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क्या है आर्टिकल 35-A, जिस पर सुनवाई से पहले घाटी में अलगाववादी नेताओं ने बंद बुलाया

By रामदीप मिश्रा | Updated: February 24, 2019 14:11 IST

14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है।

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आर्टिकल 35-A पर सोमवार को सुप्रीम कोर्ट सुनवाई कर सकता है। इससे पहले रविवार (24 फरवरी) को अलगाववादी नेताओं ने बंद बुलाया, जिसको लेकर जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए हैं। इस दौरान जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में धारा 144 लागू कर दी गई है और कई अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लिया गया है। साथ ही साथ कइयों को नजरबंद रखा गया है। वहीं आज आपको जिस अनुच्छेद 35-ए पर सुप्रीम कोर्ट सुनवाई करने जा रहा है उसके बार में विस्तार से बताते हैं... 

क्या है अनुच्छेद 35-ए (आर्टिकल 35-A)

14 मई, 1954 को राष्ट्रपति डॉ राजेंद्र प्रसाद ने एक आदेश पारित किया था। इस आदेश के जरिए संविधान में एक नया अनुच्छेद 35-ए जोड़ दिया गया। संविधान की धारा 370 के तहत यह अधिकार दिया गया है। 35-ए संविधान का वह अनुच्छेद है जो जम्मू कश्मीर विधानसभा को लेकर प्रावधान करता है कि वह राज्य में स्थायी निवासियों को पारभाषित कर सके। वर्ष 1956 में जम्मू कश्मीर का संविधान बना, जिसमें स्थायी नागरिकता को परिभाषित किया गया है।

जम्मू कश्मीर के संविधान के मुताबिक, स्थायी नागरिक वह व्यक्ति है जो 14 मई 1954 को राज्य का नागरिक रहा हो या फिर उससे पहले के 10 सालों से राज्य में रह रहा हो और उसने वहां संपत्ति हासिल की हो। अनुच्छेद 35-ए की वजह से जम्मू कश्मीर में पिछले कई दशकों से रहने वाले बहुत से लोगों को कोई भी अधिकार नहीं मिला है। 1947 में पश्चिमी पाकिस्तान को छोड़कर जम्मू में बसे हिंदू परिवार आज तक शरणार्थी हैं।

एक आंकड़े के मुताबिक 1947 में जम्मू में 5 हजार 764 परिवार आकर बसे थे। इन परिवारों को आज तक कोई नागरिक अधिकार हासिल नहीं हैं। अनुच्छेद 35-ए की वजह से ये लोग सरकारी नौकरी भी हासिल नहीं कर सकते। और ना ही इन लोगों के बच्चे यहां व्यावसायिक शिक्षा देने वाले सरकारी संस्थानों में दाखिला ले सकते हैं।

जम्मू कश्मीर का गैर स्थायी नागरिक लोकसभा चुनावों में तो वोट दे सकता है, लेकिन वो राज्य के स्थानीय निकाय यानी पंचायत चुनावों में वोट नहीं दे सकता। अनुच्छेद 35-ए के मुताबिक अगर जम्मू कश्मीर की कोई लड़की किसी बाहर के लड़के से शादी कर लेती है तो उसके सारे अधिकार खत्म हो जाते हैं। साथ ही उसके बच्चों के अधिकार भी खत्म हो जाते हैं। इस अनुच्छेद को हटाने के लिए एक दलील ये भी दी जा रही है कि इसे संसद के जरिए लागू नहीं करवाया गया था।

अलगाववादी नेताओं को हिरासत में लिया

एक रिपोर्ट के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में यह कयास लगाये जा रहे हैं कि केंद्र सरकार राज्य से आर्टिकल 35A को हटाने के लिए के लिए अध्यादेश ला सकती है। इसका विरोध अलगाववादी नेता कर सकते हैं। हालांकि सुरक्षा व्यवस्था को कड़ी करने को लेकर कहा गया है कि  पुलवामा में आतंकी हमले के बाद से ही सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए, जिसमें अर्धसैनिक बलों की 100 कंपनियों की तैनाती की गई। इनमें से सबसे ज्यादा सीआरपीएफ और बीएसएफ की कंपनियों की तैनाती हुई है।

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