Uttar Pradesh Assembly Elections: उत्तर प्रदेश के आगामी विधानसभा चुनाव को लेकर सभी दल कमर सक चुके हैं।
चंद महीनों बाद होने वाले उत्तर प्रदेश के विधानसभा चुनावों को लेकर राजनीतिक दलों ने चुनावी बिसात बिछाना शुरू कर दिया है। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार भाजपा, सपा और कांग्रेस को किनारे लगाने के लिए नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली जेडीयू को बिहार से चल कर उत्तर प्रदेश में चुनावी दस्तक देने के लिये तैयार कर रही है।
ताकि पूर्वी उत्तर प्रदेश के कुर्मी वोट बैंक को सपा और कांग्रेस में जाने से रोका जा सके। इसकी पुष्टि जेडीयू नेता केसी त्यागी ने कहा कि जेडीयू भाजपा से चुनावी तालमेल कर सकती है, लेकिन यह इस बात पर निर्भर करेगा कि भाजपा जेडीयू को कितनी सीटें देती है।
माना जा रहा है कि बसपा प्रमुख मायावती भी सीधे तौर पर भाजपा से गठबंधन नहीं करेंगी, लेकिन उनकी कोशिश है कि भाजपा के साथ रणनीतिक चुनावी तालमेल हो। दरअसल मायावती प्रदेश में कांग्रेस से भी बदतर स्थिति में हैं। नेताओं के साथ साथ दलित वोट बैंक भी अब पूरी तरह उनके साथ खड़ा नहीं दिख रहा है।
कांग्रेस की बात करें तो कोई दल कांग्रेस के साथ गठबंधन को तैयार नहीं है। पार्टी संगठन भी पूरी तरह बिखरा हुआ है, जिससे कांग्रेस ने अकेले चुनाव में उतरने की घोषणा की है। कांग्रेस की उम्मीद केवल प्रियंका गांधी पर टिकी हैं। दांव पर लगी साख को बचाने के लिये प्रियंका गांधी ने भी जुलाई से लखनऊ में डेरा डालने की तैयारी कर रही हैं।
इधर समाजवादी पार्टी आरएलडी से समझौते की बात पर मुहर लगा चुकी है और छोटे -छोटे दलों पर डोरे डाल रही है। मल्लाह समुदाय के नेता राजभर जो भाजपा के साथ थे। सपा के पाले में खड़े होते दिख रहे हैं। मुस्लिम मतदाताओं को अपनी तरफ खींचने के लिए कांग्रेस ,सपा और बसपा में खींचतान जारी है।