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अधिवक्ताओं की हड़ताल की समस्या से निपटने के लिए विस्तृत आदेश पारित करेंगे: न्यायालय

By भाषा | Updated: September 20, 2021 20:51 IST

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नयी दिल्ली, 20 सितंबर उच्चतम न्यायालय ने सोमवार को कहा कि बार काउंसिल ऑफ इंडिया (बीसीआई) के कड़े रुख के बावजूद अदालतों में हड़ताल की समस्या मौजूद है। शीर्ष अदालत ने साथ ही कहा कि वह इस समस्या से निपटने के लिए एक विस्तृत आदेश पारित करेगा क्योंकि हड़ताल और अदालती कार्य से दूर रहने के कारण वादियों को परेशान होना पड़ता है।

शीर्ष अदालत ने कहा कि यदि वादियों को समय पर न्याय नहीं मिलता है तो यह कानून के शासन और न्याय वितरण प्रणाली की विश्वसनीयता को प्रभावित करेगा।

न्यायमूर्ति एम आर शाह और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना की पीठ ने मामले की अगली सुनवायी की तिथि 4 अक्टूबर तय करते हुए कहा, ‘‘अदालतों में कार्य के बहिष्कार को प्रोत्साहित नहीं करने को लेकर बीसीआई द्वारा दृढ़ रुख अपनाये जाने के बावजूद, हड़तालें आहूत की जा रही हैं और अदालत में कार्य का बहिष्कार किया जा रहा है। हम समस्या से निपटने के तरीके पर एक व्यापक विस्तृत आदेश पारित करना चाहेंगे।’’

शीर्ष अदालत ने यह भी संकेत दिया कि वह वकीलों की समस्याओं के समाधान के लिए स्थानीय स्तर पर शिकायत निवारण समितियों के गठन पर विचार कर सकती है।

उच्चतम न्यायालय की यह टिप्पणी बीसीआई के अध्यक्ष और वरिष्ठ अधिवक्ता मनन कुमार मिश्रा की दलीलों पर गौर करने के बाद आयी जिन्होंने कहा कि सभी बार काउंसिल के पदाधिकारियों की बैठक हुई और हड़ताल के मुद्दे पर विचार-विमर्श किया गया।

उन्होंने कहा कि स्टेट बार काउंसिल के सभी प्रतिनिधियों द्वारा एकमत से यह विचार व्यक्त किया गया कि अनावश्यक और अनुचित हड़ताल और कार्य बहिष्कार अच्छा नहीं है और बार निकायों को अधिवक्ताओं को ऐसा करने से हतोत्साहित करना चाहिए।

बीसीआई ने पहले शीर्ष अदालत को सूचित किया था कि उसने स्टेट बार काउंसिल की एक बैठक बुलाई है और वकीलों द्वारा हड़ताल को कम करने के लिए नियम बनाने का प्रस्ताव रखा है और उन अधिवक्ताओं के खिलाफ कार्रवाई शुरू करने का प्रस्ताव रखा गया है जो काम से दूर रहने के लिए सोशल मीडिया पर दूसरों को उकसाते हैं।

शीर्ष अदालत ने 26 जुलाई को कहा था कि उसने पिछले साल 28 फरवरी को अपना फैसला सुनाया था और बीसीआई और स्टेट बार काउंसिल को वकीलों द्वारा हड़ताल और काम से दूर रहने की समस्या से निपटने के लिए ठोस सुझाव देने का निर्देश दिया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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