तीन साल का विल्सन, 72 घंटे बीत गए, 88 फुट की गहरायी में फंसा, लोग मांग रहे सलामती की दुआ

By भाषा | Updated: October 28, 2019 19:26 IST2019-10-28T19:26:43+5:302019-10-28T19:26:43+5:30

बचाव अभियान के चौथे दिन यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर नादुकट्टुनपट्टी गांव में बचाव अभियान को देखने के लिए कई पड़ोसी गांवों के लोग उमड़े हुए हैं। बच्चा शुक्रवार शाम को साढ़े पांच बजे अपने घर के समीप खेलते समय बोरवेल में गिर गया था।

Wilson, three years old, passed 72 hours, trapped in 88 feet deep, people praying for salutations | तीन साल का विल्सन, 72 घंटे बीत गए, 88 फुट की गहरायी में फंसा, लोग मांग रहे सलामती की दुआ

आयुक्त जे राधाकृष्णन ने कहा कि इसमें शामिल जटिलताओं को समझे बिना बचाव कदमों के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं।

Highlightsउचित गहरायी तक पहुंचने के वास्ते रविवार से एक और बोरवेल खोदने में जुटे हुए हैं।अब खुदाई के काम को तेज करने के लिए जर्मनी की मशीन को काम में लगाया गया है।

तमिलनाडु के तिरुचिरापल्ली जिले में एक बोरवेल में गिरा तीन साल का बच्चा 72 घंटों से अधिक समय से 88 फुट की गहरायी में फंसा हुआ है और पथरीली मिट्टी तथा बारिश के कारण बचाव अभियान बाधित होने से उसकी सलामती को लेकर चिंता बढ़ गयी है।

बचाव अभियान के चौथे दिन यहां से करीब 40 किलोमीटर दूर नादुकट्टुनपट्टी गांव में बचाव अभियान को देखने के लिए कई पड़ोसी गांवों के लोग उमड़े हुए हैं। बच्चा शुक्रवार शाम को साढ़े पांच बजे अपने घर के समीप खेलते समय बोरवेल में गिर गया था।

बचावकर्ता बच्चे को बाहर निकालने के लिए एक उचित गहरायी तक पहुंचने के वास्ते रविवार से एक और बोरवेल खोदने में जुटे हुए हैं और अब खुदाई के काम को तेज करने के लिए जर्मनी की मशीन को काम में लगाया गया है।

बचाव अभियान में आ रही चुनौतियों के बारे में बताते हुए राजस्व प्रशासन आयुक्त जे राधाकृष्णन ने कहा कि इसमें शामिल जटिलताओं को समझे बिना बचाव कदमों के बारे में सवाल उठाए जा रहे हैं। उन्होंने यहां पत्रकारों को बताया कि बोरवेल की मोटाई बहुत कम है और बच्चा पथरीली मिट्टी के बीच फंसा है। उन्होंने बताया कि शुरुआत में ‘‘क्लैम्पिंग’’ (जोर से पकड़ना) तकनीक का इस्तेमाल कर बच्चे को बाहर निकालने की कोशिश की गई लेकिन यह सफल नहीं हुई।

उन्होंने बताया कि बोरवेल के साथ ही रविवार से एक अन्य गड्ढा खोदा जा रहा है। अब बचाव अभियान को तेज करने के लिए लार्सन एंड टर्बो निर्मित ड्रिलिंग मशीन को काम में लगाया गया है। राधाकृष्णन ने बताया कि खुदाई के दौरान गति के संबंध में अतिरिक्त सावधानी बरतने की जरूरत है क्योंकि कंपन होने पर बोरवेल के पूरी तरह बंद होने की आशंका है और यह अहम चुनौती है। उन्होंने बताया कि भूवैज्ञानिकों ने कहा कि मिट्टी क्वार्ट्ज (एक तरह का चमकीला पत्थर) और फेल्डस्पार जैसी सख्त पत्थर से बनी है।

उन्होंने कहा, ‘‘मानक संचालन प्रक्रियाओं का पालन किया गया और हम इसे पेशेवर तरीके से कर रहे हैं...विशेषज्ञ की सलाह पर बचाव प्रयास पर फैसला लिया गया।’’ वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि कैमरों के जरिए की गई निगरानी से पता चला कि बच्चा करीब 88 फुट की गहरायी में फंसा हुआ है और उस पर थोड़ी मिट्टी गिर गयी है।

बच्चा एक ‘‘स्थिर जगह’’ पर है तथा बच्चे को और नीचे जाने से रोकने के लिए इस स्थान पर वायु बंद कर दी गई है। उन्होंने कहा, ‘‘मिट्टी को धंसने से रोकने के लिए सभी तकनीकी प्रयास किए गए।’’ उन्होंने यहां संवाददाताओं से कहा, ‘‘बचाव कार्यों को किसी भी कीमत पर बंद नहीं किया जाएगा। प्रयासों में कोई कसर नहीं छोड़ी जाएगी।

साथ ही हम बच्चे के माता-पिता को कोई झूठी उम्मीद नहीं देना चाहते हैं।’’ राष्ट्रीय और प्रदेश आपदा इकाई के कर्मी, दमकल एवं बचाव सेवाओं के कर्मी कार्रवाई के लिए तैयार हैं। हल्की बारिश के मद्देनजर इस स्थान को तिरपाल से ढंका गया है। स्वास्थ्य मंत्री और उनकी मंत्रिमंडल के सहकर्मी घटनास्थल पर डेरा डाले हुए हैं। राधाकृष्णन के नेतृत्व में शीर्ष सरकारी अधिकारी बचाव अभियान की निगरानी कर रहे हैं। एमडीएमके प्रमुख वाइको और स्थानीय कांग्रेस सांसद जोतिमणि समेत राजनीतिक दल के नेता घटनास्थल पर हैं। 

Web Title: Wilson, three years old, passed 72 hours, trapped in 88 feet deep, people praying for salutations

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