विश्व भारती विश्वविद्यालय में क्यों छिड़ता रहा है 'संग्राम', 2019 से अब तक 11 फैकल्टी सस्पेंड, जानें पूरा मामला
By विनीत कुमार | Updated: September 9, 2021 15:11 IST2021-09-09T15:10:45+5:302021-09-09T15:11:11+5:30
विश्व भारती विश्वविद्यालय पिछले कुछ दिनों से प्रदर्शनों आदि की वजह से सुर्खियों में रहा है। प्रदर्शन करने वालोंं में छात्र और शिक्षक दोनों शामिल रहे हैं। खासकर वाइस चांसलर विद्यूत चक्रवर्ती को लेकर सवाल उठाए जाते रहे हैं।

विश्व भारती विश्वविद्यालय (फोटो- सोशल मीडिया)
कोलकाता: पश्चिम बंगाल का प्रतिष्ठित विश्व भारती विश्वविद्यालय एक बार फिर लगातार कई विरोध प्रदर्शनों की वजह से चर्चा में है। खासकर पिछले महीने की 23 तारीख को तीन छात्रों को निष्कासित किए जाने के बाद से कई प्रदर्शन हो रहे थे।
कलकत्ता हाई कोर्ट ने हालांकि बुधवार को इन तीन छात्रों को दोबारा कक्षाओं में शामिल होने की अनुमति दे दी थी। इससे यूनिवर्सिटी में हालात के फिर सामान्य होने की उम्मीद जताई जा रही है।
इंडियन एक्सप्रेस की रिपोर्ट के अनुसार अक्टूबर 2018 में वाइस चांसलर विद्यूत चक्रवर्ती के यहां पदभार संभालने के बाद से ही विश्वविद्यालय में कई मौकों पर विरोध प्रदर्शनों का सिलसिला जारी है। प्रदर्शन करने वालों में शिक्षक और छात्र दोनों शामिल हैं।
नवंबर 2019 से 22 स्टाफ किए जा चुके हैं निलंबित
रिपोर्ट के अनुसार फैकल्टी सदस्यों का आरोप है कि निलंबित करने की संख्या पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ी है। नवंबर 2019 से अब तक 22 स्टाफ निलंबित किये जा चुके हैं। इसमें 11 फैकल्टी हैं। यही नहीं इस अवधि में 150 से ज्यादा कारण बताओ नोटिस भी जारी किए गए हैं।
कुछ निलंबित फैकल्टी सदस्यों का कहना है कि उन्हें कई अलग-अलग कारणों के लिए निलंबित किया गया है। इसमें एक कारण केंद्रीय विश्वविद्य़ालय में अनियमितता को लेकर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चिट्ठी लिखना भी शामिल है।
इसके अलावा कई का आरोप है कि उन्हें ड्यूटी में लापरवाही, वित्तीय अनियमितता सहित कई और कारण बताकर सस्पेंड किया गया। पांच लोगों ने अपने निलंबन को कोर्ट में चुनौती भी दी है। बहरहाल इन तमाम मुद्दों पर वीसी चक्रवर्ती या यूनिवर्सिटी के पीआरओ अनिर्बान सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं मिल सकी है।
सस्पेंड किए गए विश्व भारती फैकल्टी असोसिएशन के प्रेसिडेंट और अर्थशास्त्र के प्रोफेसर भट्टाचार्य ने आरोप लगाया, 'जिन लोगों ने वीसी की बात नहीं मानी या उनके कामकाज के खिलाफ बात नहीं की, वे इसे भुगत रहे हैं।
उन्होंने कहा, 'भौतिकी विभाग के एक शिक्षक को एक प्रोफेसर से मिलने के लिए निलंबित कर दिया गया था, जो मेरे खिलाफ आरोपों की जांच कर रही एक समिति का नेतृत्व कर रहा था। क्या यह निलंबन का कारण हो सकता है? दोनों शिक्षक घनिष्ठ मित्र हैं।'
प्रोफेसर भट्टाचार्य ने कहा, 'विश्वविद्यालय ने मुझे एक महिला सहकर्मी के खिलाफ अपमानजनक टिप्पणी करने के लिए निलंबित कर दिया जबकि ये आरोप गलत है।
उन्होंने आगे कहा, हममें से कुछ लोगों ने विश्व भारती के चांसलर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ को कुलपति के खिलाफ एक मेल लिखा था। ये कोई अपराध नहीं हैं जो निलंबन के लिए आधार हो सकते हैं।'
वहीं, एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने नाम न छापने की शर्त पर कहा कि उन्हें इस साल 13 मार्च को 'अपने विभाग में काम को लेकर लापरवाही के लिए निलंबित कर दिया गया था।