श्रमिक संगठनों ने छह हजार रुपये के न्यूनतम मासिक पेंशन, 20 हजार के न्यूनतम वेतन की मांग की
By भाषा | Updated: June 15, 2019 22:44 IST2019-06-15T22:44:11+5:302019-06-15T22:44:11+5:30
बजट पूर्व बैठक में यूनियनों ने वेतनधारी एवं पेंशन प्राप्त करने वालों लोगों की 10 लाख रुपये तक की आमदनी को आयकर की सीमा से बाहर रखने की भी मांग की।

श्रमिक संगठनों ने छह हजार रुपये के न्यूनतम मासिक पेंशन, 20 हजार के न्यूनतम वेतन की मांग की
श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने शनिवार को न्यूनतम वेतन को बढ़ाकर 20,000 रुपये करने, ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत साल में कम-से-कम 200 दिन का काम सुनिश्चित करने और कम-से-कम 6,000 रुपये का मासिक पेंशन देने की मांग की है।
बजट पूर्व बैठक में यूनियनों ने वेतनधारी एवं पेंशन प्राप्त करने वालों लोगों की 10 लाख रुपये तक की आमदनी को आयकर की सीमा से बाहर रखने की भी मांग की। उन्होंने वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी आयकर की सीमा को बढ़ाकर आठ लाख रुपये करने की मांग की। करीब दर्जन भर केंद्रीय श्रमिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने वित्त एवं कॉरपोरेट मामलों के राज्य मंत्री अनुराग ठाकुर के साथ बजट पूर्व बैठक की।
इस दौरान उन्होंने लाभ कमा रही सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनियों के निजीकरण एवं विनिवेश को लेकर भी अपनी आपत्तियां दर्ज करायीं। उन्होंने साथ ही रोजगार सृजन पर जोर देने की बात भी कही। बैठक के बाद कुछ यूनियन नेताओं ने वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की अनुपस्थिति को लेकर नाखुशी जाहिर की। सीतारमण के नीति आयोग की संचालन परिषद की बैठक में हिस्सा लेने के कारण ठाकुर ने बैठक की अध्यक्षता की।
ऑल इंडिया ट्रेड यूनियन कांग्रेस (एआईटीयूसी) महासचिव अमरजीत कौर ने कहा, ''वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने हमें बजट पूर्व विचार-विमर्श के लिए आमंत्रित किया था। लेकिन हमारी बात राज्य मंत्री से हुई।
उन्होंने बातचीत को चार व्यापक बिन्दुओं पर सीमित रखने की कोशिश की। ये चार पहलू हैं-श्रमिक का संरक्षण, कौशल विकास, रोजगार और वेतन।'' उन्होंने कहा, ''हम सभी 10 केंद्रीय श्रमिक संगठनों ने अपने सभी बिन्दुओं को रखा। हमने 20,000 रुपये के न्यूनतम वेतन, 6,000 के न्यूनतम मासिक पेंशन और मनरेगा के तहत 200 दिन का तय रोजगार देने की मांग की है।''