यूनुस की हिरासत में मौत मामले में 14 अक्टूबर तक नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं करेंगे: महाराष्ट्र सरकार

By भाषा | Updated: September 22, 2021 15:05 IST2021-09-22T15:05:18+5:302021-09-22T15:05:18+5:30

Won't appoint new special public prosecutor in Yunus' custodial death case till October 14: Maharashtra government | यूनुस की हिरासत में मौत मामले में 14 अक्टूबर तक नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं करेंगे: महाराष्ट्र सरकार

यूनुस की हिरासत में मौत मामले में 14 अक्टूबर तक नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं करेंगे: महाराष्ट्र सरकार

मुंबई, 22 सितंबर महाराष्ट्र सरकार ने बुधवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह ख्वाजा यूनुस की हिरासत में मौत के मामले में 14 अक्टूबर तक नए विशेष लोक अभियोजक की नियुक्ति नहीं करेगी। इस मामले में बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे समेत चार पुलिसकर्मी मुकदमे का सामना कर रहे हैं।

अतिरिक्त लोक अभियोजक संगीता शिंदे ने न्यायमूर्ति पीबी वरले और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की खंडपीठ के समक्ष यह बयान दिया। पीठ यूनुस की मां आसिया बेगम की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पिछले विशेष लोक अभियोजक धीरज मिराजकर को मामले से हटाने को चुनौती दी गई है।

वर्ष 2018 में मिराजकर को हटाने के बाद बेगम ने उसी साल उच्च न्यायालय का दरवाज़ा खटखटाया था। याचिकाकर्ता के वकील मिहिर देसाई ने बुधवार को पीठ को बताया कि जुलाई 2018 में सरकार ने मौखिक आश्वासन दिया था कि याचिका पर सुनवाई लंबित रहने तक कोई नई नियुक्ति नहीं की जाएगी।

देसाई ने कहा, “अभियोजन पक्ष ने मंगलवार को निचली अदालत को बताया कि वे मामले में किसी को विशेष अभियोजक नियुक्त करने की प्रक्रिया में हैं। हमारा अनुरोध है कि जब तक इस याचिका पर सुनवाई नहीं हो जाती, तब तक सरकार किसी को नियुक्त न करे।”

पीठ ने शिंदे को राज्य के महाधिवक्ता आशुतोष कुंभकोणि से निर्देश लेने के लिए कहा, जो इस मामले में पेश होंगे। न्यायमूर्ति वरले ने कहा, “ तबतक कोई नियुक्ति नहीं होनी चाहिए। अभियोजक में अचानक से बदलाव नहीं होना चाहिए।”

इसके बाद शिंदे ने अदालत को बताया कि उन्होंने कुंभकोणि और राज्य के कानून विभाग से निर्देश लिए हैं और अदालत को आश्वासन दिया कि सरकार सुनवाई की अगली तारीख तक मामले में नया विशेष लोक अभियोजक नियुक्त करने के लिए कोई कदम नहीं उठाएगी।

इसके बाद अदालत ने मामले की सुनवाई 14 अक्टूबर के लिए स्थगित कर दी। देसाई ने अदालत को बताया कि मिराजकर को सितंबर 2015 में मामले के विशेष अभियोजक के रूप में नियुक्त किया गया था, लेकिन अप्रैल 2018 में अचानक उन्हें पद से हटा दिया गया था।

गौरतलब है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियर यूनुस को दिसंबर 2002 में घाटकोपर में किए गए बम विस्फोट के तुरंत बाद कथित तौर पर हिरासत में लिया गया था। वह मामले की आगे की जांच के लिए औरंगाबाद ले जाते समय रास्ते में छह और सात जनवरी 2003 की दरमियानी रात को जीप से कूद कर पुलिस रात हिरासत से कथित रूपसे फरार हो गया था और अहमदनगर के पास उसकी दुर्घटना में मौत हो गई थी।

बाद में अपराध जांच विभाग (सीआईडी) ने हिरासत में यूनुस की हत्या करने और सबूत मिटाने के आरोप में कुछ पुलिस अधिकारियों के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की थी। सीआईडी की जांच में 14 पुलिस कर्मियों पर आरोप लगाया गया था लेकिन सरकार ने सिर्फ चार अधिकारियों के खिलाफ अभियोजन को मंजूरी दी है जिनमें वाजे, राजेंद्र तिवारी, राजाराम निकम और सुनील देसाई शामिल हैं।

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