कोलकाताः पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार राज्य की प्रत्येक दुर्गा पूजा समिति को पचास-पचास हजार रुपये देगी। सीएम ने कहा कि सभी सादगी से मनाएं। पश्चिम बंगाल सरकार दुर्गा पूजा के लिए हॉकरों को दो-दो हजार रुपये देगी, 75 हजार हॉकरों की सूची तैयार होगी।
ममता बनर्जी ने कहा कि दुर्गा पूजा के दौरान, पंडाल को चारों तरफ से खुला रखने की आवश्यकता होती है। हाथ sanitisers को पंडालों के प्रवेश बिंदु पर रखा जाना चाहिए और मास्क पहनना अनिवार्य होना चाहिए। शारीरिक गड़बड़ी को बनाए रखने की जरूरत है। पंडालों में सांस्कृतिक कार्यक्रमों के आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी।
पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने राज्य की प्रत्येक दुर्गा पूजा समिति को पचास-पचास हजार रुपये उपलब्ध कराने की बृहस्पतिवार को घोषणा की। राज्य की करीब 37 हजार दुर्गा पूजा समितियों के लिए कई तरह की राहत की घोषणा करते हुए बनर्जी ने कहा कि दमकल विभाग, कोलकाता नगर निगम, अन्य नगर निकाय और पंचायत अपनी सेवाओं के लिए पूजा समितियों से किसी तरह का कर या शुल्क वसूल नहीं करेंगी।
उन्होंने कहा, ‘‘कोविड महामारी के चलते यह हम सभी के लिए कठिन समय रहा है। हमने राज्य की प्रत्येक दुर्गा समिति को पचास-पचास हजार रुपये उपलब्ध कराने का निर्णय किया है। हमने यह भी निर्णय किया है कि कलकत्ता विद्युत आपूर्ति निगम और राज्य विद्युत बोर्ड पूजा समितियों को 50 प्रतिशत छूट उपलब्ध कराएंगे।’’
बनर्जी ने समितियों से कहा कि वे महामारी के मद्देनजर खुले पंडाल लगाने की तैयारी करें और सुनिश्चित करें कि पंडालों में लोग मास्क लगाकर आएं। मुख्यमंत्री ने राज्य के 75 हजार हॉकरों को दो-दो हजार रुपये की मदद देने की भी घोषणा की क्योंकि लॉकडाउन की वजह से उन्हें काफी कठिनाइयों का सामना करना पड़ा है।
पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब करीब एक महीने का समय बचा
पश्चिम बंगाल के सबसे बड़े त्योहार दुर्गा पूजा में अब करीब एक महीने का समय बचा है। ऐसे में कोविड-19 महमारी के मद्देनजर सादगी से उत्सव मनाने की तैयारियां पूरे शहर में शुरू हो गई हैं और आयोजक संक्रमण को फैलने से रोकने के उपाय पर काम कर रहे हैं।
ज्वलंत विषयों की थीम पर पूजा पंडाल बनाने के लिए ख्याति प्राप्त दक्षिण कोलकाता के आयोजक समाजसेवी संघ ने इसबार अपने खुले पंडाल की दिशा बदलकर दक्षिणी एवेन्यू की ओर करने का फैसला किया है ताकि श्रद्धालु अपने वाहन में बैठक कर दूर से ही देवी दुर्गा की प्रतिमा का दर्शन कर सकें।
पूजा संघ के सचिव अरिजीत मोइत्रा ने बताया, ‘‘ प्रतिमा के ऊपर पंडाल होगा लेकिन बाकी तीन ओर से वह खुला होगा। चिकित्सा कर्मी पंडाल के पास ही आपातकालीन किट के साथ तैनात होंगे। स्वयंसेवी, लोगों को पंडाल के प्रवेश द्वार पर भीड़ लगाने नहीं देंगे।’’
उन्होंने कहा, ‘‘इस साल चीजें अलग होंगी...हमने पूजा पंडाल लगाने का बजट भी 60 लाख से कम कर 15 लाख कर दिया है। बचत की गई राशि सुंदरबन के 75 वंचित परिवारों में वितरीत की जाएगी।’’ मोहम्मद अली पार्क के एक और सबसे बड़े आयोजक ने इस साल तड़क-भड़क को छोड़ सादगी से पूजा आयोजित करने का फैसला किया है।
शराब विनिर्माताओं ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से त्योहारों और दुर्गा पूजा से पहले शराब पर मौजूदा कर ढांचे में बदलाव नहीं करने का आग्रह किया है। उनका कहना है कि इससे बाजार प्रभावित होगा साथ ही राज्य सरकार को राजस्व का नुकसान भी होगा।
पश्चिम बंगाल में सुरक्षा पर ध्यान केंद्रित करते हुए सादगी से दुर्गा पूजा मनाने की तैयारियां तेज
पूजा समिति के महासचिव अशोक ओझा ने कहा, ‘‘इस बार कम प्रकाश की व्यवस्था होगी और पंड़ाल छोटा होगा। देवी की प्रतिमा भी इस बार आठ फुट से ऊंची नहीं होगी।’’ दक्षिण कोलकाता में आकर्षण के केंद्र में रहने वाले भवानीपुर 75 पाली पूजा पंडाल में भी तैयारियां चल रही हैं कोविड-19 की जांच के बाद मजदूरों ने काम शुरू कर दिया है।
भवानीपुर 75 पाली समिति के पदाधिकारी सुबीर दास न कहा, ‘‘ हमारे पास सैनिटाइजर सुरंग होगी और सामाजिक दूरी सुनिश्चित की जाएगी। पंडाल तक जाने वाली सड़क के दोनों ओर अवरोधक नहीं लगाए जाएंगे।’’ हालांकि, कोलकाता नगर निगम के अधिकारी देबाशीष कुमार द्वारा संरक्षण प्राप्त त्रिधारा संमिलानी ने अभी तक पूजा की योजना तैयार नहीं की।
आयोजकों ने कहा कि वे इस साल उत्सव को लेकर दुविधा में हैं। कुमार ने कहा, ‘‘हमने प्रतिमा की बुकिंग कर ली है लेकिन पंडाल निर्माण का कार्य शुरू नहीं हुआ है। हम इस विचार के समर्थक नहीं हैं कि केवल कार से आने वाले ही देवी के दर्शन कर सकें। उनका क्या जो कई किलोमीटर पैदल चल पूजा पंडाल आते हैं? उन्होंने कहा, ‘‘अंतिम फैसला 25 सितंबर को मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की पूजा आयोजन समितियों के साथ होने वाली बैठक के बाद लिया जाएगा।’’
उत्तरी कोलकाता में पारंपरिक रूप से प्रतिमा बनाने वालों की बस्ती कुम्हारटोली के कलाकारों का कहना है कि इस साल पहले की तरह कारोबार नहीं है क्योंकि अधिकतर पूजा समितियों ने बजट में कटौती की है। एक कलाकार कांछी पॉल ने कहा कि इस साल उन्हें पहले के मुकाबले महज 30 प्रतिशत काम मिला।
उन्होंने कहा, ‘‘ लगभग सभी शीर्ष पूजा समितियों ने प्रतिमा की ऊंचाई आठ से 10 फुट रखने को कहा है जो सामान्य समय के मुकाबले कम से कम पांच फुट कम है। यह नयी सामान्य स्थिति है। हमें बदलती हुई परिस्थिति से सामंजस्य बनाना होगा।’’