यूपी चुनावः शिवपाल यादव से मिले सपा प्रमुख अखिलेश, गठबंधन सहित कई मुद्दों पर चर्चा, लगभग 45 मिनट तक चली बैठक!
By सतीश कुमार सिंह | Updated: December 16, 2021 17:45 IST2021-12-16T16:58:22+5:302021-12-16T17:45:40+5:30
शिवपाल यादव ने आगामी चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 25-40 सीटों की मांग की है। दोनों नेताओं के बीच 45 मिनट तक चली बैठक के दौरान प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के समाजवादी पार्टी में विलय की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।

चाचा-भतीजे दोनों को एक-दूसरे के साथ गर्मजोशी से पेश आते देखा गया और गठबंधन में चुनाव लड़ने की इच्छा भी दिखाई गई। (file photo)
लखनऊः समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव गुरुवार को शिवपाल के घर अपने असंतुष्ट चाचा से मिलने पहुंचे। लगभग 45 मिनट तक चली बैठक उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव की पृष्ठभूमि में महत्वपूर्ण है, जो अगले साल की शुरुआत में होने वाली है।
सूत्रों की माने तो शिवपाल यादव ने आगामी चुनाव लड़ने के लिए कम से कम 25-40 सीटों की मांग की है। दोनों नेताओं के बीच 45 मिनट तक चली बैठक के दौरान प्रगतिशील समाजवादी पार्टी के समाजवादी पार्टी में विलय की संभावनाओं पर भी चर्चा हुई।
समाजवादी पार्टी (सपा) अध्यक्ष अखिलेश यादव ने बृहस्पतिवार को कभी प्रतिद्वंदी रहे अपने चाचा और प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया के मुखिया शिवपाल सिंह यादव से उनके आवास पर जाकर मुलाकात की। सपा के सूत्रों के मुताबिक अखिलेश करीब चार बजे शिवपाल के आवास गए और दोनों के बीच लगभग 45 मिनट तक बातचीत हुई।
Samajwadi Party Chief Akhilesh Yadav meets his uncle and leader of Pragatisheel Samajwadi Party (Lohia),
— ANI UP (@ANINewsUP) December 16, 2021
Shivpal Singh Yadav at the latter's residence in Lucknow
(file photos) pic.twitter.com/PgfsPfJ1n4
सूत्रों के अनुसार विलय की स्थिति में शिवपाल को संगठन में राज्य स्तर पर या फिर राष्ट्रीय महासचिव के रूप में स्थान दिया जा सकता है। 2017 में दोनों के बीच अनबन हुई थी। कथित तौर पर पार्टी में अपने घटते कद से परेशान शिवपाल ने इस्तीफा दे दिया था और 2018 में पूरी तरह से एक नई पार्टी बनाई और इसे प्रगतिशील समाजवादी पार्टी-लोहिया कहा।
सूत्रों के मुताबिक इस मुलाकात से पहले ही सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव शिवपाल के घर में मौजूद थे। आगामी विधानसभा चुनाव के मद्देनजर यह मुलाकात काफी महत्वपूर्ण मानी जा रही है। वर्ष 2016 के अंत में तत्कालीन मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और उनके चाचा तथा कैबिनेट मंत्री शिवपाल के बीच सत्ता और संगठन पर वर्चस्व की जंग शुरू हो गई थी और विधानसभा चुनाव से ऐन पहले एक जनवरी 2017 को अखिलेश को सपा अध्यक्ष बना दिया गया था। बाद में शिवपाल ने सपा से अलग होकर प्रगतिशील समाजवादी पार्टी का गठन कर लिया था।
हालांकि शिवपाल शुरू से ही सभी समाजवादियों के एकजुट होने की पैरवी कर रहे थे और उन्होंने सपा से गठबंधन का संदेश भी कई बार पहुंचाया था। अखिलेश ने भी विभिन्न मौकों पर कहा कि वह सरकार बनने पर चाचा और उनके सहयोगियों का पूरा सम्मान रखेंगे। मगर उन्होंने गठबंधन के बारे में अपना रुख कभी स्पष्ट नहीं किया था।
इस बीच उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य ने शिवपाल और अखिलेश की इस मुलाकात पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए दावा किया "साल 2022 में एक बार फिर 300 से अधिक सीटें जीतकर भाजपा की सुशासन वाली सरकार बनने जा रही है। चाचा भतीजे मिलें, चाहे बुआ भतीजे मिलें, चाहे कांग्रेस और सपा मिलें या फिर सारे मिल जाए तब भी खिलना तो कमल ही है।"