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कल्याण योजनाएं केवल कागज पर, कुपोषण से मौत के मामले रोकने के लिए क्या कदम उठाये हैं महाराष्ट्र सरकार ने: अदालत

By भाषा | Updated: September 13, 2021 18:14 IST

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मुंबई, 13 सितंबर बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को कहा कि आदिवासी समुदायों के लिए कल्याणकारी योजनाएं केवल कागज पर हैं। अदालत ने पूछा कि महाराष्ट्र के आदिवासी क्षेत्रों में कुपोषण से बच्चों की मृत्यु रोकने के लिए राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है।

मुख्य न्यायाधीश दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति जी एस कुलकर्णी की खंडपीठ ने कहा कि अगर राज्य के मेलघाट इलाके में बच्चे अब भी कुपोषण से मर रहे हैं तो कल्याणकारी योजनाओं का कोई लाभ नहीं है।

इस क्षेत्र के कार्यकर्ता के रूप में सक्रिय याचिकाकर्ताओं ने अदालत को सूचित किया कि इस साल अगस्त से सितंबर के बीच कुपोषण तथा इलाके में डॉक्टरों की कमी की वजह से 40 बच्चों की मृत्यु हो गयी और 24 बच्चे मृत जन्मे।

अदालत ने कहा, ‘‘अगर इतनी बड़ी संख्या में बच्चों की मृत्यु हुई है तो इन सभी योजनाओं का क्या फायदा? ये योजनाएं केवल कागज पर हैं। हम जानना चाहते हैं कि बच्चों की मृत्यु क्यों हो रही है और राज्य सरकार क्या कदम उठा रही है।’’

उच्च न्यायालय 2007 में दाखिल एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी जिसमें मेलघाट क्षेत्र में कुपोषण की वजह से बच्चों, गर्भवती महिलाओं तथा स्तनपान कराने वाली महिलाओं की बड़ी संख्या में मृत्यु के मामलों को रेखांकित किया गया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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