केरल विस में अव्यवस्था की वीडियो रिकार्डिंग को कानूनी कार्यवाही से छूट प्राप्त नहीं है : न्यायालय

By भाषा | Updated: July 28, 2021 21:50 IST2021-07-28T21:50:01+5:302021-07-28T21:50:01+5:30

Video recording of disorder in Kerala state is not exempt from legal proceedings: Court | केरल विस में अव्यवस्था की वीडियो रिकार्डिंग को कानूनी कार्यवाही से छूट प्राप्त नहीं है : न्यायालय

केरल विस में अव्यवस्था की वीडियो रिकार्डिंग को कानूनी कार्यवाही से छूट प्राप्त नहीं है : न्यायालय

नयी दिल्ली, 28 जुलाई उच्चतम न्यायालय ने बुधवार को व्यवस्था दी कि 2015 में केरल विधानसभा में हुई अव्यवस्था की वीडियो रिकार्डिंग कोई ऐसी ‘कार्यवाही’ नहीं है, जिसे अनुच्छेद 194 (2) के तहत कानूनी कार्यवाही से सुरक्षा प्राप्त होगी।

शीर्ष अदालत ने कहा कि संविधान के निर्माताओं की आपराधिक कृत्यों को ‘ विरोध की आड़’ में ‘अभिव्यक्ति की आजादी’ के तहत व्याख्यायित करने की मंशा नहीं थी। उसने कहा कि सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने का कृत्य इस अनुच्छेद के पहले अंग के तहत विशेषाधिकार नहीं है।

अनुच्छेद 194 (2) के अनुसार किसी भी रिपोर्ट, कागज, मत या कार्यवाही की सदन के प्राधिकार के तहत प्रकाशन के सदंर्भ में किसी भी सदस्य के विरूद्ध कोई कानूनी कार्यवाही नहीं की जा सकती है।

न्यायमूर्ति डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने कहा, ‘‘ तोड़फोड़ की हरकतों को भाषण की आजादी की प्रस्तुति नहीं कहा जाता है और उसे विधानसभा की कार्यवाही नहीं बताया जा सकता है। संविधान के निर्माताओं की आपराधिक कृत्यों को ‘ विरोध की आड़’ में ‘ भाषण की आजादी’ के तहत व्याख्यायित करने की मंशा नहीं रही। ’’

पीठ ने कहा, ‘‘ इसलिए, संविधान सदस्यों को अभिव्यक्ति की आजादी देता है जो बिना किसी अभियोजन के डर के सार्थक चर्चा में उनकी सक्रिय भागीदारी के लिए जरूरी है। ’’

पीठ ने कहा कि विधानसभा के इलेक्ट्रॉनिक नियंत्रण कक्ष से हासिल की गयी वीडियो रिकार्डिंग इस घटना के प्रसारण की प्रति नहीं है जिसे स्थानीय या राष्ट्रीय टीवी पर दिखाया गया, बल्कि विधानसभा का आंतरिक रिकार्ड है।

शीर्ष अदालत ने कहा , ‘‘इस प्रकार, घटना का भंडारित वीडियो फुटेज कोई प्रसारित सामग्री नहीं है या दूसरे शब्दों में जनता के लिए प्रकाशित की गयी सामग्री नहीं है। चूंकि यह सदन का प्रकाशन (प्रकाशित सामग्री) नहीं है, इसलिए उसे संविधान के अनुच्छेद 194 (2) के तहत छूट भी नहीं प्राप्त है।’’

उच्चतम न्यायालय ने 2015 में विधानसभा में हुई अव्यवस्था के सिलसिले में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के छह नेताओं के विरूद्ध मामला वापस लेने की केरल सरकार की अर्जी खारिज करते हुए ये टिप्पणियां कीं।

विधानसभा में 13 मार्च, 2015 को अप्रत्याशित हंगामा हुआ था और तब विपक्षी एलडीएफ के सदस्यों ने तत्कालीन वित्त मंत्री के एम मणि को बजट नहीं पेश करने दिया था। मणि बार रिश्वत घोटाले में आरोपों से घिरे थे।

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