वीडियोः प्रक्षेपण से पहले चंद्रयान-3 की टीम पहुंची तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर, इसरो ने कही ये बात
By अनिल शर्मा | Updated: July 13, 2023 09:41 IST2023-07-13T09:36:53+5:302023-07-13T09:41:56+5:30
इसरो अधिक ईंधन एवं कई सुरक्षित उपायों से लैस ‘चंद्रयान-3’ का शुक्रवार को प्रक्षेपण करने के साथ चंद्रमा पर उतरने का एक और प्रयास करने को तैयार है। इसके लिए चांद पर एक बड़ा ‘लैंडिंग स्थल’ निर्दिष्ट किया गया है।

तस्वीरः ANI
बेंगलुरुः भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के वैज्ञानिक सचिव शांतनु भटवाडेकर सहित वैज्ञानिकों की एक टीम आज चंद्रयान-3 के लघु मॉडल के साथ पूजा-अर्चना करने के लिए तिरुपति वेंकटचलपति मंदिर पहुंची।
गौरतलब है कि चंद्रयान-3 को 14 जुलाई को भारतीय समयानुसार दोपहर 2:35 बजे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा से लॉन्च किया जाएगा। मंदिर में पूजा-अर्चना करने के बाद इसरो वैज्ञानिकों की टीम ने समाचार एजेंसी एएनआई से कहा, "यह चंद्रयान-3 है...चंद्रमा पर हमारा मिशन...कल हमारा प्रक्षेपण है।"
#WATCH | Andhra Pradesh | A team of ISRO scientists team arrive at Tirupati Venkatachalapathy Temple, with a miniature model of Chandrayaan-3 to offer prayers.
— ANI (@ANI) July 13, 2023
Chandrayaan-3 will be launched on July 14, at 2:35 pm IST from Satish Dhawan Space Centre, Sriharikota, ISRO had… pic.twitter.com/2ZRefjrzA5
इसरो ने बुधवार कहा था कि चंद्रयान-3 मिशन के लिए ‘मिशन तत्परता समीक्षा’ (एमआरआर) पूरी कर ली है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने एक ट्वीट में कहा, ‘‘(एमआरआर) बोर्ड ने प्रक्षेपण को अधिकृत कर दिया है। उल्टी गिनती कल से शुरू होगी।’’
इसरो ने इस सप्ताह प्रक्षेपित किए जाने वाले चंद्रयान-3 मिशन के लिए संपूर्ण प्रक्षेपण तैयारी और प्रक्रिया का 24 घंटे का ‘‘प्रक्षेपण पूर्वाभ्यास’’ कर चुकी है। इसरो अधिक ईंधन एवं कई सुरक्षित उपायों से लैस ‘चंद्रयान-3’ का शुक्रवार को प्रक्षेपण करने के साथ चंद्रमा पर उतरने का एक और प्रयास करने को तैयार है। इसके लिए चांद पर एक बड़ा ‘लैंडिंग स्थल’ निर्दिष्ट किया गया है।
इसरो ने कहा कि इस बार इसने "विफलता-आधारित डिजाइन" का विकल्प चुना है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कुछ चीजें गलत होने पर भी लैंडर चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतर सके। चंद्रयान-3 शुक्रवार को अपराह्न 2:35 बजे चंद्रमा के लिए उड़ान भरने को तैयार है। यह सितंबर 2019 में भेजे गए चंद्रयान-2 का अनुवर्ती मिशन है जो एक सॉफ्टवेयर गड़बड़ी के कारण चंद्र सतह पर ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में असफल रहा था।
इसरो अध्यक्ष एस सोमनाथ ने सोमवार को कहा था कि ‘चंद्रयान-2’ के सफलता-आधारित डिज़ाइन के बजाय, अंतरिक्ष एजेंसी ने ‘चंद्रयान-3’ में विफलता-आधारित डिज़ाइन को चुना है और इस बात पर ध्यान दिया गया है कि कुछ चीजों के गलत होने पर भी इसे कैसे बचाया जाए तथा कैसे सफल ‘लैंडिंग’ सुनिश्चित की जाए।
सोमनाथ ने कहा, "हमने बहुत सी विफलताओं को देखा- सेंसर की विफलता, इंजन की विफलता, एल्गोरिदम की विफलता, गणना की विफलता। इसलिए, जो भी विफलता हो, हम चाहते हैं कि यह आवश्यक वेग और निर्दिष्ट मान पर उतरे। इसलिए, अंदर अलग-अलग विफलता परिदृश्यों की गणना और योजनाबद्ध तरीके से कार्य किया गया है।"
उन्होंने चंद्रयान-2 के लैंडर ‘विक्रम’ के ‘सॉफ्ट लैंडिंग’ करने में असफल रहने का ब्योरा साझा करते हुए कहा कि जब इसने चंद्रमा की सतह पर 500 मीटर x 500 मीटर के निर्दिष्ट लैंडिंग स्थल की ओर उतरना शुरू किया तो इसके वेग को धीमा करने के लिए डिजाइन किए गए इंजनों में उम्मीद से अधिक बल विकसित हो गया।
भाषा इनपुट के साथ