प्रधानमंत्री से मुलाकात करुंगी, त्रिपुरा हिंसा और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उठाऊंगी : ममता

By भाषा | Updated: November 22, 2021 19:25 IST2021-11-22T19:25:26+5:302021-11-22T19:25:26+5:30

Will meet PM, will raise issue of Tripura violence and BSF's jurisdiction: Mamata | प्रधानमंत्री से मुलाकात करुंगी, त्रिपुरा हिंसा और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उठाऊंगी : ममता

प्रधानमंत्री से मुलाकात करुंगी, त्रिपुरा हिंसा और बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र का मुद्दा उठाऊंगी : ममता

कोलकाता, 22 नवंबर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सोमवार को कहा कि वह दिल्ली की अपनी यात्रा के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात करेंगी और सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का मुद्दा तथा त्रिपुरा में हो रहे अत्याचारों का विषय भी उठाएंगी।

बनर्जी ने यह भी कहा कि त्रिपुरा में "पार्टी के कार्यकर्ताओं पर हमले" और एक युवा नेता सायनी घोष की गिरफ्तारी के विरोध में तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सांसदों के धरने में वह शामिल नहीं हो सकेंगी, लेकिन उनके साथ निश्चित तौर पर एकजुटता व्यक्त करेंगी।

तृणमूल कांग्रेस सूत्रों ने बताया कि राष्ट्रीय राजधानी की चार दिनों की यात्रा के दौरान बनर्जी के कई विपक्षी नेताओं से मिलने और 29 नवंबर से शुरू हो रहे संसद के आगामी शीतकालीन सत्र में भाजपा का मुकाबला करने के लिए अपनाये जा सकने वाले तरीकों पर चर्चा करने की संभावना है। जुलाई से दिल्ली की उनकी यह दूसरी यात्रा है।

मुख्यमंत्री ने दिल्ली रवाना होने से पहले संवाददाताओं से कहा, "अपनी दिल्ली यात्रा के दौरान, मैं प्रधानमंत्री से मिलूंगी। राज्य से संबंधित विभिन्न मामलों के अलावा, मैं बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढ़ाने के साथ-साथ त्रिपुरा हिंसा से संबंधित मुद्दों को उठाऊंगी।"

अमित शाह पर निशाना साधते हुए, टीएमसी प्रमुख ने कहा कि केंद्रीय गृह मंत्री ने "अभी तक शिष्टाचार नहीं दिखाया है" और टीएमसी सांसदों से मुलाकात नहीं की है, जो त्रिपुरा में हिंसा को लेकर उनसे मिलना चाहते हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे सांसदों ने केंद्रीय गृह मंत्री से मिलने का समय मांगा। वह (शाह) भले ही भारतीय जनता पार्टी से संबद्ध हों लेकिन उनके पास गृह मंत्रालय की कुर्सी भी है। मेरे सांसद सुबह से उनके कार्यालय के बाहर बैठे हुए हैं, लेकिन उनके प्रति कोई शिष्टाचार नहीं प्रदर्शित किया गया। उनसे किसी ने बात नहीं की, मिलने का समय नहीं दिया।’’

बिप्लब देब नीत भाजपा सरकार के तहत त्रिपुरा की स्थिति को भयानक बताते हुए बनर्जी ने आश्चर्य व्यक्त किया कि मानवाधिकार आयोग पूर्वोत्तर के इस राज्य में क्रूर ताकत का किये जा रहे इस्तेमाल का "संज्ञान क्यों नहीं ले रहा” है।

उन्होंने कहा, ‘‘त्रिपुरा में कोई लोकतंत्र नहीं है। हत्याएं हो रही हैं। हथियारों के साथ गुंडे पुलिस थानों में घुस जा रहे हैं। मैं बता नहीं सकती कि कितने लोगों को कोलकाता लाया गया और एसएसकेएम अस्पताल में भर्ती कराया गया, जिन्हें त्रिपुरा में चोटें आई थी। ’’

तृणमूल कांग्रेस प्रमुख ने सवाल किया, ‘‘वह (त्रिपुरा में भाजपा सरकार) घायलों का मूलभूत उपचार तक नहीं करा रही है। मानवाधिकार आयोग और वामपंथी अधिकार संगठन कहां हैं?’’

उन्होंने कहा, “त्रिपुरा के मुख्यमंत्री (बिप्लब देब) और उनकी सरकार उच्चतम न्यायालय के निर्देश की अवहेलना कर रही है। उन्हें आम लोगों को जवाब देना होगा। मैं शीर्ष अदालत से उनकी सरकार के खिलाफ कानून के अनुसार कार्रवाई करने की अपील करूंगी।”

उच्चतम न्यायालय ने त्रिपुरा सरकार से यह सुनिश्चित करने के लिए कहा है कि आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के लिए किसी भी राजनीतिक दल को "कानून के अनुसार अपने चुनावी अधिकारों का उपयोग करने और शांतिपूर्ण व व्यवस्थित तरीके से प्रचार करने से नहीं रोका जाए।”

बनर्जी ने दावा किया कि भाजपा डरी हुई है क्योंकि वह समझ गयी है कि आम आदमी का उस पर से भरोसा उठ गया है।

बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र में विस्तार के मुद्दे पर बात करते हुए बनर्जी ने कहा कि भाजपा अपने फायदे के लिए अर्द्धसैनिक बल का इस्तेमाल करने की कोशिश कर रही है।

उन्होंने कहा, ‘‘वे (बीएसएफ) दुश्मन नहीं हैं। वे भी मेरे दोस्त हैं। किसी इलाके में कानून व्यवस्था राज्य सूची का विषय है। भाजपा बीएसएफ जैसी एजेंसियों का इस्तेमाल अपनी पार्टी की गतिविधियों के लिए कर रही है। मैं इलाकों पर जबरन किसी को नियंत्रण नहीं करने दूंगी।

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