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गायत्री प्रजापति समेत तीन दोषियों को गैंगरेप मामले में आजीवन कारावास की सजा, जानिए पूरा मामला

By विनीत कुमार | Updated: November 12, 2021 18:53 IST

गायत्री प्रजापति समेत दो लोगों को गैंगरेप मामले में कोर्ट ने उम्रकैद की सजा सुनाई है। साथ ही 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

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ठळक मुद्देगायत्री प्रजापति समेत तीन लोगों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई है। हर दोषी पर दो-दो लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है, दो दिन पहले कोर्ट ने ठहराया था दोषी।एफआईआर दर्ज होने के बाद प्रजापति को मार्च, 2017 में गिरफ्तार किया गया था।

लखनऊ: समाजवादी पार्टी की सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे गायत्री प्रसाद प्रजापति और दो अन्य को गैंगरेप के एक मामले में आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। कोर्ट ने इस मामले में गायत्री प्रजापति के साथ-साथ अशोक तिवारी और आशीष शुक्ला को दोषी करार दिया था। तीनों पर 2 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है।

सजा सुनाए जाने के दौरान अदालत में गायत्री और दो अन्य दोषी मौजूद थे जिन्हें सजा काटने के लिए जेल भेज दिया गया। सामूहिक दुष्कर्म मामले में इसी हफ्ते बुधवार को एमपी-एमएलए अदालत के विशेष न्यायाधीश पवन कुमार राय ने गायत्री समेत तीनों अभियुक्तों को दोषी करार दिया था। अदालत ने तब 12 नवम्बर को सजा सुनाने की बात कही थी। वहीं मामले के चार अन्य अभियुक्तों को बड़ी राहत देते हुए उन्हें अदालत ने बरी कर दिया था।

गैंपरेप केस: गायत्री प्रजापति से जुड़ा पूरा मामला क्या है

दरअसल, 18 फरवरी, 2017 को सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर गायत्री प्रसाद प्रजापति और अन्य छह अभियुक्तों के खिलाफ गैंगरेप, जानमाल की धमकी और पॉक्सो एक्ट के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट की ओर से ये आदेश पीड़िता की याचिका पर दिया था। पीड़िता ने गायत्री प्रजापति और उनके साथियों पर गैंगेरप का आरोप लगाया था। साथ ही उनकी नाबालिग बेटी के साथ भी जबरन शारीरिक संबध बनाने का आरोप लगाया गया था।

पीड़िता की शिकायत के बाद 18 मार्च 2017 को गायत्री प्रजापति को गिरफ्तार किया गया था। पीड़िता के मुताबिक साल 2013 में वह चित्रकूट के राम घाट पर गंगा आरती के एक कार्यक्रम में गायत्री प्रजापति से मिली थी। प्रजापति तब यूपी सरकार में मंत्री थे।

साल 2014 में गायत्री प्रजापति ने महिला के साथ रेप किया और 2016 तक अन्य लोगों के साथ शारीरिक शोषण चलता रहा। साल 2016 में महिला ने यूपी डीजीपी को शिकायत भी की लेकिन कार्रवाई नहीं हुई। इसके बाद 2017 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश के बाद पीड़िता की शिकायत पर एफआईआर दर्ज हो सकी।

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