शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति की बैठकों में भाग नहीं लेंगे: किसान संघों ने उच्चतम न्यायालय से कहा

By भाषा | Updated: January 20, 2021 20:22 IST2021-01-20T20:22:04+5:302021-01-20T20:22:04+5:30

Will not attend the meetings of the apex court appointed committee: Farmers' unions told Supreme Court | शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति की बैठकों में भाग नहीं लेंगे: किसान संघों ने उच्चतम न्यायालय से कहा

शीर्ष अदालत द्वारा नियुक्त समिति की बैठकों में भाग नहीं लेंगे: किसान संघों ने उच्चतम न्यायालय से कहा

नयी दिल्ली, 20 जनवरी कृषि कानूनों का विरोध कर रहे किसान संघों ने बुधवार को उच्चतम न्यायालय से कहा कि वे अपनी शिकायतों पर ध्यान देने के लिए अदालत द्वारा नियुक्त समिति द्वारा बुलाई गयी बैठकों और विचार-विमर्शों में शामिल नहीं होंगे। उन्होंने कहा कि वे चाहते हैं कि नये कृषि कानूनों को वापस लिया जाए।

शीर्ष अदालत ने किसान संघों की ओर से पक्ष रख रहे वकीलों से कहा कि वह बस गतिरोध का समाधान और शांति चाहती है, वहीं समिति को निर्णायक अधिकार नहीं दिये गये हैं और वह अपनी रिपोर्ट अदालत को ही सौंपेगी।

प्रधान न्यायाधीश एस ए बोबडे और न्यायमूर्ति ए एस बोपन्ना तथा न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की पीठ को किसान संघों की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता दुष्यंत दवे और वकील प्रशांत भूषण ने सूचित किया कि उनका पुरजोर विश्वास है कि कृषि कानून उनके हितों के विरुद्ध हैं।

भूषण ने कहा, ‘‘हमें अपने मुवक्किलों से यह बताने का निर्देश मिला है कि उन्होंने यह रुख अख्तियार किया है कि वे समिति द्वारा आयोजित बैठकों और संवाद में शामिल नहीं होंगे।’’

राजस्थान के किसान संगठन ‘किसान महापंचायत’ की याचिका पर वीडियो कॉन्फ्रेंस से सुनवाई करते हुए पीठ ने कहा, ‘‘आप समिति के समक्ष पेश नहीं होना चाहते, यह तो समझ में आता है, लेकिन किसी ने अपने विचार व्यक्त किये इसलिए उस पर आक्षेप लगाना उचित नहीं है। आप इस तरह किसी को नहीं कह सकते।’’

पीठ ने समिति के कुछ सदस्यों पर कुछ किसान संघों द्वारा लगाये गये आक्षेपों पर निराशा प्रकट की।

पीठ ने भूषण से इस बारे में विचार करने को कहा कि क्या समाधान निकाला जा सकता है। उसने कहा कि वह गतिरोध का समाधान और शांति चाहती है और केवल यह कहने से मदद नहीं मिलेगी कि वे समिति के समक्ष प्रस्तुत नहीं होंगे।

पीठ ने कहा कि उन्हें अपने मुवक्किलों को शांति लाने के लिए समझाना होगा।

उसने कहा, ‘‘लोकतंत्र में कानून को वापस लिये जाने के अलावा अदालत कानून को दरकिनार कर सकती है। इस समय कानून प्रभाव में नहीं है लेकिन यदि हम कृषि कानूनों को कायम रखते हैं तो आप आंदोलन शुरू कर सकते हैं। लेकिन केवल यह शर्त है कि दिल्ली की जनता शांति में रहे।’’

भूषण ने कहा कि उन्होंने अपने मुवक्किलों (प्रदर्शनकारी किसान संघों) को सलाह दी है कि शांति होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि किसान केवल दिल्ली के बाहरी रिंग रोड पर गणतंत्र दिवस मनाना चाहते हैं और शांति भंग करने का कोई प्रयास नहीं होगा।

उन्होंने कहा कि किसान संघों ने कहा है कि वे नये कृषि कानूनों में कोई संशोधन नहीं चाहते और वे केवल इन्हें रद्द कराना चाहते हैं क्योंकि राज्यसभा में विधेयकों पर कोई चर्चा नहीं हुई।

अटॉर्नी जनरल के के वेणुगोपाल ने केंद्र सरकार की तरफ से कहा कि अगर 5,000 ट्रैक्टरों को शहर में आने की अनुमति दी जाती है तो वे हर तरफ सड़कों पर दिखेंगे।

पीठ ने कहा कि ये मुद्दे ‘कार्यपालिका के क्षेत्र’ में हैं और अधिकारी भूषण के मुवक्किलों से मिलकर उनका यह बयान दर्ज कर सकते हैं कि पूरी तरह शांति होगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Will not attend the meetings of the apex court appointed committee: Farmers' unions told Supreme Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे