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लद्दाख के फ्यांग गांव की महिलाएं खुद को सामाजिक और आर्थिक रूप से बना रही हैं सशक्त

By भाषा | Updated: October 21, 2021 17:44 IST

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(तृषा मुखर्जी)

लेह, 21 अक्टूबर लद्दाख के फ्यांग गांव में होमस्टे के माध्यम से घरों में पर्यटकों की मेजबानी करना महिलाओं के लिए न केवल जीविकोपार्जन के रास्ते खोल रहा है बल्कि उन्हें सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह से सशक्तिकरण की ओर भी ले जा रहा है।

कई पुरुषों के सेना के लिए काम करने और महीनों तक घर से दूर रहने के कारण, लेह से लगभग 15 किलोमीटर दूर फ्यांग गांव की महिलाएं घरों पर पर्यटकों की मेजबानी कर अपने लिए जीविकोपार्जन के रास्ते खोल रही हैं।

36 वर्षीय एक मेजबान महिला ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘इतने सालों तक घर पर रहने के बाद, मुझे ऐसा लगता है कि मैं इतनी होशियार भी नहीं हूं कि लोगों से बात कर सकूं, लेकिन मुझे लगता है कि एक मेजबान होने से मुझे और लोगों के साथ बातचीत करने तथा अपनी हिंदी को बेहतर बनाने में भी मदद मिलेगी।’’

उनके पति वर्तमान में बेरचोक ग्लेशियर में 'हवलदार' के रूप में तैनात हैं, और साल में मुश्किल से दो महीने घर पर रहते हैं।

शादी के तुरंत बाद दूरदर्शन में डाटा ऑपरेटर की नौकरी छोड़ने वाली त्सेरिंग सात और 13 साल की उम्र के अपने दो लड़कों को पालने-पोसने के अलावा अपनी आजीविका के लिए खेती कर रही है। उन्होंने कहा कि अपने घर में यात्रियों की मेजबानी करके जीविकोपार्जन का अवसर उसकी सभी समस्याओं के "आसान" समाधान के रूप में सामने आया है।

उन्होंने कहा, ‘‘इस समय, हमारे पास पैसे की अधिक समस्या नहीं है क्योंकि मेरे पति का वेतन अच्छा है। लेकिन वह अगले दो साल में सेवानिवृत्त हो जाएंगे और हमारे बच्चों की शिक्षा के खर्च में वृद्धि होने की उम्मीद है। इसलिए इस ‘होमस्टे’ के माध्यम से कमाई से बहुत बड़ी मदद मिलेगी।’’

त्सेरिंग का एक पारंपरिक लद्दाखी घर है, जिसमें पांच कमरे हैं, जिनमें से दो में परिवार रहता है। शेष को एयरबीएनबी पर पंजीकृत किया गया है।

ऑनलाइन यात्रा पोर्टल ने ‘हम सब एक’ के लिए गैर-लाभकारी संगठन ‘सेल्फ एम्प्लॉयड वीमेन एसोसिएशन ऑफ इंडिया’ (एसईडब्ल्यूए) के साथ करार किया है। ‘हम सब एक’ एक पहल है जिसमें महिलाओं को ‘होमस्टे होस्ट’ में बदलने में मदद करके सूक्ष्म-उद्यमी बनने के लिए सशक्त बनाने का लक्ष्य तय किया गया है।

इस सेवा-एयरबीएनबी साझेदारी के हिस्से के रूप में, फ्यांग गांव में 10 घरों को यात्रा पोर्टल पर सूचीबद्ध किया गया है, और आने वाले वर्षों में यह संख्या बढ़ने की उम्मीद है।

एयरबीएनबी इंडिया, दक्षिण पूर्व एशिया, हांगकांग और ताइवान के लिए महाप्रबंधक अमनप्रीत बजाज ने कहा, ‘‘हमें लद्दाख में एसईडब्ल्यूए के साथ अपनी साझेदारी का विस्तार करने और एयरबीएनबी पर स्थानीय महिला मेजबानों को उनकी वित्तीय स्वतंत्रता सुरक्षित करने पर गर्व है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘स्थानीय समुदायों के लाभ के लिए पर्यटन के पुनर्निर्माण में मदद करने के हमारे व्यापक प्रयासों के हिस्से के रूप में, हमारा लक्ष्य जिम्मेदार यात्रा को बढ़ावा देने के वास्ते इन सूक्ष्म उद्यमियों के साथ मिलकर काम करना है।’’

फ्यांग गांव में सामाजिक और आर्थिक दोनों तरह के सशक्तिकरण की प्रक्रिया के लिए यह पहल महत्वपूर्ण है। यहां के ज्यादातर घरों में, महिलाएं सभी प्रकार के काम करती हैं, जिसमें घरों में खाना बनाना, सफाई करना और बाहर खेती करना शामिल है।

त्सेरिंग की तरह, त्सेवांग डोल्मा ने भी अपने घर के दरवाजों को पर्यटकों के लिए खोल दिया है। डोल्मा के पति का 2010 में अचानक निधन हो गया था। डोल्मा, जो अब 50 वर्ष की हो चुकी है, ने अपना अधिकांश जीवन पहले अपने पिता, फिर अपने पति पर निर्भर रहने में बिताया था।

जब उनके पति की मृत्यु हुई, तो उन्हें अपना और अपने तीन बच्चों का पालन-पोषण करना पड़ा, जिनमें से सबसे बड़ा बच्चा उस समय केवल 10 वर्ष का था। उन्होंने अपने एक कौशल - खाना पकाने का काम किया लेकिन इससे उन्हें प्रति माह 8,000 रुपये से अधिक नहीं मिले।

उन्होंने कहा, ‘‘मैं मेजबान बनने को लेकर वास्तव में उत्साहित हूं। मैंने अपना सारा जीवन बहुत मेहनत की लेकिन कमाई कम रहती थी। जीविकोपार्जन और तीन बच्चों की देखभाल करना आसान नहीं था। लेकिन अब, मैं अपने बच्चों के करीब रहते हुए अपने घर से काम कर सकती हूं और पर्याप्त कमा भी सकती हूं।’’

फ्यांग लेह-लद्दाख क्षेत्र के प्रसिद्ध पर्यटन स्थलों में से नहीं है, लेकिन हवाई अड्डे से 20 मिनट की दूरी पर होने के कारण यह रात में रुकने के लिए रणनीतिक रूप से बेहतर स्थल है।

एसईडब्ल्यूए के तेजस रावल के अनुसार, ‘‘होमस्टे के बारे में सबसे अच्छी बात यह है कि वे आपको होटलों में ज्यादा खर्च किए बिना अधिक आरामदायक सुविधा देंगे। इसके अलावा पर्यटक मेजबानों के साथ बातचीत कर सकते हैं और उनके जीवन के बारे में अधिक जान सकते हैं।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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