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सबके साथ सामंजस्य बना कर चलना वोरा जी की खासियत थी: जनार्दन द्विवेदी

By भाषा | Updated: December 21, 2020 19:54 IST

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नयी दिल्ली, 21 दिसंबर कांग्रेस के पूर्व संगठन महासचिव जनार्दन द्विवेदी ने पार्टी के वरिष्ठ नेता मोतीलाल वोरा के निधन पर दुख व्यक्त करते हुए सोमवार को कहा कि वोरा के रूप में राजनीति का एक प्रतीक चला गया। उन्होंने कहा कि वोरा ने एक राजनेता के तौर पर अपने व्यवहार में हमेशा यह ध्यान रखा कि उनके सामने कोई भी उपेक्षित अनुभव न करे।

लगभग डेढ़ दशक तक कांग्रेस के कोषाध्यक्ष रहे वोरा का कोरोना वायरस संक्रमण के बाद हुई स्वास्थ्य संबंधी जटिलताओं के कारण सोमवार को निधन हो गया। वह 93 साल के थे। रविवार को ही उनका जन्मदिन था।

कांग्रेस मुख्यालय में पार्टी पदाधिकारी के तौर पर वर्षों तक वोरा के घनिष्ठ सहयोगियों में माने जाने वाले द्विवेदी ने कहा, ‘‘जैसा एक राजनीतिक कार्यकर्ता और नेता को होना चाहिए वोरा एकदम वैसे ही थे।’’

‘पीटीआई-भाषा’ से बातचीत में द्विवेदी ने कहा, ‘‘कार्यकर्ता के रूप में सरलता, अपने काम में लगे रहना और नेता के रूप में ऐसा व्यवहार करना कि कोई उपेक्षित अनुभव नहीं करे। उन्होंने जीवन भर ऐसा व्यवहार किया।’’

कांग्रेस में आने से पहले मोतीलाल वोरा और जनार्दन द्विवेदी एक समय एक ही पार्टी में थे। साठ के दशक में मोतीलाल वोरा रायपुर में संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी के जिला महासचिव थे और जनार्दन द्विवेदी समाजवादी युवजन सभा के केंद्रीय कार्यालय के प्रभारी थे।

द्विवेदी का मानना था कि सबको साथ लेकर चलना और सामंजस्य व संतुलन बनाकर रखना उनके बहुत सारे गुणों में एक था।

उन्होंने कहा, ‘‘मध्य प्रदेश जैसे राज्य में जहां तब अर्जुन सिंह, श्यामाचरण शुक्ल और माधवराव सिंधिया जैसे कद्दावर नेता थे, मुख्यमंत्री के तौर पर सबका प्रिय होना कोई आसान काम नहीं था। मुख्यमंत्री के लिए उनके नाम का प्रस्ताव अर्जुन सिंह ने किया था, लेकिन बाद के दिनों में राज्य के लोग कहते थे, वहां ‘मोती-माधव’ एक्सप्रेस चल रही है।’’

द्विवेदी ने कहा, ‘‘संभवत: राज्यमंत्री से सीधे मुख्यमंत्री बनने वाले वह अकेले थे। यह उनके व्यवहार का ही परिणाम था कि वह लगातार किसी न किसी ऐसे पद पर रहे, जहां उन्हें अपने कर्तव्य का उत्तम निर्वहन करने का अवसर मिला।’’

द्विवेदी ने कहा, ‘‘ऐसी बहुत सी घटनाएं हैं, जहां वोरा ने बहुत महत्वपूर्ण भूमिकायें निभायीं, लेकिन इस समय उन सबका जिक्र नहीं करना चाहता। लखनऊ का बहुचर्चित गेस्ट-हाउस कांड अब भी लोगों को याद है और यह भी याद है कि तब किस तरह और किन हालात में राज्यपाल के तौर पर उन्होंने बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती को मुख्यमंत्री पद की शपथ दिलाई थी।’’

उन्होंने कहा, ‘‘वोरा जी का निधन मेरे लिए व्यक्तिगत क्षति है। मैंने अपना घनिष्ठ मित्र खो दिया है। एक दिन पहले ही मैंने उनके जल्द स्वस्थ होने की कामना के साथ अस्पताल में उन्हें फूल भिजवाए थे और खुश होते हुए उन्होंने अपने परिवार जनों से कहा कि वह मुझसे बात करना चाहते हैं। ऐसी थी हमारी मित्रता।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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