सीआईसी बताए ई-निगरानी मामले में अपील पर सुनवाई कब करेगा: अदालत

By भाषा | Updated: November 12, 2021 21:54 IST2021-11-12T21:54:17+5:302021-11-12T21:54:17+5:30

When will the CIC hear the appeal in the e-monitoring case: Court | सीआईसी बताए ई-निगरानी मामले में अपील पर सुनवाई कब करेगा: अदालत

सीआईसी बताए ई-निगरानी मामले में अपील पर सुनवाई कब करेगा: अदालत

नयी दिल्ली, 12 नवंबर दिल्ली उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को केंद्रीय सूचना आयोग (सीआईसी) से यह बताने के लिए कहा कि गृह मंत्रालय द्वारा इलेक्ट्रॉनिक निगरानी पर जानकारी प्रदान करने से इनकार करने के खिलाफ अपील पर सुनवाई में कितना समय लगेगा।

न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा के समक्ष याचिका सुनवाई के लिए आई थी जिन्होंने मामले को आगे की सुनवाई के लिए दो दिसंबर को सूचीबद्ध किया।

उच्च न्यायालय इंटरनेट फ्रीडम फाउंडेशन (आईएफएफ) के एक वकील, सह-संस्थापक और कार्यकारी निदेशक अपार गुप्ता की याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राज्य प्रायोजित इलेक्ट्रॉनिक निगरानी पर सांख्यिकीय जानकारी मांगने वाले उनके आरटीआई आवेदनों की अस्वीकृति को चुनौती दी गई थी।

याचिका का केंद्र सरकार के स्थायी वकील अनुराग अहलूवालिया ने विरोध किया और कहा कि याचिका विचारणीय नहीं है क्योंकि मामला पहले से ही सीआईसी के समक्ष लंबित है।

याचिका में कहा गया है कि आईएफएफ एक पंजीकृत धर्मार्थ न्यास है जो रणनीतिक मुकदमेबाजी और अभियानों के माध्यम से भारत में ऑनलाइन स्वतंत्रता, गोपनीयता और नवाचार का बचाव करता है।

अधिवक्ता वृंदा भंडारी के माध्यम से दायर याचिका में कहा गया है कि याचिकाकर्ता ने दिसंबर 2018 में सूचना का अधिकार अधिनियम के तहत छह आवेदन दायर किए थे, जिसमें जनवरी 2016 से दिसंबर 2018 के बीच आईटी अधिनियम की धारा 69 के तहत पारित आदेशों की संख्या का विवरण मांगा गया था, जिसमें इलेक्ट्रॉनिक निगरानी के लिए अनुमति दी गई थी। ।

इसने कहा कि गृह मंत्रालय ने मूल रूप से दावा किया था कि मांगी गई सूचना को राष्ट्रीय सुरक्षा के तहत छूट है और निर्णय के खिलाफ एक अपील दायर की गई थी और मामला प्रथम अपीलीय प्राधिकरण (एफएए) के पास गया, जिसने हस्तक्षेप करने से इनकार कर दिया।

इसके बाद, गुप्ता ने सीआईसी के समक्ष दूसरी अपील दायर की, जो इस बात से सहमत था कि मांगी गई जानकारी केवल सांख्यिकीय विवरण थी और दोनों पक्षों को सुनने के बाद मामले को एफएए को “मामलों पर फिर से विचार करने, उठाए गए मुद्दों की फिर से जांच करने, और बाद में एक तर्कसंगत मौखिक आदेश के साथ मामलों का फैसला करने के लिए भेज दिया।”

याचिका में कहा गया है कि सीपीआईओ ने एफएए के समक्ष तर्क दिया कि निगरानी के बारे में जानकारी अब उपलब्ध नहीं है क्योंकि 2009 के अवरोधन (इंटरसेप्शन) नियमों के प्रावधानों के मुताबिक हर छह महीने में रिकॉर्ड नष्ट हो जाते हैं और इसलिए, आरटीआई में किया गया अनुरोध अब बेमतलब हो गया है।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: When will the CIC hear the appeal in the e-monitoring case: Court

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे