भारतीय रेलवे शताब्दी और हमसफर एक्सप्रेस ट्रेनों को करेगी वैक्यूम बायो टॉयलेट लैस
By भाषा | Published: November 8, 2019 08:22 PM2019-11-08T20:22:06+5:302019-11-08T20:22:06+5:30
ट्रेनों में बायो-टॉयलेट शौचालय के नीचे स्थापित किए जाते हैं और मानव अपशिष्ट को उनमें डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में एनारोबिक बैक्टीरिया मुख्य रूप से मानव अपशिष्ट को तरल एवं जैव गैसों में परिवर्तित करते हैं, जिसे क्लोरीनीकरण के बाद छोड़ दिया जाता है।
उत्तर मध्य रेलवे (एनसीआर) अपनी प्रतिष्ठित शताब्दी और हमसफर एक्सप्रेस ट्रेनों में जल्द ही 130 वैक्यूम बायो टॉयलेट लगाने वाली है। इस वैक्यूम बायो टॉयलेट को आरडीएसओ (रिसर्च डिजाइन एंड स्टैंडर्ड आर्गनाइजेशन) द्वारा विकसित किया गया है। एनसीआर के मुख्य जनसंपर्क अधिकारी अजीत कुमार सिंह के मुताबिक, इन वैक्यूम बायो-टॉयलेट की विशेषता यह है कि वैक्यूम प्रेशर की मदद से शीघ्रता से मल टैंक में चला जायेगा जिससे दुर्गन्ध नहीं आयेगी और बहुमूल्य पानी की भी बचत होगी।
उन्होंने बताया कि ट्रेनों में बायो-टॉयलेट शौचालय के नीचे स्थापित किए जाते हैं और मानव अपशिष्ट को उनमें डिस्चार्ज कर दिया जाता है। इस प्रक्रिया में एनारोबिक बैक्टीरिया मुख्य रूप से मानव अपशिष्ट को तरल एवं जैव गैसों में परिवर्तित करते हैं, जिसे क्लोरीनीकरण के बाद छोड़ दिया जाता है। इस प्रकार मानव अपशिष्ट रेलवे पटरियों पर नहीं गिरता।
सिंह ने बताया कि उत्तर मध्य रेलवे के प्रमुख स्टेशनों जैसे इलाहाबाद, कानपुर, मिर्जापुर, फतेहपुर, फफूंद, इटावा, टूंडला एवं अलीगढ़ स्टेशन सहित अन्य स्टेशनों पर सघन मशीनीकृत सफाई की जा रही है तथा शीघ्र ही प्रमुख स्टेशनों पर बोतल क्रशिंग मशीनें भी लगायी जायेंगी।
उन्होंने कहा कि उत्तर मध्य रेलवे अपने समस्त यात्रियों से अनुरोध करता है कि बायो-टॉयलेट में बोतलों, पॉलिथीन, नैपकिन, कागज या प्लास्टिक के कप, कपड़ा, गुटखा पाउच, सिगरेट या बीड़ी जैसी कोई भी इन-ऑर्गेनिक सामग्री न डालें क्योंकि इससे बायो-टॉयलेट के चोक होने की आशंका रहती है।