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यमुना एक्सप्रेस-वे भूमि घोटालाः सीबीआई ने उत्तर प्रदेश राजस्व अधिकारी और एक अन्य अधिकारी को किया गिरफ्तार

By लोकमत समाचार ब्यूरो | Updated: February 4, 2019 05:53 IST

वाईईआईडीए के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता सहित इसके कुछ अधिकारियों ने कुछ निजी कंपनियों के साथ मिलकर ‘बेकार पड़ी’ करीब 57 हेक्टेयर जमीन की खरीददारी 2014 में मथुरा के सात गांवों से की। उन्होंने इसके एवज में उनके मालिकों को मुआवजा देने का वादा किया। लेकिन लेकिन मुआवजे की राशि उस रकम से बहुत अधिक थी, जो प्राधिकरण ने इस तरह की खरीद के लिए तय कर रखी थी। 

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सीबीआई ने 126 करोड़ रुपये के ‘‘यमुना एक्सप्रेस वे’’ भूमि घोटाले के सिलसिले में रविवार को अपने एक अधिकारी और एक राजस्व अधिकारी को उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद जिले से गिरफ्तार कर लिया। अधिकारियों ने यह जानकारी दी। 

उन्होंने बताया कि एजेंसी ने गाजियाबाद में भ्रष्टाचार रोधी शाखा में तैनात निरीक्षक (इंस्पेक्टर) वी एस राठौड़ और सीबीआई एकेडमी गाजियाबाद के एएसआई सुनील दत्त तथा तहसीलदार रणवीर सिंह पर घोटाले को लेकर शनिवार को मामला दर्ज किया था। 

सीबीआई अधिकारी ने बताया, ‘‘ इंसपेक्टर राठौड़ और तहसीलदार रणवीर सिंह को इस मामले में गिरफ्तार कर लिया गया है।' अधिकारी ने बताया कि सीबीआई ने उत्तर प्रदेश के ‘कुछ अज्ञात अधिकारियों’ और ‘कुछ अन्य अज्ञात लोगों’ के खिलाफ भी मामला दर्ज किया है। 

उन पर भारतीय दंड संहिता की धारा 120 बी (आपराधिक षडयंत्र रचने में शामिल होने) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत मामला दर्ज किया गया है। इसी बीच, ग्रेटर नोएडा फर्स्ट के सर्किल अधिकारी (सीओ) निशांक शर्मा को भी सीबीआई ने पूछताछ के लिए नयी दिल्ली में तलब किया। शर्मा इस मामले की जांच कर रहे थे। 

एक आधिकारिक आदेश में रविवार को कहा गया है, ‘‘ सीबीआई द्वारा पुलिस उपाधीक्षक शर्मा से पूछताछ किए जाने के मद्देनजर उन्हें ग्रेटर नोएडा के सर्किल अधिकारी के पद से हटा दिया गया है और उन्हें गौतम बुद्ध नगर मुख्यालय से संबद्ध कर दिया गया है।' 

पुलिस के अनुसार वाईईआईडीए के पूर्व सीईओ पीसी गुप्ता सहित इसके कुछ अधिकारियों ने कुछ निजी कंपनियों के साथ मिलकर ‘बेकार पड़ी’ करीब 57 हेक्टेयर जमीन की खरीददारी 2014 में मथुरा के सात गांवों से की। उन्होंने इसके एवज में उनके मालिकों को मुआवजा देने का वादा किया। लेकिन लेकिन मुआवजे की राशि उस रकम से बहुत अधिक थी, जो प्राधिकरण ने इस तरह की खरीद के लिए तय कर रखी थी। 

पुलिस के अनुसार ऐसा कर आरोपियों ने न सिर्फ ‍वाईईआईडीए को नुकसान पुहंचाया, बल्कि धोखाधड़ी के जरिए निजी लाभ भी कमाया। पांच साल पुराने इस मामले में अबतक कम से कम छह लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है। उनमें एक पूर्व आईएएस अधिकारी भी शामिल हैं, जो कि वाईईआईडीए के अध्यक्ष भी रह चुके थे।  

टॅग्स :उत्तर प्रदेशसीबीआई
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