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स्वेच्छा से दी गई रिश्वत ली जा सकती है : बसपा विधायक

By भाषा | Updated: September 28, 2021 18:14 IST

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भोपाल, 28 सितंबर मध्यप्रदेश से बहुजन समाज पार्टी (बसपा) की विधायक रामबाई सिंह ने अधिकारियों से कथित तौर पर यह कहकर विवाद पैदा कर दिया है कि वे आटे में नमक की तरह स्वेच्छा से दी गई रिश्वत स्वीकार कर सकते हैं लेकिन यदि लोगों से पूरी थाली छीन लेते हैं तो यह मंजूर नहीं होगा ।

प्रदेश के पंचायत अधिकारियों की मौजूदगी में दमोह जिले में विधायक रामबाई और उनके चुनाव क्षेत्र पथरिया के कुछ ग्रामीणों के बीच बातचीत का एक वीडियो सोशल मीडिया में वायरल हो गया है।

रामबाई ने अधिकारियों से कहा कि वे कुछ ग्रामीणों से कथित रुप से लिए गए धन को वापस करें। ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि उन्हें प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत धन जारी करने के लिए अलग अलग राशि की रिश्वत देनी पड़ी।

यह वीडियो रविवार को पथरिया विधानसभा क्षेत्र के सतौआ गांव में शूट किया गया था।

वायरल वीडियो में रामबाई एक कमरे में यह पूछती हुई दिख रही हैं, कि पीएम आवास योजना के तहत धनराशि जारी करने के लिए किसने पैसे दिए हैं, तब फर्श पर बैठे कम से कम छह ग्रामीण यह कहते हुए खड़े हो गए कि उन सबने पांच से नौ हजार रुपए के बीच भुगतान किया है।

विधायक फिर पूछती हैं कि उन्होंने किसको पैसा दिया। इस पर ग्रामीणों ने कुर्सियों पर बैठे दो लोगों (पंचायत सचिव और रोजगार सहायक) की ओर इशारा किया। इसके बाद रामबाई दोनों अधिकारियों को यह कहते सुनाई दे रही हैं कि अगर आप 500 या 1000 रुपये लेते तो कोई समस्या नहीं होती, देखिये यह आटे में नमक की तरह होना चाहिए लेकिन अगर आप ग्रामीणों से पूरी थाली (खाना) छीन लेंगे तो इसकी अनुमति नहीं है।

रामबाई ने अधिकारियों को बताया कि ये ग्रामीण छह हजार रुपए प्रति माह कमाने के लिए कड़ी मेहनत करते हैं और आजीविका कमाने के लिए दूसरे राज्यों में जाते हैं। इसे वे (अधिकारी) ले गए। इसके बाद रामबाई ने अधिकारियों से ग्रामीणों को पैसा वापस करने को कहा।

घटना के बारे में पूछे जाने पर दमोह के जिला कलेक्टर एस कृष्ण चैतन्य ने कहा कि उन्हें अभी तक इस मामले में कोई शिकायत नहीं मिली है।

कृष्णा चैतन्य ने कहा कि वीडियो सामने आने के बाद उन्होंने पथरिया जनपद के सीईओ को ग्रामीणों द्वारा लगाए गए आरोपों की जांच करने का निर्देश दिया है।

बसपा विधायक ने संपर्क करने पर मंगलवार को पीटीआई भाषा को बताया कि मध्यप्रदेश और भारत में सरकारी व्यवस्था की समान स्थिति है।

उन्होंने कहा, ‘‘ मुझे कई मौकों पर पैसे (लोगों द्वारा रिश्वत के रुप में दिए गए) वापस मिल गए हैं। मुझे शिकायत करने की जरुरत नहीं लेकिन मामले को मौके पर निपटाया। यदि मैं वरिष्ठ अधिकारियों को शिकायत करती तो वह इन कर्मचारियों से मामले के निपटारे के लिए पैसे लेगें। मैं उनके लिए लिए समस्या पैदा नहीं करना चाहती और इसे मौके पर ही सुलझाना चाहती हूं।’’

उन्होंने दावा किया कि शिकायत (रिश्वत के खिलाफ) से कोई परिणाम नहीं निकलता है। बसपा नेता ने कहा कि ऐसे मामलों में कई अधिकारी और कर्मचारी निलंबित हो जाते हैं लेकिन बाद में कुछ समय बाद उन्हें बहाल कर दिया जाता है।

रामबाई ने कहा, ‘‘ पंचायत सचिव और रोजगार सहायक का वेतन कम होता है जबकि महंगाई अधिक है। यदि वे दूर गांवों से आ रहे हैं तो यदि कोई स्वेच्छा से देता है तो वह पैसे स्वीकार कर सकते हैं लेकिन वे ग्रामीणों को नौ हजार या दस हजार रुपये देने के लिए मजबूर नहीं कर सकते हैं। यह मैंने उस समय कहा था।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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