हम अभी भी दुखी, परंतु न्याय मिलने की शांति है: निर्भया के माता-पिता

By भाषा | Updated: December 16, 2021 20:15 IST2021-12-16T20:15:33+5:302021-12-16T20:15:33+5:30

We are still sad, but there is peace to get justice: Nirbhaya's parents | हम अभी भी दुखी, परंतु न्याय मिलने की शांति है: निर्भया के माता-पिता

हम अभी भी दुखी, परंतु न्याय मिलने की शांति है: निर्भया के माता-पिता

(सलोनी भाटिया)

नयी दिल्ली, 16 दिसंबर राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक चलती बस में निर्भया के साथ सामूहिक बलात्कार की घटना के नौ साल बीत चुके हैं। निर्भया के माता-पिता को उसकी अभी भी कमी महसूस होती है, लेकिन उनका कहना है कि पिछले साल दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद उन्हें शांति मिली है।

तेईस वर्षीय फिजियोथेरेपी प्रशिक्षु को ‘निर्भया’ के रूप में जाना जाता है। उसे 16 दिसंबर, 2012 को दक्षिणी दिल्ली में एक चलती बस में बेरहमी से पीटा भी गया था। उस घटना के एक पखवाड़े के बाद उसकी मृत्यु हो गई थी। आरोपी के तौर पर एक किशोर समेत छह लोगों को नामजद किया गया। किशोर को सुधार गृह में तीन साल बिताने के बाद 2015 में रिहा कर दिया गया था जबकि चार दोषियों को 20 मार्च, 2020 को फांसी दे दी गई थी।

मामले की सुनवाई शुरू होने के कुछ दिनों बाद छठे आरोपी राम सिंह ने तिहाड़ जेल में कथित तौर पर आत्महत्या कर ली थी।

निर्भया के साथ हुई घटना की बरसी पर उसके पिता ने अपनी बेटी को याद करते हुए फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ से कहा, ‘‘हमें न्याय मिला है और इससे हमें अच्छा महसूस होता है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘जब यह घटना हुई थी, हर महिला के आंसू छलक पड़े थे और देश के सभी लोगों की भावनाएं हमारे साथ थीं। हर कोई जानना चाहता था कि उन्हें कब सजा दी जाएगी। सबके प्रयासों से ही हमें न्याय मिला है। यह सभी के लिए राहत की बात है। हम अभी भी दुखी हैं लेकिन हमें यह जानकर शांति है कि न्याय मिल गया है।’’

निर्भया की मां ने कहा कि हर साल जब यह दिन आता है तो वह तनाव में आ जाती हैं। उन्होंने कहा, ‘‘उन्होंने उस पर जिस तरह की क्रूरता की, उसके लिए उन्हें दंडित किया गया। यह हमारे लिए सांत्वना की बात है। नौ साल हो गए हैं और मुझे आज भी वह दिन अच्छी तरह याद है। मेरे लिए हर साल उस दिन को दोबारा जीना बहुत मुश्किल होता है। जब भी यह दिन आता है मैं तनाव में आ जाती हूं। मुझे सुबह से ही अच्छा नहीं लग रहा है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘हम एक गांव से आते हैं। हमने अपने जीवन में ऐसी स्थिति उत्पन्न होने के बारे में कभी नहीं सोचा था। हमने एक साधारण जीवन की कल्पना की थी। हमने अपने बच्चों को शिक्षित करने और उनके साथ रहने के बारे में सोचा था। लेकिन हमने जिस तरह की परिस्थितियों का सामना किया, हमने लड़ना सीखा और हमें बहुत सी बातें पता चलीं। यह मुश्किल था लेकिन लोगों ने हमारा समर्थन किया और हमें प्रेरित किया।’’

निर्भया के पिता ने कहा कि व्यवस्था में बहुत सारे बदलाव किए जाने हैं ताकि पीड़ितों के परिवारों को न्याय मिलना आसान हो सके। उन्होंने कहा कि दिल्ली की जेल नियमावली में ऐसे प्रावधान हैं जिनसे आरोपी को मदद मिलती है जबकि पीड़ित परिवार को परेशानी का सामना करना पड़ता है।

उन्होंने कहा, ‘‘जेल नियमावली में बदलाव की मांग के लिए एक जनहित याचिका दायर करने की भी हमारी योजना है। हमने गृह मंत्री अमित शाह से मुलाकात की थी और उन्होंने कहा था कि वे महिलाओं के लिए त्वरित न्याय सुनिश्चित करने के लिए कुछ करेंगे लेकिन महामारी के कारण हम उनसे दोबारा नहीं मिल सके। लेकिन हम चुप नहीं बैठने वाले हैं।’’

उन्होंने कहा कि बलात्कार की अन्य घटनाओं को उजागर नहीं किया जाता है। उन्होंने कहा कि व्यवस्था वास्तव में खराब है। उन्होंने कहा कि दोषियों को फांसी दिए जाने के बाद, वह और उनकी पत्नी अन्य पीड़ितों की मदद करना चाहते थे, जो इसी तरह की परिस्थितियों से गुजरी थीं, लेकिन महामारी के कारण उनकी योजनाएं पूरी नहीं हो सकी।

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