बजट का हवाला देकर स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार के उल्लंघन को सही नहीं ठहराया जा सकता: एनजीटी

By भाषा | Updated: June 13, 2021 15:30 IST2021-06-13T15:30:06+5:302021-06-13T15:30:06+5:30

Violation of right to clean environment cannot be justified by referring to budget: NGT | बजट का हवाला देकर स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार के उल्लंघन को सही नहीं ठहराया जा सकता: एनजीटी

बजट का हवाला देकर स्वच्छ पर्यावरण के अधिकार के उल्लंघन को सही नहीं ठहराया जा सकता: एनजीटी

नयी दिल्ली, 13 जून राष्ट्रीय हरित अधिकरण (एनजीटी) ने राजस्थान के बीकानेर में एक मलजल शोधन संयंत्र की रिपोर्ट पर नगर निकाय प्राधिकारियों को फटकार लगाते हुए कहा कि जल कानून और स्वच्छ पर्यावरण के नागरिकों के अधिकार के उल्लंघन को बजट संबंधी सीमाओं का हवाला देकर सही नहीं ठहराया जा सकता।

एनजीटी अध्यक्ष न्यायमूर्ति आदर्श कुमार गोयल की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि शपथपत्र दायर करने वाले अधिकारी को राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड की जिम्मेदारियों एंव कानून की आवश्यक जानकारी नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेश के मद्देनजर जल कानून और स्वच्छ पर्यावरण के नागरिकों के अधिकार के उल्लंघन को बजट संबंधी सीमाओं का हवाला देकर सही नहीं ठहराया जा सकता।’’

उसने कहा, ‘‘उच्चतम न्यायालय के आदेशानुसार, धन का कोई अन्य स्रोत नहीं होने पर क्षेत्र के नागरिकों से धन जुटाया जाएगा और ऐसा नहीं करने पर संबंधित दोषी अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।’’

नोखा में नगर निगम बोर्ड के कार्यकारी अधिकारी ने अधिकरण को बताया था कि पर्याप्त बजट न होने के कारण मौजूदा मलजल शोधन संयंत्र (एसटीपी) की मरम्मत और संचालन नहीं किया जा सका। एनजीटी ने आदेश के अनुपालन के लिए प्राधिकारियों को आखिरी मौका दिया, जिसमें विफल रहने पर स्थानीय निकाय / शहरी विकास / स्थानीय स्वशासन विभाग जैसे संबंधित विभागों के सचिव और राज्य पीसीबी के सदस्य सचिव को राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 (एनजीटी अधिनियम) की धारा 25 और 26 के तहत निर्धारित कठोर कदम उठाकर व्यक्तिगत रूप से जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

पीठ ने कहा, ‘‘एनजीटी अधिनियम की धारा 26 के तहत, इस अधिकरण के आदेश का उल्लंघन एक अपराध है जिसके तहत तीन साल तक की कैद और 10 करोड़ रुपये तक का जुर्माना हो सकता है। एनजीटी अधिनियम, 2010 की धारा 25 के तहत, इस आदेश को दीवानी अदालत की आज्ञानुसार क्रियान्वित किया जाता है।’’

उसने कहा, “उल्लंघन करने पर नागरिक प्रक्रिया संहिता, 1908 की धारा 51 के तहत, दीवानी कारावास या किसी अन्य आदेश का प्रावधान है। किसी अन्य आदेश में दोषी अधिकारियों के वेतन को रोकना शामिल हो सकता है। यदि आदेश का पालन फिर भी नहीं किया जाता, तो अधिकरण उपयुक्त ठोस कार्रवाई करेगा।’’

एनजीटी ने राज्य पीसीबी के सदस्य सचिव और संबंधित विभाग के सचिव को 21 सितंबर को अनुपालन की स्थिति संबंधी रिपोर्ट के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए सुनवाई में व्यक्तिगत रूप से उपस्थित होने का निर्देश दिया। अधिकरण ने बीकानेर के नोखा गांव में कृषि भूमि पर अशोधित मलजल और औद्योगिक अपशिष्ट छोड़े जाने को लेकर राजस्थान निवासी भंवर लाल भार्गव द्वारा दायर एक याचिका पर सुनवाई के दौरान यह आदेश दिया।

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