जाति आधारित जनगणना की मांग केंद्र के समक्ष उठाएंगे, राज्य स्तर पर कराने का विकल्प खुला: नीतीश

By भाषा | Updated: August 2, 2021 20:31 IST2021-08-02T20:31:37+5:302021-08-02T20:31:37+5:30

Will raise the demand of caste based census with the Center, option is open to conduct it at the state level: Nitish | जाति आधारित जनगणना की मांग केंद्र के समक्ष उठाएंगे, राज्य स्तर पर कराने का विकल्प खुला: नीतीश

जाति आधारित जनगणना की मांग केंद्र के समक्ष उठाएंगे, राज्य स्तर पर कराने का विकल्प खुला: नीतीश

पटना, दो अगस्त बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सोमवार को कहा कि वह जाति आधारित जनगणना की मांग को केंद्र सरकार के समक्ष उठाएंगे और इस मुद्दे पर असहमति की स्थिति में उनकी सरकार एक राज्य-विशिष्ट जनगणना के लिए 'विकल्प खुला' रखेगी।

कुमार की पार्टी जद (यू) केंद्र और राज्य में भाजपा की सहयोगी है। उन्होंने दोहराया कि बिहार में भावना सर्वसम्मति से जाति-आधारित जनगणना के पक्ष में है, जो "समाज के सभी वर्गों को लाभान्वित करेगी और अधिक प्रभावी शासन की सुविधा प्रदान करेगी।"

उन्होंने अपने साप्ताहिक जन संपर्क कार्यक्रम-‘जनता के दरबार में मुख्यमंत्री’ के मौके पर संवाददाताओं से कहा, "मैंने आज इस मुद्दे पर (प्रधानमंत्री को) पत्र लिखने की अपनी योजना के बारे में अधिकांश राजनीतिक दलों को सूचित कर दिया है। भाजपा को भी इसके बारे में सूचित किया गया है। हमें यह बताना होगा कि हम इस मुद्दे के बारे में क्या सोचते हैं। यह केंद्र पर निर्भर करता है कि वह हमारे अनुरोध को स्वीकार करे या अस्वीकार करे।"

सभी जातियों की जनगणना से सामाजिक तनाव पैदा होने की आशंका को सिरे से खारिज करते हुए कुमार ने कहा, "जब विधानसभा ने सर्वसम्मति से दो मौकों पर इसके समर्थन में प्रस्ताव पारित किया है, तो सभी दलों और सभी जातियों और धर्मों के सदस्यों ने इसका समर्थन किया। कोई संदेह नहीं होना चाहिए।"

यह देखते हुए कि कांग्रेस के नेतृत्व वाली पिछली संप्रग सरकार के दौरान हुए एसईसीसी (सामाजिक आर्थिक जातिगत जनगणना) के निष्कर्षों को "सांख्यिकीय सटीकता पर संदेह" के कारण सार्वजनिक नहीं किया गया था, बिहार के मुख्यमंत्री ने कहा, "इसलिए यह समझदारी होगी कि जब जनगणना चल रही हो तो लोगों की जाति आधारित गणना की जाए।"

उन्होंने कहा, "यह कम से कम एक बार होना चाहिए। इससे सभी सामाजिक वर्गों को लाभ होगा। शासन में भी सुधार होगा क्योंकि विभिन्न सामाजिक क्षेत्रों की बेहतरी के उद्देश्य से लक्षित योजनाएं अधिक प्रभावी हो जाएंगी।"

गौरतलब है कि हाल ही में सरकार ने जब संसद को सूचित किया कि इस तरह की कवायद केवल अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों के लिए प्रस्तावित की जा रही है, तब से बिहार में जाति-आधारित जनगणना के लिए मांगें काफी उठ रही हैं।

द्विसदनीय बिहार विधानमंडल ने सर्वसम्मति से 2019 के साथ-साथ 2020 में भी जाति-आधारित जनगणना के पक्ष में प्रस्ताव पारित किया था।

जद (यू) के संसदीय प्रतिनिधिमंडल ने दिन में दिल्ली में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की और जाति-आधारित जनगणना के समर्थन में एक ज्ञापन सौंपा।

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