बोले स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, महिलाएं राजनीति में जा सकती हैं, लेकिन धर्माचार्यों को छोड़ दें

By भाषा | Updated: August 24, 2018 16:47 IST2018-08-24T16:47:05+5:302018-08-24T16:47:05+5:30

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, ‘लेकिन इसके लिए वहां एक महिला को शंकराचार्य बना दिया गया। जबकि कोई भी महिला शंकराचार्य पद पर आसीन नहीं हो सकती।

women can not become shankaracharya says Swami Swaroopanand Saraswati | बोले स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, महिलाएं राजनीति में जा सकती हैं, लेकिन धर्माचार्यों को छोड़ दें

बोले स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती, महिलाएं राजनीति में जा सकती हैं, लेकिन धर्माचार्यों को छोड़ दें

मथुरा, 24 अगस्त: द्वारका-शारदापीठ एवं ज्योतिषपीठ के शंकराचार्य स्वामी स्वरूपानन्द सरस्वती ने एक बार फिर महिलाओं के धार्मिक परम्पराओं में हस्तक्षेप पर सवाल उठाते हुए कहा है कि महिलाएं अन्य क्षेत्रों के समान राजनीति में तो जा सकती हैं किंतु वे शंकराचार्य जैसी सनातन संस्था की प्रतिनिधि नहीं बन सकतीं। उन्होंने नेपाल में पशुपतिनाथ पीठ के अस्तित्व पर सवाल उठाते हुए उसकी स्थापना के लिए अखिल भारतीय विद्वत परिषद को कठघरे में खड़ा किया। 

उन्होंने कहा, ‘अखिल भारतीय विद्वत परिषद के नाम से खड़ी की गई संस्था नकली शंकराचार्य गढ़ने का कार्य कर रही है। यही नहीं, इसने पिछले दिनों नेपाल में पशुपतिनाथ के नाम से एक नई पीठ ही बना डाली। जबकि, इस तरह की कोई पीठ नहीं रही है।’ उन्होंने इस पीठ पर महिला शंकराचार्य की नियुक्ति पर भी सवाल उठाया। 

स्वामी स्वरूपानंद सरस्वती ने कहा, ‘लेकिन इसके लिए वहां एक महिला को शंकराचार्य बना दिया गया। जबकि कोई भी महिला शंकराचार्य पद पर आसीन नहीं हो सकती। ऐसा विधान स्वयं आदि शंकराचार्य द्वारा तय किया गया है।’ उन्होंने कहा, ‘महिलाएं प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सांसद, विधायक बने, यह अच्छी बात है। परंतु, कम से कम धर्माचार्यों को तो छोड़ दें। धर्म के यह पद स्त्री के लिए नहीं हैं। 

उन्होंने अपनी बात सिद्ध करने के लिए तर्क भी दिया कि जो संविधान एक देश में लागू होता है, वह उसी रूप में दूसरे देश में लागू नहीं हो सकता। उसी प्रकार, किसी को शंकराचार्य बना देने की व्यवस्था मान्य नहीं होगी। शंकराचार्य ने शनि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश और इससे होने वाले नकुसान को लेकर भी आगाह किया। 

उन्होंने कहा ‘शनि मंदिर में स्त्री का प्रवेश वर्जित है, क्योंकि शनि क्रूर ग्रह है। उसकी दृष्टि यदि स्त्री पर पड़ी तो उसे नुकसान हो सकता है, लेकिन समानता के आधार पर कहा जाता है कि स्त्री भी शनि की पूजा करेगी। अब इससे स्त्री की जो हानि होगी, उससे उसे कौन बचाएगा" ? 

यह बात उन्होंने बुधवार को वृन्दावन के उड़िया आश्रम में चातुर्मास प्रवास के दौरान पूर्व फिल्म अभिनेत्री एवं स्थानीय सांसद हेमामालिनी के पहुंचने पर कही। हेमामालिनी ने शंकराचार्य के चरणों में पुष्प अर्पित कर आशीर्वाद भी लिया। इस अवसर पर उन्होंने (हेमामालिनी ने) आदि शंकराचार्य द्वारा रचित सौंदर्य लहरी स्त्रोत भी सुनाए। 

Web Title: women can not become shankaracharya says Swami Swaroopanand Saraswati

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