वरवर राव अस्पताल से जेल वापस भेजे जाने के लिये फिट हैं: एनआईए ने उच्च न्यायालय को बताया

By भाषा | Updated: December 15, 2020 20:25 IST2020-12-15T20:25:41+5:302020-12-15T20:25:41+5:30

Varvara Rao is fit to be sent back to jail from hospital: NIA tells High Court | वरवर राव अस्पताल से जेल वापस भेजे जाने के लिये फिट हैं: एनआईए ने उच्च न्यायालय को बताया

वरवर राव अस्पताल से जेल वापस भेजे जाने के लिये फिट हैं: एनआईए ने उच्च न्यायालय को बताया

मुंबई, 15 दिसंबर राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने मंगलवार को बंबई उच्च न्यायालय को बताया कि मुंबई के एक निजी अस्पताल में भर्ती एल्गार परिषद-माओवादी संबंध मामले में आरोपी कवि तथा कार्यकर्ता वरवर राव नवी मुंबई की तलोजा जेल वापस भेजे जाने के लिये काफी हद तक फिट हैं।

राव की पत्नी हेमलता ने स्वास्थ्य के आधार पर उनकी जमानत के लिये याचिका दायर कर रखी है, जिसपर अगली सुनवाई सोमवार को होनी है, ऐसे में कम से कम तब तक राव मुंबई के नानावती अस्पताल में ही रहेंगे।

एनआईए की ओर से पेश अतिरिक्त सॉलीसिटर जनरल (एएसजी) अनिल सिंह ने न्यायमूर्ति एस एस शिंदे और न्यायमूर्ति एम एस कार्णिक की पीठ के समक्ष यह बात कही।

मंगलवार को हुई सुनवाई के दौरान वरिष्ठ वकील इंदिरा जयसिंह तथा आनंद ग्रोवर ने उच्च न्यायालय से राव को जमानत देने का अनुरोध किया।

ग्रोवर ने कहा कि 81 वर्षीय राव 2018 में अपनी गिरफ्तारी के बाद से कई स्वास्थ्य दिक्कतों को सामना कर रहे हैं।

उन्होंने कहा कि नवी मुंबई की तलोजा जेल के प्रशासन के पास उनके इलाज के लिये विशेषज्ञता या चिकित्सा सुविधाएं नहीं है। राव को विचाराधीन कैदी के रूप में तलोजा जेल में रखा गया है।

ग्रोवर ने कहा कि राव के स्वास्थ्य के लिये यह और भी अच्छा होगा कि उन्हें जमानत देकर हैदराबाद में अपने घर लौटने की अनुमति दे दी जाए।

उन्होंने कहा कि राव को जमानत दी गई तो वह भागेंगे नहीं।

ग्रोवर ने अदालत से कहा, ''राव के खिलाफ 24 मामलों में मुकदमा चलाया जा चुका है और यह कोई छोटी बात नहीं है कि हर मामले में उन्हें बरी किया जा चुका है।''

हालांकि, एएसजी सिंह ने दलील दी कि राव ने चिकित्सा आधार पर जमानत के लिये आवेदन किया था, लिहाजा उनके वकील को मामले के आधारों पर जिरह नहीं करनी चाहिये।

अदालत ने कहा कि उच्चतम न्यायालय ने रिपल्बिक टीवी के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने के हालिया आदेश में कहा था कि ''अनुच्छेद 226 के तहत एक अदालत याचिका में किये गए अनुरोधों के प्रति बाध्य नहीं है।''

पीठ ने कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने गोस्वामी के मामले में दिये गए फैसले में यह भी कहा था कि उच्च न्यायालय के पास अनुच्छेद 226 के तहत अधिक शक्तियां हैं। उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट किया था कि अनुच्छेद 226 के तहत जमानत दी जा सकती है, जिसे लेकर अब से पहले अस्पष्टता थी।''

पीठ ने कहा, ''उच्चतम न्यायालय ने स्पष्ट रूप से कहा है कि उच्च न्यायालय उन मामलों में भी जमानत दे सकता है, जिनमें निचली अदालतों का रुख नहीं किया गया हो। इस संबंध में कुछ अनुच्छेद भी हैं।''

समय की कमी के चलते आगे की कार्यवाही स्थगित कर दी गई।

पीठ ने कहा, ''पिछला आदेश जारी रहेगा। हम अस्पताल में इलाज की प्रक्रिया को बीच में नहीं छोड़ सकते।''

अधिवक्ता जयसिंह ने राव के वकीलों के अस्पताल में उनसे मिलने देने का अनुरोध किया, जिसपर पीठ ने कहा कि वकील राव को उनकी पत्नी के जरिये लिखित में कानूनी संदेश भेज सकते हैं, जिन्हें अस्पताल में उनसे मिलने की अनुमति मिली हुई है।

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Web Title: Varvara Rao is fit to be sent back to jail from hospital: NIA tells High Court

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