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गंगा की स्वच्छता की जिम्मेदारी हम सभी की है : आरिफ मोहम्मद खान

By भाषा | Updated: October 23, 2021 16:10 IST

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प्रयागराज, 23 अक्टूबर केरल के राज्यपाल आरिफ मोहम्मद खान ने शनिवार को यहां कहा कि गंगा के प्रति दक्षिण भारत में भी उतनी ही श्रद्धा है और इसको साफ रखने की जिम्मेदारी केवल सरकार की नहीं, बल्कि हम सभी की है।

उत्तर मध्य क्षेत्र सांस्कृतिक केन्द्र (एनसीजेडसीसी) में यंग लॉयर्स एसोसिएशन द्वारा “मोक्षदायिनी मां गंगा की अविरल एवं निर्मल धारा एवं इसकी संरक्षा” विषय पर आयोजित संगोष्ठी के मुख्य अतिथि आरिफ मोहम्मद खान ने कहा कि दक्षिण में गंगा नहीं है, लेकिन उनकी सांस्कृतिक मान्यताओं में भी गंगा की बात बहुत आदर के साथ होती है।

उन्होंने बताया कि 1857 की क्रांति की याद में केरल में 1957 में एक नाटक लिखा गया जो पूरा का पूरा गंगा पर आधारित है, लेकिन केरल में कम्युनिस्ट पार्टी के लोग अपनी पार्टी के प्रचार के लिए उस नाटक का इस्तेमाल करते हैं।

राज्यपाल ने कहा, हमारी विरासत तो गर्व करने लायक है, लेकिन क्या हमारे काम गर्व करने लायक हैं, इस पर विचार करना होगा। आज लोगों ने अपने स्वार्थ के आगे सभी चीजों को पीछे कर दिया है।

संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे राष्ट्रीय हरित अधिकरण के सदस्य न्यायमूर्ति सुधीर अग्रवाल ने बताया कि गंगा में 11,000 क्यूसेक लीटर प्रति सेकेंड पानी बहता है। लेकिन हम गंगा पर बैराज बनाकर उसे अविरल बहने नहीं दे रहे हैं।

उन्होंने कहा कि गंगा में पानी नहीं रहने से वह स्वच्छ नहीं रह सकती। बैराज के जरिए सिंचाई के लिए पानी उपलब्ध कराना आवश्यक है, लेकिन इसमें संतुलन नहीं रखा गया। अदालतों ने अपना कर्तव्य पूरी तरह से निभाया, लेकिन शासन तो सरकारें करती हैं।

न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा, “हम जज होकर फैसले दे सकते हैं, लेकिन उन फैसलों को लागू कैसे करें। ऐसी स्थिति में अदालतें अपने आप को असहाय पाती हैं। उच्चतम न्यायालय के 50 साल पुराने फैसले आज तक लागू नहीं हुए।”

उन्होंने कहा कि अदालतों के फैसले को लागू करने की सरकारों ने ईमानदार कोशिश नहीं की। विकास के नाम पर पर्यावरण का नुकसान सभी करते रहे। वर्ष 85-90 के बीच में दो गंगा एक्शन प्लान में 1,000 करोड़ रुपये खत्म हो गया, वह पैसा कहां गया। कैग ने इस खर्च को लेकर गंभीर आपत्तियां की थीं, लेकिन उसका कुछ नहीं हुआ।

सरकारी तंत्र पर व्यंगात्मक टिप्पणी करते हुए न्यायमूर्ति अग्रवाल ने कहा, “मुझे लगता है कि जो अधिकारी इसको लागू करने के जिम्मेदार थे, उन्होंने भी इस पैसे को गंगाजल माना और डिब्बे में भरकर अपने घर ले गए।”

उन्होंने कहा, “मैं जिम्मेदारी से कह सकता हूं कि आज 2021 हो गया, पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने के मामले में किसी एक भी अधिकारी को सजा नहीं हुई। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने और भ्रष्टाचार करने के लिए आजतक ना किसी अधिकारी से वसूली हुई, ना निलंबन हुआ।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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