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वरुण कपूर का ब्लॉग: कमजोर नहीं, मजबूत पक्ष पर हमला

By लोकमत न्यूज़ ब्यूरो | Updated: October 28, 2018 21:01 IST

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर समझा जाता है, इसलिए आपराधिक तत्व उन्हें शिकार बनाने की कोशिश करते हैं।

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यह एक तथ्य है कि वास्तविक दुनिया में जब कोई अपराध किया जाता है तो उसमें नागरिकों के कमजोर पक्ष पर हमला किया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वास्तविक दुनिया में हम एक-दूसरे के सामने सशरीर मौजूद होते हैं, इसलिए अपराधी  हमला करने के लिए हमारे कमजोर पक्ष को ढूंढता है। महिलाओं के खिलाफ अपराध इसी का एक बड़ा उदाहरण है।

महिलाओं को पुरुषों की तुलना में शारीरिक रूप से कमजोर समझा जाता है, इसलिए आपराधिक तत्व उन्हें शिकार बनाने की कोशिश करते हैं। पिछड़ी जातियों को सताए जाने का मामला भी इसी का उदाहरण है क्योंकि वे सामाजिक और आर्थिक रूप से समाज के कमजोर वर्ग में आते हैं। डकैती भी इसका एक उदाहरण है जहां भौतिक ताकत के बल पर डकैत किसी को लूटते हैं।  

लेकिन वचरुअल दुनिया में यह तथ्य उलट जाता है। वहां कमजोरियों को नहीं बल्कि उपलब्धियों को निशाना बनाया जाता है। ऐसा इसलिए क्योंकि वहां शारीरिक तौर पर उपस्थिति नहीं होती और किसी की भी कमजोरियां काफी हद तक छुपी रह जाती हैं, चाहे वे शारीरिक हों, मानसिक, सामाजिक, सांस्कृतिक या राजनीतिक।

वहां सिर्फ लोगों की रुचियां और उपलब्धि ही सामने होती है क्योंकि लोग अपनी उपलब्धियों को ही सोशल मीडिया में सामने रखते हैं। रुचियों या ताकत के इसी प्रदर्शन का विश्लेषण करके साइबर अपराधी लोगों को निशाना बनाते हैं। जरूरी नहीं कि ऐसे सारे हमले सफल ही हों, लेकिन कई लोग इस जाल में फंस जाते हैं। 

एक अनुभवी महिला शिक्षाविद् के मामले से यह बात स्पष्ट हो जाएगी। वे इंदौर के सबसे अच्छे निजी स्कूल में एक अनुभवी शिक्षिका थीं। शिक्षण के बीस साल के लंबे अनुभव के बाद, वे एक निजी विश्वविद्यालय स्थापित करने के उद्देश्य से अहमदाबाद चली गईं। वहां काम करते हुए उन्हें एक ईमेल प्राप्त हुआ, जिसमें उन्हें शहर के एक अन्य प्रमुख विश्वविद्यालय में आकर्षक नौकरी की पेशकश की गई थी।

वेतन भी काफी आकर्षक था। लालच के चलते वे साइबर अपराधियों के इस जाल में फंस गईं। जबकि उन्हें सोचना चाहिए था कि आखिर बिना आवेदन किए कोई उन्हें क्यों इतनी आकर्षक नौकरी की पेशकश करेगा। यदि वे थोड़ी सावधानी बरततीं तो जाल में फंसने से बच सकती थीं। हमलावरों ने सोशल मीडिया पर डाली गई जानकारी के आधार पर उनके पूर्व जीवनवृत्त को समझ लिया था और उसी के आधार पर हमला किया।

इंटरव्यू फिक्स करने के लिए उन्हें मोबाइल बेस्ड मनी ट्रांसफर एप्प के जरिये एक तयशुदा राशि भेजने को कहा गया। एक के बाद दूसरे इंटरव्यू के साथ राशि की मांग बढ़ती चली गई और करीब तीन लाख रु। भेज देने के बाद उन्हें महसूस हुआ कि कहीं कुछ गलत है। जब उन्होंने सवाल पूछने शुरू किए तो संपर्क खत्म कर दिया गया।इसलिए सभी यूजर्स को अपनी उपलब्धियों और गतिविधियों को सोशल मीडिया में शेयर करते समय सावधानी बरतनी चाहिए।

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