जब नरेन्द्र मोदी के पक्ष में लगे नारों से अटल बिहारी वाजपेयी को सताया तख्तापलट का डर!

By विकास कुमार | Updated: December 28, 2018 13:57 IST2018-12-28T13:47:22+5:302018-12-28T13:57:05+5:30

नरेन्द्र मोदी ने इस्तीफे की पेशकश तो की, लेकिन उनके प्रस्ताव के तुरंत बाद कार्यकारिणी में जमकर नारे लगने लगे,'ऐसा नहीं हो सकता.. बिल्कुल इस्तीफा नहीं होगा।' सभी लोग अपने सीट से उठकर नरेन्द्र मोदी के पक्ष में नारे लगाने लगे।

When Atal Bihari Vajpayee fears Coup after Gujrat riots in Goa Karyakarini | जब नरेन्द्र मोदी के पक्ष में लगे नारों से अटल बिहारी वाजपेयी को सताया तख्तापलट का डर!

जब नरेन्द्र मोदी के पक्ष में लगे नारों से अटल बिहारी वाजपेयी को सताया तख्तापलट का डर!

भारतीय जनता पार्टी के दो दिग्गज अटल बिहारी वाजपेयी और नरेन्द्र मोदी के रिश्तों की चर्चा बिना गुजरात दंगे के जिक्र के नहीं हो सकती है। गुजरात की राजनीति में नरेन्द्र मोदी का प्रवेश अटल बिहारी वाजपेयी के कारण ही हुआ था। उसके पहले गुजरात की राजनीति के दिग्गज भाजपा नेता शंकर सिंह वाघेला और संजय जोशी ने मोदी के महत्वकांक्षी रवैये को भांपते हुए उन्हें गुजरात से दूर ही रखा था, लेकिन प्रदेश में कमजोर होती भाजपा को पुर्नजीवित करने के लिए अटल बिहारी वाजपेयी ने दिल्ली से नरेन्द्र मोदी को गुजरात भेजा।  

27 फरवरी 2002 को गोधरा में साबरमती एक्सप्रेस में आग लगाये जाने के बाद गुजरात में बड़े पैमाने पर दंगे हुए। मुख्यमंत्री रहते नरेन्द्र मोदी पर दंगों को रोकने के लिए ठोस कदम नहीं उठाने के आरोप लगे। प्रधानमंत्री वाजपेयी गुजरात के पीड़ित इलाकों के दौरे पर गए।  वहां उन्होंने एक प्रेस कांफ्रेंस के दौरान कहा, 'नरेन्द्र मोदी को राजधर्म का पालन करना चाहिए। ' मोदी ने तुरंत तल्ख अंदाज में वाजपेयी की और देखते हुए कहा कि हम भी वही कर रहे हैं साहब! इसके तुरंत बाद प्रधानमंत्री वाजपेयी ने कहा कि उन्हें आशा है कि नरेन्द्र भाई ऐसा ही कर रहे हैं। 

गुजरात दंगों से अंतर्राष्ट्रीय शर्मिंदगी 

गुजरात दंगे के बाद मोदी सरकार की आलोचना विश्व स्तर पर हो रही थी। ऐसे में वाजपेयी पर नरेन्द्र मोदी का इस्तीफा लेने का दबाव बढ़ रहा था।  ऐसा कहा जाता है कि अटल बिहारी वाजपेयी नरेन्द्र मोदी को मुख्यमंत्री पद से हटाने का मन बना चुके थे, लेकिन उन्हें लाल कृष्ण आडवाणी का साथ नहीं मिला।  पार्टी के अन्य नेता भी मोदी के समर्थन में आ गए और वाजपेयी इस मामले में अकेले पड़ गए।  इस बीच गोवा में भाजपा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक होने वाली थी, जहां नरेन्द्र मोदी और गुजरात के ऊपर भी चर्चा होना था।  

वरिष्ठ पत्रकार शेखर गुप्ता के कार्यक्रम में अरुण शौरी ने बताया था, 'अटल बिहारी वाजपेयी, लाल कृष्ण आडवाणी, जसवंत सिंह और वे खुद एक ही प्लेन में सवार होकर गोवा की बैठक के लिए निकले थे। प्लेन में वाजपेयी और आडवाणी के बीच बातचीत नहीं हो रही थी। ऐसे में जसवंत सिंह ने दखल दिया और दोनों को मोदी के मुद्दे पर बातचीत करने को कहा। '

