसदी ने कहा कि वे मानते हैं कि इस तरह के हथियारों का इस्तेमाल किया जा सकता है। समिति को सर्वेक्षण में कुछ चिंताजनक परिपाटी भी देखने को मिली है।

सर्वेक्षण में शामिल लोगों से जब पूछा गया कि क्या कुछ परिस्थितियों में पकड़े गए दुश्मन को यातना देना सही है या नहीं? इसके जवाब में 41 प्रतिशत ने कहा कि हां कुछ परिस्थितियों में ऐसा करना गलत नहीं है। हालांकि सर्वेक्षण में कुछ उम्मीद की किरण भी दिखाई देती है।

अध्ययन में शामिल 54 फीसदी ने माना कि उन्होंने जिनेवा समझौते के बारे में सुना है जिसमें द्वितीय विश्वयुद्ध की विभीषिका के मद्देनजर 1949 में युद्धबंदियों की रक्षा के उपाय किए गए हैं। मौरर ने कहा कि नतीजों से यह भी खुलासा हुआ कि ‘‘ फर्जी खबरों, गलत सूचना और ध्रुवीकृत विचारों के दौर में कथित और वास्तविक शत्रुओं के खिलाफ अमानवीय भाषा और कार्रवाई की चिंतित करने वाली स्वीकार्यता बढ़ी है।’’ हालांकि, गृहयुद्ध का सामना कर रहे सीरिया के 60 फीसदी प्रतिभागियों का मनना है कि अगले पांच साल में उनके देश में शांति स्थापित हो जाएगी।

सर्वेक्षण में शामिल सबसे अधिक सीरियाई प्रतिभागियों ने युद्ध में मानवीय व्यवहार का समर्थन किया। 85 प्रतिशत ने कहा कि युद्धबंदियों को रिश्तेदारों से मिलने की अनुमति दी जानी चाहिए जबकि 70 प्रतिशत ने कहा कि यातना पूरी तरह से अस्वीकार्य है। वहीं इजरायल, नाइजीरिया और अमेरिका के सबसे अधिक प्रतिभागियों ने संघर्ष के दौरान पकड़े गए बंदियों को यातना देने का समर्थन किया। 

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