वीरप्पा मोइली ने 'जी-23' की बैठक से दूरी बनाई, कहा 'हम इसका हिस्सा नहीं'

By भाषा | Updated: March 1, 2021 17:13 IST2021-03-01T17:13:08+5:302021-03-01T17:13:08+5:30

Veerappa Moily distanced himself from 'G-23' meeting, saying 'we are not part of it' | वीरप्पा मोइली ने 'जी-23' की बैठक से दूरी बनाई, कहा 'हम इसका हिस्सा नहीं'

वीरप्पा मोइली ने 'जी-23' की बैठक से दूरी बनाई, कहा 'हम इसका हिस्सा नहीं'

बेंगलुरु, एक मार्च जम्मू में हुई 'जी-23' नेताओं की बैठक से खुद को अलग करते हुए कांग्रेस के वरिष्ठ नेता एम वीरप्पा मोइली ने सोमवार को पार्टी के अंदरुनी मतभेद सार्वजनिक होने पर चिंता जाहिर करते हुए राहुल गांधी के फिर से पार्टी प्रमुख बनने का समर्थन किया।

पूर्व केंद्रीय मंत्री मोइली पार्टी के उन 23 नेताओं में शामिल थे जिन्होंने पिछले वर्ष अगस्त में कांग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी को पत्र लिखकर "पूर्णकालिक" और "दृष्टिगोचर" नेतृत्व सुनिश्चित करने का आग्रह किया था। इसके बाद इन नेताओं को "जी-23" के नाम से जाना जा रहा है।

राज्यसभा से गुलाम नबी आजाद के सेवानिवृत्त होने पर उन्हें सम्मानित करने के लिए 'जी-23' के कुछ नेताओं द्वारा शनिवार को जम्मू में की गई रैली का हवाला देते हुए मोइली ने कहा कि 'असंतुष्टों' के तौर पर इसका अर्थ लगाना गलत है।

उन्होंने पीटीआई-भाषा से कहा, '' यह असंतुष्टों की बैठक नहीं है। हम ('जी-23' के कुछ नेता) इसका हिस्सा नहीं हैं।"

सार्वजनिक तौर पर असंतुष्टी दिखाते हुए आज़ाद, आनंद शर्मा और कपिल सिब्बल जैसे नेता शनिवार को जम्मू में एक मंच पर आए और कहा कि पार्टी कमज़ोर हो रही है और वे इसे मजबूत करने के लिए साथ आए हैं।

कर्नाटक के मुख्यमंत्री रह चुके मोइली ने कहा कि अगस्त में भेजे गए पत्र का मकसद पार्टी में सुधार करना, सभी स्तरों पर प्रभावी सुधार और संगठनात्मक चुनावों का था।

उन्होंने कहा, " यह सोनिया गांधी, राहुल गांधी के नेतृत्व के खिलाफ नहीं था। हम सब नेतृत्व के साथ हैं। हम कांग्रेस के साथ हैं। हम उनके अध्यक्ष बनने के खिलाफ नहीं हैं।"

मोइली ने कहा कि कांग्रेस प्रमुख सोनिया गांधी ने संगठन में बदलाव करने और चुनाव कराने का वादा किया था।

अगस्त में पत्र पर हस्ताक्षर करने पर किसी तरह का पछतावा होने के सवाल पर उन्होंने कहा, " मुझे नहीं लगता है कि हमें पछतावा है।"

मोइली ने कहा, " हमें (अपने पत्र को लेकर) आगे नहीं बढ़ना चाहिए । उसका (जी-23) का मतलब संगठन से असंतुष्ट होना नहीं था और होगा भी नहीं। एक बार जब ज्ञापन (पत्र) दे दिया गया तो उद्देश्य पूरा हो गया।"

उन्होंने कहा, " हर दिन मुद्दे को उठाना (सही) नहीं है।"

वरिष्ठ नेता ने कहा कि पार्टी का पुनर्निर्माण एक निरंतर और रोजाना चलने वाली प्रक्रिया है। यह एक-बार की गतिविधि नहीं है।

उन्होंने कहा, " उस लिहाज़ से (अगस्त के पत्र का) उद्देश्य पूर्ण हो गया है।"

राहुल गांधी के फिर से अध्यक्ष बनने की पार्टी में बढ़ती मांग पर मोइली ने कहा, " हम भी चाहते हैं कि वह पद पर वापस आएं, क्योंकि सोनिया जी का स्वास्थ्य ठीक नहीं है।"

उन्होंने कहा कि राहुल गांधी पहले से क्षेत्र में सक्रिय हैं, " देशभर में घूम रहे हैं, हर जगह जा रहे हैं।"

पूर्व केंद्रीय मंत्री ने यह भी कहा कि राहुल गांधी चुनाव प्रक्रिया के जरिए पार्टी के प्रमुख के तौर पर वापसी कर सकते हैं।

कुछ कांग्रेसी नेताओं द्वारा कांग्रेस को कमजोर बताने पर मोइली ने कहा कि जब कांग्रेस जीतना शुरू करेगी तो भाजपा कमजोर लगेगी। ऐसा हमेशा होता है।

उन्होंने कहा, " कांग्रेस में क्षमता है और (चुनाव से) वापसी करने की अंतर्निहित शक्ति है।

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