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गंगा में लाशें तैर रही थीं तो योगी कहां थे, चुनाव आते ही ’अब्बा जान’ की याद आई: कांग्रेस

By भाषा | Updated: September 13, 2021 20:06 IST

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नयी दिल्ली, 13 सितंबर कांग्रेस ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ‘अब्बा जान’ वाले बयान को लेकर सोमवार को उन पर निशाना साधा और कहा कि कोरोना महामारी के समय गंगा में लाशें तैरने के समय योगी कहीं नहीं नजर नहीं आए, लेकिन अब चुनाव नजदीक आने पर अपने पुराने ढर्रे पर जाकर ‘अब्बा जान’ को याद करने लगे हैं।

पार्टी प्रवक्ता गौरव वल्लभ ने आदित्यनाथ पर ‘ओछी मानसिकता’ होने का आरोप लगाया और कहा कि लोगों को बांटने की यह तरकीब नहीं चलने वाली है।

उन्होंने संवाददाताओं से कहा, ‘‘ जिस मुख्यमंत्री को लखनऊ और कलकत्ता का भेद न पता हो, जिस मुख्यमंत्री को भारत और अमेरिका का भेद न पता हो, उस मुख्यमंत्री की बातों को गंभीरता से लेना, गंभीरता का अपमान करना है।’’

वल्लभ ने भाजपा पर तंज कसते हुए कहा, ‘‘अब्बा जान- भाई जान करते-करते हो गए सत्ता में विराजमान, चुनाव नजदीक आते ही वापस से शुरु कर दिया, श्मशान- कब्रिस्तान। कोरोना के दौरान आपकी लचर स्वास्थ्य व्यवस्था ने ले ली लाखों लोगों की जान, अब आपको पूरी तरह से उत्तर प्रदेश गया है, पहचान।’’

उन्होंने सवाल किया, ‘‘ जब लाखों लोगों की लाशें गंगा मैया में तैर रही थीं, तब योगी कहां थे? उस समय आप क्या कर रहे थे? जब उत्तर प्रदेश के लोग दिल्ली और मुम्बई से पैदल आ रहे थे, तब आप छिपकर कहां बैठे थे? उस समय आपका क्या शासन मॉडल था?’’

कांग्रेस नेता ने दावा किया कि विधानसभा चुनाव नजदीक आने पर ‘अब्बा जान’ की याद आ गई ताकि ध्रुवीकरण हो, लेकिन इस बार यह तरकीब नहीं चलने वाली है।

योगी आदित्यनाथ ने रविवार को कुशीनगर में एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए दर्शकों से पूछा था कि क्या उन्हें राशन मिल रहा है और 2017 से पहले यह राशन उन्हें कहां से मिल रहा था?

मुख्यमंत्री ने कहा था, ''क्योंकि तब 'अब्बा जान' कहे जाने वाले लोग राशन को खा जाते थे। कुशीनगर का राशन नेपाल और बांग्लादेश जाता था। आज अगर कोई गरीब लोगों के राशन को हथियाने की कोशिश करेगा, तो वह निश्चित रूप से जेल चला जाएगा।''

योगी आदित्यनाथ की ओर से आतंकवाद के मुद्दे पर कांग्रेस पर निशाना साधे जाने को लेकर भी गौरव वल्लभ ने उन पर पलटवार किया और कहा कि मुख्यमंत्री को पता होना चाहिए कि आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में बलिदान का कांग्रेस का पुराना इतिहास है और उसने अपने अनगिनत नेताओं और कार्यकर्ताओं को खोया है।

उन्होंने कहा, ‘‘आजादी के बाद देश के पहले आतंकवादी नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या की। इसके बाद हमने इंदिरा गांधी, राजीव गांधी, सरदार बेअंत सिंह, विद्याचरण शुक्ल, महेश कर्मा, नंद कुमार पटेल और कई अन्य नेताओं एवं कार्यकर्ताओं को आतंकवाद एवं उग्रवाद के खिलाफ लड़ाई में खोया। लेकिन वो लोग इस बलिदान को नहीं समझ सकते जिनके वैचारिक पूर्वज अंग्रेजों की मुखबिरी कर रहे थे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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