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टीका प्रमाणन मुद्दा है, कोविडशील्ड टीका नहीं: ब्रिटिश अधिकारी

By भाषा | Updated: September 22, 2021 22:26 IST

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नयी दिल्ली , 22 सितंबर ब्रिटेन के नये यात्रा नियमों को लेकर भारत में बढती नाराजगी के बीच ब्रिटिश अधिकारियों ने कहा है कि मुख्य मुद्दा टीका प्रमाणन का है न कि कोविशील्ड टीके का तथा दोनों पक्ष इस मुद्दे का परस्पर हल ढूंढने के लिए बहुत तेजी से आगे बढ़ रहे हैं।

कोविशील्ड को मान्यता देने से ब्रिटेन के इनकार पर भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद ब्रिटिश सरकार ने भारत निर्मित ऑक्सफोर्ड/एस्ट्राजेनेका कोविड-19 टीके कोविशील्ड को अपने अद्यतन अंतरराष्ट्रीय यात्रा परामर्श में शामिल किया। हालंकि अधिकारियों ने कहा कि भले ही कोविशील्ड को यात्रा संबंधी ब्रिटिश दिशानिर्देशों में मंजूरी दे दी गयी है लेकिन उसकी दो खुराक ले चुके भारतीय यात्रियों को ब्रिटेन में अब भी दस दिनों के लिए पृथक-वास में रहना होगा।

ब्रिटेन द्वारा टीकों की मंजूर सूची में कोविशील्ड को शामिल किये जाने पर भारत की ओर से कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं आयी है।

जब ब्रिटिश उच्चायुक्त एलेक्स एलीस से पूछा गया कि क्या भारत की कड़ी प्रतिक्रिया के बाद कोविशील्ड को सूची में शामिल किया गया है तो उन्होंने कहा कि टीका कोई मुद्दा ही नहीं है।

उन्होंने एनडीटीवी से कहा, ‘‘ भारत सरकार जो कुछ कहती है, हम उसे बहुत ध्यान से सुनते हैं, लेकिन मंत्रियों को निर्णय लेना होता है और वे स्पष्ट हैं कि कोविशील्ड कोई मुद्दा नहीं है। ’’

जब पूछा गया कि क्या टीका प्रमाणन को लेकर समस्या है, एलीस ने बस यह कहा कि ब्रिटिश सरकार यह समझने का प्रयास कर रही है कि भारतीय कोविड टीका एप कैसे काम करता है और यह कि यह दो तरफा प्रक्रिया है।

उन्होंने कहा , ‘‘ यह असाधारण रफ्तार से हो रहा है।’’

वहीं, राष्ट्रीय स्वास्थ्य प्राधिकरण के मुख्य कार्यकारी अधिकारी आर एस शर्मा ने कहा कि भारत में प्रदत्त कोविड टीका प्रमाणन पर ब्रिटेन द्वारा उठाई गई चिंता की उन्हें जानकारी नहीं है, हालांकि कोविन प्रणाली डब्ल्यूएचओ के अनुकूल है।

शर्मा ने कहा, ‘‘ ब्रिटेन द्वारा उठायी जा रही किसी चिंता से मैं वाकिफ नहीं हूं। ब्रिटिश उच्चायुक्त ने दो सितंबर को मुझसे मुलाकात की थी और उन्होंने कोविन प्रणाली की बारीकिया जाननी चाही थी। ’

उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए हमने अपनी तकनीकी दल को उनके तकनीकी दल के साथ मिलवाया और उनके बीच दो दौर की वार्ता हो चुकी है , कल ही दूसरे दौर की बातचीत हुई। उन्होंने हमें बताया कि अब और चर्चा की जरूरत नहीं है क्योंकि दोनों पक्षों के बीच सारी सूचनाओं का आदान प्रदान हो चुका है।’’

नये नियमों के अनुसार, कोविशील्ड की दोनों खुराक ले चुके भारतीय यात्रियों को बिना टीका समझा जाएगा और उन्हें दस दिनों के लिए पृथक-वास में रहना होगा।

भारत ने कोविड-19 टीका प्रमाणन पर उसकी चिंताओं का ब्रिटेन द्वारा समाधान नहीं किये जाने की स्थिति में मंगलवार को जवाबी कार्रवाई की चेतावनी दी थी। विदेश सचिव हर्षवर्द्धन श्रृंगला ने इन नियमों को ‘भेदभावकारी’ बताया था।

ब्रिटिश सरकार द्वारा जारी किये गये हालिया दिशानिर्देश, जो चार अक्टूबर से प्रभाव में आएंगे, का जिक्र करते हुए ब्रिटिश अधिकारियों ने बुधवार को कहा कि लंदन को कोविशील्ड से कोई दिक्कत नहीं है लेकिन भारत में टीका प्रमाणन से जुड़े कुछ मुद्दे हैं।

उन्होंने कहा कि ब्रिटेन भारत सरकार के साथ इस विषय पर वार्ता कर रहा है कि भारत में जनस्वास्थ्य निकाय के टीकाकरण से गुजरे लोगों के लिए टीका प्रमाणनन की अपनी मंजूरी का वह कैसे विस्तार करे।

नये दिशानिर्देशों का हवाला देते हुए अधिकारियों ने कहा कि ब्रिटेन जाने वाले भारतीय यात्रियों को प्रशासन द्वारा तय ‘गैर टीकाकृत नियमों’’ का पालन करना ही चाहिए।

जब ब्रिटिश उच्चायुक्त से पूछा गया कि क्या ब्रिटेन को भारत की टीकाकरण प्रमाणन प्रक्रिया को लेकर संदेह है तो उन्होंने इसका सीधा जवाब नहीं दिया और नयी यात्रा नीति की चर्चा की।

उन्होंने कहा, ‘‘ यह बिल्कुल नयी नीति है। इसमें असर दिखने में कुछ वक्त लगता है और हमने 18 महीनों में सीखा है कि दोनों देशों के बीच लोगों की उन्मुक्त आवाजाही के कारण , ब्रिटेन में जो कुछ होता है, उसका असर भारत के जनस्वास्थ्य पर पड़ता है और भारत में कोकुछ होता है, उसका प्रभाव ब्रिटेन के जनस्वास्थ्य पर पड़ता है।’’

नये ब्रिटिश नियम की भारत में कड़ी आलोचना हुई । विदेश मंत्री एस जयशंकर ने मंगलवार को न्यूयार्क में ब्रिटेन की नवनियुक्त विदेश मंत्री एलिजाबेथ ट्रूस के सामने कोविडशील्ड टीका लगवा चुके यात्रियों को पृथक-वास में भेजने का मुद्दा उठाया था।

ब्रिटिश उच्चायोग के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘ ब्रिटेन , जितना जल्दी व्यावहारिक हो सके अंतरराष्ट्रीय यात्रा को खोलने के लिए कटिबद्ध है और यह घोषणा लोगों के सुरक्षित एवं सही तरीके से और मुक्त होकर फिर यात्रा कर पाने की दिशा में एक कदम है। साथ ही , जनस्वास्थ्य की रक्षा का भी ध्यान रखना जरूरी है।’’

उन्होंने कहा, ‘‘ हम भारत सरकार के साथ संवाद कर रहे हैं कि भारत में टीकाकरण से गुजरे लोगों के लिए टीका प्रमाणनन की अपनी मंजूरी का हम कैसे विस्तार करें।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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