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नाबालिग बेटी के यौन उत्पीड़न मामले में आरोपी व्यक्ति के खिलाफ वारंट जारी किया गया: पुलिस

By भाषा | Updated: November 29, 2021 21:58 IST

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नयी दिल्ली, 29 नवंबर दिल्ली पुलिस ने सोमवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि एक ऐसे व्यक्ति के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी किया गया है, जो उसकी बेटी की शिकायत पर दर्ज मामले में आरोपी है। शिकायत में युवती ने कहा है कि नाबालिग होने पर उसके पिता ने उसका कथित तौर पर यौन उत्पीड़न किया था।

पुलिस ने न्यायमूर्ति ए.एम. खानविलकर और न्यायमूर्ति सी.टी. रविकुमार की पीठ से कहा कि 24 नवंबर को गैर जमानती वारंट जारी किया गया है और इस पर कार्रवाई के लिए कुछ समय दिया जाए।

याचिकाकर्ता की ओर से पेश अधिवक्ता अक्षिता गोयल ने पीठ को बताया कि आरोपी ने इस सप्ताह यहां एक अदालत के समक्ष अग्रिम जमानत का अनुरोध करते हुए एक आवेदन दाखिल किया था और उसके हलफनामे पर दिल्ली में हस्ताक्षर किए गए हैं।

पीठ ने दिल्ली सरकार और पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रहे वकील से कहा, ‘‘यह आश्चर्यजनक है कि वह अग्रिम जमानत दाखिल कर रहे हैं और आपको इसके बारे में कोई सूचना नहीं है।’’

वकील ने कहा कि वह इस मुद्दे पर जानकारी लेंगे।

पीठ ने अपने आदेश में कहा, ‘‘याचिकाकर्ता के वकील का कहना है कि राज्य के लिए पेश होने वाले वकील को दी गई जानकारी सटीक नहीं है। आरोपी ने अग्रिम जमानत के लिए आवेदन दिया है और उसकी प्रति लोक अभियोजक को पहले ही तामील की जा चुकी है।’’

न्यायालय ने मामले में अगली सुनवाई की तिथि तीन दिसंबर तय की।

शुरुआत में, पीठ ने पुलिस की ओर से पेश वकील से पूछा कि क्या आरोपी का पता लगा लिया गया है।

वकील ने कहा कि एनबीडब्ल्यू 24 नवंबर को जारी किया गया है और संबंधित जिला अदालत के समक्ष अगली तारीख 24 दिसंबर है।

इस साल सितंबर में पुलिस ने उच्चतम न्यायालय को बताया था कि इस मामले में एक नियमित प्राथमिकी दर्ज की गई है जिसमें 19 वर्षीय युवती ने आरोप लगाया है कि जब वह नाबालिग थी तो उसके पिता ने उसका यौन शोषण किया था।

उच्चतम न्यायालय युवती द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसने उसकी शिकायत पर दर्ज मामले को हरियाणा के अंबाला से दिल्ली स्थानांतरित करने का अनुरोध किया है।

युवती ने अधिवक्ता अभिनव अग्रवाल के माध्यम से दायर अपनी याचिका में दावा किया है कि जब वह नाबालिग थी तब उसके पिता ने उसका यौन उत्पीड़न किया था और 2016 में उसकी मां का निधन हो गया था, परिवार में उसकी देखभाल करने वाला कोई नहीं है।

शुरू में, युवती की शिकायत पर यहां एक ‘जीरो’ प्राथमिकी दर्ज की गई थी और अधिकार क्षेत्र के मुद्दे के कारण इसे अंबाला स्थानांतरित कर दिया गया था। ‘जीरो’ प्राथमिकी किसी भी पुलिस थाने में दर्ज की जा सकती है और फिर इसे संबंधित पुलिस थाने को भेज दिया जाता है जिसके अधिकार क्षेत्र में यह मामला आता है।

युवती ने अपनी याचिका में कहा है कि वह 22 जुलाई को घर से निकलकर अपने एक रिश्तेदार के घर गई थी और अगले दिन उसने डीसीडब्ल्यू से संपर्क किया था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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