Weather update: उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अगले पांच दिन तक तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना, जानें आखिर क्या है वजह

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 23, 2023 16:17 IST2023-02-23T16:15:59+5:302023-02-23T16:17:04+5:30

Weather update: आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘‘अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना है।’’

Weather update North-West, Central and East India temperature likely 3-5 degrees Celsius above normal next 5 days know what reason | Weather update: उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अगले पांच दिन तक तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना, जानें आखिर क्या है वजह

बदलाव और बढ़ती गर्मी के स्तर से उत्पन्न चुनौतियों को दूर कर सकती है। (file photo)

Highlightsउत्तर पश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान में उल्लेखनीय बदलाव की संभावना नहीं है।सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक होता है तो लू की घोषणा की जाती है।बदलाव और बढ़ती गर्मी के स्तर से उत्पन्न चुनौतियों को दूर कर सकती है।

Weather update: भारत मौसम विज्ञान विभाग (आईएमडी) ने बृहस्पतिवार को कहा कि उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत में अगले पांच दिन में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री अधिक दर्ज किए जाने का अनुमान है। देश के कई हिस्सों में पहले से ही अधिक तापमान दर्ज किया जा रहा है जो आमतौर पर मार्च के पहले सप्ताह में दर्ज किया जाता है।

इसने इस साल तीव्र गर्मी और लू को लेकर चिंताओं को बढ़ा दिया है। आईएमडी ने एक बयान में कहा, ‘‘अगले पांच दिनों के दौरान उत्तर-पश्चिम, मध्य और पूर्वी भारत के अधिकांश हिस्सों में अधिकतम तापमान सामान्य से तीन से पांच डिग्री सेल्सियस अधिक रहने की संभावना है।’’ विभाग ने कहा कि अगले दो दिनों के दौरान उत्तर पश्चिमी भारत में अधिकतम तापमान में उल्लेखनीय बदलाव की संभावना नहीं है।

हालांकि, इसके बाद पारा दो से तीन डिग्री सेल्सियस तक बढ़ने का अनुमान है। आईएमडी के एक अधिकारी ने कहा कि मार्च के पहले पखवाड़े में उत्तर पश्चिमी भारत के एक या दो मौसम संबंधी उपखंडों में पारा 40 डिग्री सेल्सियस और उससे अधिक तक बढ़ सकता है। मौसम विभाग ने फरवरी में असामान्य रूप से गर्म मौसम के लिए कई कारकों को जिम्मेदार ठहराया है, जिसमें मजबूत पश्चिमी विक्षोभ की अनुपस्थिति प्राथमिक कारण है। उल्लेखनीय है कि मजबूत पश्चिमी विक्षोभ वर्षा लाते हैं और तापमान को कम रखने में मदद करते हैं।

सोमवार को उत्तर-पश्चिमी, मध्य और पश्चिम भारत के अधिकांश स्थानों पर अधिकतम तापमान 35 डिग्री सेल्सियस से 39 डिग्री सेल्सियस के बीच दर्ज किया गया। राष्ट्रीय राजधानी के प्राथमिक मौसम केंद्र सफदरजंग वेधशाला में अधिकतम तापमान 33.6 डिग्री सेल्सियस तक पहुंचने के साथ दिल्ली में सोमवार को 1969 के बाद फरवरी का तीसरा सबसे गर्म दिन दर्ज किया गया।

शहर में 26 फरवरी 2006 को अधिकतम तापमान 34.1 डिग्री सेल्सियस और 17 फरवरी 1993 को अधिकतम तापमान 33.9 डिग्री सेल्सियस दर्ज किया गया था। मौसम विभाग ने सोमवार को कहा था कि सामान्य से अधिक तापमान का गेहूं और अन्य फसलों पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है।

आईएमडी ने कहा, ‘‘दिन के इस उच्च तापमान से गेहूं पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ सकता है क्योंकि फसल पकने के करीब आ रही है।’’ इस अवधि के दौरान उच्च तापमान उपज के लिए नुकसानदेह होता है। अन्य खड़ी फसलों और बागवानी पर भी इसी तरह का प्रभाव पड़ सकता है।

आईएमडी ने कहा कि अगर फसल पर दबाव दिखाई देता है तो किसान हल्की सिंचाई के लिए जा सकते हैं। आईएमडी ने कहा, ‘‘उच्च तापमान के प्रभाव को कम करने व मिट्टी की नमी को संरक्षित करने तथा उसके तापमान को बनाए रखने के लिए सब्जी की फसलों की दो पंक्तियों के बीच की जगह में गीली घास सामग्री रखें।’’

यदि किसी केंद्र का अधिकतम तापमान मैदानी इलाकों में कम से कम 40 डिग्री सेल्सियस, तटीय क्षेत्रों में कम से कम 37 डिग्री और पहाड़ी क्षेत्रों में कम से कम 30 डिग्री तक पहुंच जाता है और वह सामान्य से कम से कम 4.5 डिग्री अधिक होता है तो लू की घोषणा की जाती है।

केंद्रीय कृषि मंत्रालय ने सोमवार को कहा था कि उसने तापमान में वृद्धि से उत्पन्न स्थिति और गेहूं की फसल पर इसके प्रभाव, यदि कोई हो, की निगरानी के लिए एक समिति का गठन किया है। भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद ने गेहूं की एक नई किस्म भी विकसित की है जो मौसम के पैटर्न में बदलाव और बढ़ती गर्मी के स्तर से उत्पन्न चुनौतियों को दूर कर सकती है।

पिछले साल मार्च में, 1901 के बाद से देश में सबसे गर्म, गर्मी के कारण गेहूं की पैदावार में 2.5 प्रतिशत की गिरावट आई। मौसम विभाग ने उत्तर भारत में सक्रिय पश्चिमी विक्षोभ और दक्षिण भारत में किसी भी प्रमुख प्रणाली की अनुपस्थिति के कारण बारिश की कमी के लिए असामान्य गर्मी को जिम्मेदार ठहराया था। पूरे देश में सिर्फ 8.9 मिमी बारिश दर्ज की गई थी, जो 30.4 मिमी के दीर्घकालिक औसत से 71 प्रतिशत कम थी। 

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