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जीतने पर बंगाल में निवेश वापस लाएंगे : नंदीग्राम से माकपा की उम्मीदवार ने कहा

By भाषा | Updated: March 30, 2021 16:16 IST

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(प्रदीप्त तापदार)

नंदीग्राम (पश्चिम बंगाल), 30 मार्च नंदीग्राम विधानसभा सीट पर तृणमूल कांग्रेस अध्यक्ष ममता बनर्जी और उनके पूर्व सहयोगी और अब भाजपा से प्रत्याशी शुभेंदु अधिकारी के बीच होने वाले चुनावी घमासान के बीच माकपा उम्मीदवार मीनाक्षी मुखर्जी अपनी पार्टी की खोई हुई जमीन दोबारा हासिल करने के लिए मशक्कत कर रही हैं जहां लगभग 14 साल पहले वामदल के गढ़ पर ममता ने कब्जा जमाया था।

मुखर्जी इस बार रोजगार और औद्योगीकरण का वादा लेकर चुनाव में उतरी हैं और निर्वाचन क्षेत्र में पहचान की राजनीति को कड़ा मुकाबला देने के सभी उपाय कर रही हैं।

उन्होंने ‘पीटीआई-भाषा’ से एक साक्षात्कार में कहा, “तृणमूल और कांग्रेस इस भ्रम में हैं कि नंदीग्राम में उम्मीदवारों के ध्रुवीकरण का नतीजा उनके पक्ष में होगा लेकिन सच यह है कि यहां लोग रोजगार चाहते हैं। भाजपा और तृणमूल दोनों युवाओं के लिए रोजगार उत्पन्न करने में विफल रहे हैं। इस विफलता का जवाब किसी भी तरह से ध्रुवीकरण नहीं हो सकता।”

मुखर्जी ने कहा कि एक अप्रैल को होने वाले चुनाव में उनके सामने बड़ी चुनौती है क्योंकि उन्हें दो दिग्गज नेताओं का सामना करना है।

उन्होंने कहा, “यह लड़ाई ध्रुवीकरण के खिलाफ है और इससे बंगाल में एक संदेश जाएगा। बंगाल के युवाओं को किसी भी और चीज से ज्यादा रोजगार चाहिए, राज्य को निवेश चाहिए।”

मुखर्जी ने कहा कि कृषि आधारित क्षेत्रों में पार्टी का पुराना दमखम फिर से बनाने के लिए माकपा की खोई हुई जमीन वापस हासिल करना जरूरी है।

नंदीग्राम बाजार में स्थित पार्टी के दो मंजिला कार्यालय को 2007 में भूमि अधिग्रहण आंदोलन के दौरान आग लगा दी गई थी जिसके बाद उसे फिर से बनाया गया और 2019 में पुनः खोला गया।

इसी कार्यालय में बैठकर मुखर्जी को लगता है कि तृणमूल और भाजपा दोनों ने अपने राजनीतिक हित के लिए स्थानीय लोगों को भ्रमित किया है।

उन्होंने कहा, “अब आप रहस्यों का खुलासा होते देख रहे हैं। नंदीग्राम आंदोलन स्थानीय लोगों को भ्रमित करने के लिए किया गया था। लोगों को इसका एहसास हो रहा है। वे हर जगह मेरा समर्थन कर रहे हैं।”

मुखर्जी ने कहा, “अगर हम जीतते हैं तो हम राज्य में निवेश वापस लाने के लिए काम करेंगे। इस बार लोग हमारे समर्थन में हैं। वे कभी उद्योग के खिलाफ नहीं थे। उन्हें एक झूठे आंदोलन से भ्रमित किया गया।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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