मोदी को आडवाणी का समर्थन 

लाल कृष्ण आडवाणी ने वाजपेयी से पूछा, क्या करना है? अटल जी ने कहा कि कम से कम उनको इस्तीफे की पेशकश तो करनी चाहिए। कार्यकारिणी की बैठक में जब अटल बिहारी वाजपेयी पहुंचे तो उन्हें इस बात का जरा भी अंदेशा नहीं था कि यहां मामला सब पहले से तय हो चुका है। उनके कहे अनुसार नरेन्द्र मोदी ने इस्तीफे की पेशकश तो की, लेकिन उनके प्रस्ताव के तुरंत बाद कार्यकारिणी में जमकर नारे लगने लगे, 'ऐसा नहीं हो सकता.. बिल्कुल इस्तीफा नहीं होगा। ' सभी लोग अपने सीट से उठकर नरेन्द्र मोदी के पक्ष में नारे लगाने लगे।  

जेटली और प्रमोद महाजन ने लिखी स्क्रिप्ट 

कहा जाता है कि इस नजारे को देखने के बाद वाजपेयी आश्चर्यचकित रह गए। उन्हें लगा कि उनका तख्तापलट होने वाला है। कहा जाता है कि इस मामले में उनके सबसे करीबी रहे प्रमोद महाजन ने भी उनका साथ नहीं दिया। यहां तक कहा जाता है कि इसका स्क्रिप्ट अरुण जेटली और प्रमोद महाजन ने साथ मिलकर लिखा था।  अटल बिहारी वाजपेयी भौचक्के आडवाणी को देखते रहे।  ऐसा कहा जाता है कि इस पूरे ड्रामे का डायरेक्टर खुद संघ था, जो पर्दे के पीछे से सारे चीजों को नियंत्रित कर रहा था।  ऐसा कहा जा रहा था कि मोदी के इस्तीफे के कारण विश्व हिन्दू परिषद नाराज हो सकता है।  

अटल बिहारी वाजपेयी एक शातिर राजनेता थे और वो पूरा माजरा समझ चुके थे। कार्यकारिणी के भाषण में उन्होंने अपने पहले के अंदाज से उलट अपने भाषणों में गुजरात दंगों के लिए मुस्लिम समुदाय को ही जिम्मेवार बताया। उन्होंने कहा, 'जहां भी मुस्लिम ज्यादा संख्या में रहते हैं, वहां के राजाओं को यह चिंता सताते रहती है कि इस्लाम कब आक्रमण रूप धारण कर ले। अगर गोधरा के ट्रेन में आग नहीं लगाये जाते तो गुजरात में दंगे नहीं भड़कते। ' 

2004 में जब भाजपा लोकसभा चुनाव हारी तो वाजपेयी ने एक इंटरव्यू में कहा था कि नरेन्द्र मोदी को नहीं हटाना उनकी हार के बड़े कारणों में से एक था। संघ ने उनके बयान को खारिज कर दिया था। हाल ही में लाल कृष्ण आडवाणी ने 'साहित्य अमृत' पत्रिका को दिए इंटरव्यू में कहा है कि मोदी दंगों के बाद इस्तीफा देने के लिए तैयार थे। नरेन्द्र मोदी के पक्ष में तैयार हुए माहौल ने अटल बिहारी वाजपेयी जैसे नेता को उस दौर में ही असुरक्षित महसूस कराया था।  

खैर, नरेन्द्र मोदी इन सब बातों के बीच भी अटल बिहारी वाजपेयी को अपना राजनीतिक गुरु मानते थे। उनकी अंतिम यात्रा में कई किलोमीटर पैदल चल कर मोदी ने उनके प्रति अपने प्रेम का प्रस्तुतिकरण किया था। अपने कार्यकाल में नरेद्र मोदी ने कई योजनाओं का नाम अटल बिहारी वाजपेयी के नाम से रखा है।  

 

Web Title: When Atal Bihari Vajpayee fears Coup after Gujrat riots in Goa Karyakarini

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