लखनऊः भारतीय जनता पार्टी समर्थित समाजवादी पार्टी के बागी विधायक नितिन अग्रवाल उत्तर प्रदेश विधानसभा के उपाध्यक्ष चुने गए हैं। भारतीय जनता पार्टी ने सपा के बागी विधायक नितिन अग्रवाल को समर्थन दिया है। अग्रवाल ने सपा उम्मीदवार नरेंद्र वर्मा को हराया।
विधानसभा अध्यक्ष ह्रदय नारायण दीक्षित ने बताया कि कुल 368 सदस्यों ने मतदान किया जिसमें से 364 मत वैध पाये गये। इसमें से नितिन अग्रवाल को 304 तथा नरेंद्र वर्मा को 60 मत मिले । इससे पहले लगभग 11.45 बजे मतदान शुरू हुआ जो दोपहर तीन बजे तक चला और करीब चार बजे परिणाम घोषित हुआ।
विपक्षी बसपा और कांग्रेस के विधायकों ने चुनाव का बहिष्कार किया। तीसरे कार्यकाल के विधायक नितिन अग्रवाल राज्य के पूर्व मंत्री नरेश अग्रवाल के बेटे हैं, जिन्होंने हाल ही में समाजवादी पार्टी से भाजपा का दामन थामा है। वह पूववर्ती समाजवादी पार्टी की अखिलेश यादव सरकार में मंत्री थे। परंपराओं के अनुसार, प्रमुख विपक्षी दल के एक विधायक को विधानसभा का उपाध्यक्ष बनाया जाता है।
मतदान शुरू होने से पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने संसदीय परंपरा को तोड़ने का आरोप लगाते हुये सदन से बहिर्गमन किया। विधानसभा में बसपा के 16 विधायक हैं। कांग्रेस ने भी चुनाव प्रक्रिया का बहिष्कार करने का फैसला किया है और उसके पास सात विधायक हैं।
नितिन अग्रवाल के पिता एवं पूर्व सांसद नरेश अग्रवाल 2019 के लोकसभा चुनाव से पहले सपा छोड़कर भाजपा में शामिल हो गये थे। उत्तर प्रदेश की 403 सदस्यीय विधानसभा में इस समय भाजपा के 304 सदस्य हैं लिहाजा नितिन का विधानसभा उपाध्यक्ष चुना जाना तय था।
सदन में सपा के 49, बसपा के 16, अपना दल के नौ, कांग्रेस के सात, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के चार और तीन निर्दलीय, दो असंबद्ध सदस्य, राष्ट्रीय लोकदल और निर्बल इंडियन शोषित हमारा आम दल के एक-एक सदस्य हैं। उत्तर प्रदेश में विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव 14 वर्षों बाद हुआ है। भाजपा के राजेश अग्रवाल को इस पद के लिए जुलाई 2004 में निर्विरोध चुना गया था और उनका कार्यकाल मई 2007 तक था। इसके बाद, विधानसभा उपाध्यक्ष का चुनाव नहीं हुआ था।