उत्तराखंड आपदा : लापता लोगों के परिवार के लिए पहाड़ सरीखी है अपनों से जुदाई

By भाषा | Updated: February 9, 2021 18:31 IST2021-02-09T18:31:42+5:302021-02-09T18:31:42+5:30

Uttarakhand disaster: separation of loved ones for family of missing people | उत्तराखंड आपदा : लापता लोगों के परिवार के लिए पहाड़ सरीखी है अपनों से जुदाई

उत्तराखंड आपदा : लापता लोगों के परिवार के लिए पहाड़ सरीखी है अपनों से जुदाई

लखीमपुर खीरी (उत्तर प्रदेश), नौ फरवरी उत्तराखंड के चमोली जिले में पिछले रविवार को आई प्राकृतिक आपदा में लापता हुए लोगों के परिवार के लोग बेहद परेशान हैं।

भूलनपुर गांव के रहने वाले 55 वर्षीय नत्थू लाल का इकलौता बेटा धर्मेंद्र तपोवन स्थित हाइड्रोइलेक्ट्रिक परियोजना में काम करता था और आपदा के 48 घंटे गुजरने के बाद भी उन्हें अपने बेटे की कोई खबर नहीं मिली है।

नत्थू लाल ने बताया कि पिछली पांच फरवरी को ही उनके बेटे का फोन आया था। उस वक्त परिवार को जरा भी अंदाजा नहीं था कि यह परिवार से उसकी आखिरी बातचीत होगी।

उन्होंने बताया कि घर के माली हालात ठीक नहीं है इसलिए धर्मेंद्र ने तपोवन परियोजना में बतौर मजदूर काम करने का फैसला किया था और वह पिछली छह या सात जनवरी को चमोली रवाना हुआ था। सब कुछ ठीक चल रहा था लेकिन रविवार की आपदा उनके परिवार पर मानो पहाड़ की तरह टूट पड़ी।

इच्छा नगर गांव में तो तीन परिवार इसी तकलीफ से गुजर रहे हैं। इस गांव में तीन परिवारों के छह लोगों समेत कुल 15 लोग चमोली की त्रासद घटना के बाद लापता हैं। वह सभी तपोवन परियोजना पर काम कर रहे थे।

इनमें से 50 वर्षीय श्रीकृष्ण की पत्नी ने बताया कि उनके पति और बेटा राजू इस वक्त कहां और किस हाल में हैं, उन्हें कुछ खबर नहीं है।

उन्होंने बताया कि राजू की शादी इसी अप्रैल में होने वाली थी और उसने जल्द लौटने का वादा किया था। पूरा परिवार भगवान से प्रार्थना कर रहा है कि श्रीकृष्ण और राजू के बारे में कोई अच्छी खबर मिले।

आपदा से बच कर आए मिर्जागंज के मुजीम और इच्छा नगर के अजीम ने अपने परिजन को उस मुसीबत भरे वाकये का जिक्र करते हुए बताया कि वह अपने रसोई गैस सिलेंडर को भरवाने के लिए पड़ोस के ही ऊंचाई वाले इलाके में गए थे। यह खुदा का करम ही था कि इसी वजह से वे कुदरत के कहर से बच गए। हालांकि, उनके साथ काम करने वाले मिर्जागंज निवासी भलभल का अभी कुछ पता नहीं चल पाया है।

भैरमपुर गांव के निवासी कुल 18 मजदूर आपदा वाले दिन तपोवन परियोजना में काम कर रहे थे। ग्रामीणों के मुताबिक उनमें से 10 लोग तो बच गए मगर बाकी आठ का अभी कुछ पता नहीं चल पाया है।

इच्छा नगर और भैरमपुर गांवों को जोड़ने वाली मांझा ग्राम पंचायत के प्रधान संतोष भार्गव ने बताया कि उन्होंने तपोवन परियोजना का निर्माण करा रही ऋत्विक कंस्ट्रक्शन कंपनी के प्रबंध निदेशक राकेश धीमरी से बातचीत की है और इस आपदा से प्रभावित हुए मजदूरों के परिजन को समुचित आर्थिक मदद का आग्रह किया है।

इस बीच, लखीमपुर खीरी के जिलाधिकारी शैलेंद्र कुमार सिंह ने जिला मुख्यालय पर एक नियंत्रण कक्ष स्थापित किया है जिसकी मदद से आपदा में लापता हुए लोगों के राहत और बचाव कार्य मैं मदद की जाएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Uttarakhand disaster: separation of loved ones for family of missing people

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे