उत्तराखंड बाढ़: भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचने के लिये योजना बनाएंगे- मुख्यमंत्री रावत
By भाषा | Updated: February 8, 2021 18:50 IST2021-02-08T18:50:31+5:302021-02-08T18:50:31+5:30

उत्तराखंड बाढ़: भविष्य में ऐसी त्रासदी से बचने के लिये योजना बनाएंगे- मुख्यमंत्री रावत
नयी दिल्ली/देहरादून, आठ फरवरी उत्तराखंड के मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने राज्य के बाढ़ प्रभावित चमोली और आसपास के इलाकों में जारी राहत अभियानों के बीच सोमवार को कहा कि पूरी घटना की व्यापक जांच की जा रही है ताकि भविष्य में ऐसी त्रासदियों से बचा जा सके। उन्होंने कहा कि इस समय सबसे पहली प्राथमिकता प्रभावित लोगों को भोजन और अन्य सहायता मुहैया कराना है।
रावत ने 'पीटीआई-भाषा' को दिये साक्षात्कार में कहा, ऐसा प्रतीत होता है कि घटना ग्लेशियर के टूटने से हुई। मुख्य सचिव को वास्तविक कारणों का पता लगाने का निर्देश दिया गया है।
उन्होंने कहा कि प्रारंभिक अनुमानों के अनुसार करीब 200 लोग अब भी लापता हैं जबकि 11 शव बरामद कर लिये गए हैं।
उन्होंने कहा, ''डीआरडीओ की एक टीम इस त्रासदी का कारण पता लगाने में जुटी है। हमने इसके लिये इसरो के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों से भी मदद मांगी है।''
रावत ने कहा कि इस घटना के कारणों का पता लगाने के लिये चल रहे व्यापक विश्लेषण के बाद, ''हम भविष्य में ऐसी किसी भी संभावित त्रासदी से बचने के लिये एक योजना बनाएंगे।''
राहत कार्यों के बारे में पूछे जाने पर रावत ने कहा कि वे पूरी शिद्दत से चल रहे हैं।
उन्होंने कहा, ''हमने बचाव और राहत अभियान के लिये सभी आवश्यक प्रबंध किये हैं। साथ ही साथ प्रभावित लोगों को स्वास्थ्य सुविधाएं भी प्रदान की जा रही हैं। सबसे महत्वपूर्ण, हम प्रभावित गांवों के बीच दोबारा संपर्क स्थापित करने का काम कर रहे हैं।''
रावत ने कहा कि जल्द ही आर्थिक नुकसान का आकलन किया जाएगा। फिलहाल शीर्ष प्राथमिकता, जहां तक संभव हो लोगों की जान बचाना और अपने घरों से विस्थापित हुए लोगों का पुनर्वास करना है।
उत्तराखंड के चमोली जिले के जोशीमठ में रविवार को नंदा देवी ग्लेशियर का एक भाग टूट गया था जिससे अलकनंदा नदी में बाढ़ की स्थिति पैदा हो गई थी। घटना के एक दिन बाद सोमवार को कई एजेंसियां संयुक्त रूप से पीड़ितों की तलाश में जुटी हैं।
रावत ने कहा कि केन्द्र और राज्य आपदा राहत एजेंसियों की कई टीमों को बुलाने के अलावा रक्षा बलों को भी विशाल बचाव अभियान का नेतृत्व करने के लिये बुलाया गया है।
उन्होंने कहा कि राज्य के पुलिस महानिदेशक भी रविवार से प्रभावित इलाकों में मौजूद हैं जबकि गढ़वाल के आयुक्त तथा गढ़वाल के डीआईजी को भी वहां रहने का निर्देश दिया गया है।
रावत ने कहा, ''जिला प्रशासन की पूरी टीम रविवार से राहत एवं बचाव अभियानों में जुटी है। दूसरे जिलों के अधिकारियों को भी मौके पर भेजा गया है ताकि प्राथमिकता के आधार पर शवों का पोस्टमॉर्टम कराया जा सके।''
इस त्रासदी से हुए आर्थिक नुकसान के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने कहा कि जहां तक आर्थिक नुकसान की बात है तो राहत कार्य संपन्न होने के बाद ही इस बारे में बताया जा सकेगा।
उन्होंने कहा, ''ऋषिगंगा विद्युत निगम और एनटीपीसी अपनी परियोजनाओं को हुए नुकसान का आकलन कर रहे हैं, लेकिन फिलहाल हमारी शीर्ष प्राथमिकता लोगों की जान बचाना और प्रभावितों का पुनर्वास है।''
रावत ने कहा कि मृतकों के आश्रितों को तत्काल चार लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान की गई है।
मुख्यमंत्री ने कहा, ''सेना और एसडीआरएफ कर्मियों के साथ साथ सेना और राज्य सरकार के हेलीकॉप्टरों को इस क्षेत्र के 11 प्रभावित गांवों में जरूरी चिकित्सा सुविधाएं प्रदान करने के लिये बुलाया गया है।''
उन्होंने जोर देकर कहा कि राज्य की पूरी मशीनरी राहत एवं मदद अभियानों में जुटी है।
रावत ने कहा, ''मैं खुद भी राहत अभियानों की निगरानी कर रहा हूं। केन्द्र की ओर से पूरा सहयोग मिल रहा है जबकि दूसरे राज्यों ने भी इस त्रासदी के दौरान अपना सहयोग दिया है।''
उन्होंने कहा कि जब से यह त्रासदी आई है, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी लगातार उनके संपर्क में हैं और उन्होंने राज्य को हर संभव मदद प्रदान करने का आश्वासन दिया है।
रावत ने कहा, ''प्रधानमंत्री मोदी ने भी मृतकों के आश्रितों को दो-दो लाख रुपये की आर्थिक सहायता प्रदान करने की घोषणा की है।''
विभिन्न वर्गों से मिल रहे सहयोग के बारे में उन्होंने कहा कि राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृह मंत्री अमित शाह, उत्तर प्रदेश के मुख्मयंत्री योगी आदित्यनाथ, गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रूपाणी, बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, प्रमुख रक्षा अध्यक्ष जनरल बिपिन रावत समेत विभिन्न लोगों ने हर संभव मदद का आश्वासन दिया है।
उन्होंने कहा, ''गृह मंत्री अमित शाह ने चिंता व्यक्त करते हुए, मुझे केन्द्र की ओर से राज्य को हर संभव मदद मुहैया कराने का आश्वासन दिया है।''
आपदा के चलते विस्थापित हुए लोगों की मदद के लिये उठाए जा रहे कदमों के बारे में उन्होंने कहा कि कई लोग बेघर हो गए हैं और इस समय उन्हें भोजन की जरूरत है।
उन्होंने कहा, ''राज्य सरकार उन्हें राशन मुहैया करा रही है। राशन के पैकेट तैयार किये गए हैं, जिनमें आटा, दाल, चावल, चाय, खाना पकाने का तेल, चीनी, मसाले और साबुन इत्यादि शामिल हैं। चमोली जिले में इनका वितरण पहले ही शुरू किया जा चुका है।
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