एक्स्ट्राओकुलर प्रणाली की मदद से आंखे न होने पर भी प्रकाश को महसूस कर सकते हैं चपटे कृमि
By भाषा | Updated: June 21, 2021 19:52 IST2021-06-21T19:52:52+5:302021-06-21T19:52:52+5:30

एक्स्ट्राओकुलर प्रणाली की मदद से आंखे न होने पर भी प्रकाश को महसूस कर सकते हैं चपटे कृमि
हैदराबाद, 21 जून हैदराबाद विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने पाया है कि फ्लैटवर्म (चपटे कृमि) नामक जीव अपने शरीर की परिधि पर मौजूद प्रणाली (एक्स्ट्राओकुलर) की मदद से आंखों के बिना भी प्रकाश को महसूस कर सकते हैं।
विश्वविद्यालय की एक विज्ञप्ति में सोमवार को कहा गया है कि पिछले शोध से पता चला है कि ये जीव शरीर से सिर को अलग किये जाने के बाद भी जीवित रह सकते हैं और कम पराबैंगनी प्रकाश के संपर्क में आने पर भी प्रकाश सूत्र के जरिये रेंगने की क्षमता हासिल कर लेते हैं।
विज्ञप्ति के अनुसार, शोधकर्ता दृष्टिबाधित रोगियों की मदद के लिये ऐसे प्राकृतिक प्रकाश संवेदन प्रोटीन के उपयोग का पता लगाना चाहते हैं।
शोधकर्ताओं ने यह पता लगाने की कोशिश की कि ये जीव बिना आंखों के प्रकाश को कैसे महसूस करते हैं और क्या कोई अन्य प्रकाश-संवेदन प्रणाली है जो उन्हें प्रकाश को महसूस करने में मदद कर रही है।
विज्ञप्ति में कहा गया है, ''अभूतपूर्व खोज के तहत, हैदराबाद विश्वविद्यालय के स्कूल ऑफ लाइफ साइंसेज के बायोकैमिस्ट्री विभाग के डॉ आकाश गुलियानी के नेतृत्व में एक शोध दल ने पता लगाया है चपटे कीड़े के शरीर की परिधि पर मौजूद एक्स्ट्राओकुलर प्रणाली बिना सिर वाले फ्लैटवर्म को अद्भुत तालमेल के साथ रेंगने में मदद करती है।
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