बायो-डिकंपोजर का पराली प्रबंधन में उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया:केजरीवाल

By भाषा | Updated: September 13, 2021 16:32 IST2021-09-13T16:32:13+5:302021-09-13T16:32:13+5:30

Use of bio-decomposer found to be highly effective in stubble management: Kejriwal | बायो-डिकंपोजर का पराली प्रबंधन में उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया:केजरीवाल

बायो-डिकंपोजर का पराली प्रबंधन में उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया:केजरीवाल

नयी दिल्ली, 13 सितंबर दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने सोमवार को कहा कि दिल्ली में एक केंद्रीय एजेंसी द्वारा किए गए एक ऑडिट में पराली प्रबंधन में पूसा बायो-डिकंपोजर का उपयोग अत्यधिक प्रभावी पाया गया है जो एक माइक्रोबियल घोल है। केजरीवाल ने साथ ही केंद्र से आग्रह किया कि वह पड़ोसी राज्यों से इसे किसानों को मुफ्त में वितरित करने के लिए कहे।

दिल्ली सरकार ने भारतीय कृषि अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों द्वारा तैयार किए गए घोल के साथ पिछले साल यहां प्रयोग किया था। साथ ही इसकी प्रभावशीलता का पता लगाने के लिए विकास विभाग द्वारा एक सर्वेक्षण भी करवाया गया था।

उन्होंने कहा कि 39 गांवों के किसानों ने पराली को खाद में बदलने के लिए 1,935 एकड़ जमीन पर बायो-डिकंपोजर का इस्तेमाल किया था।

केजरीवाल ने एक ऑनलाइन संवाददाता सम्मेलन कहा, ‘‘परिणाम उत्साहजनक थे। हमने सर्वेक्षण रिपोर्ट के साथ केंद्र के वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (सीएक्यूएम) से संपर्क किया ताकि इसे अन्य राज्यों में भी लागू किया जा सके। आयोग ने हमें किसी तीसरे पक्ष द्वारा ऑडिट कराने के लिए कहा।’’

दिल्ली सरकार ने ऑडिट करने के लिए केंद्रीय जल मंत्रालय की एक सलाहकार कंपनी डब्ल्यूएपीसीओएस को लगाया। एजेंसी ने सर्वेक्षेण में चार जिलों के 15 गांवों के 79 किसानों को शामिल किया।

केजरीवाल ने कहा, ‘‘केंद्रीय एजेंसी ने अपनी रिपोर्ट में स्पष्ट रूप से कहा है कि दिल्ली के किसान बायो-डिकंपोजर के इस्तेमाल से खुश हैं। परिणाम बहुत उत्साहजनक हैं।’’

उन्होंने कहा कि नब्बे प्रतिशत किसानों ने दावा किया कि घोल 15-20 दिनों में पराली को खाद में बदल देता है। उन्होंने कहा कि साथ ही मिट्टी में कार्बन की मात्रा 40 फीसदी, नाइट्रोजन 24 फीसदी, बैक्टीरिया सात गुना और फंगस तीन गुना बढ़ गया। मुख्यमंत्री ने कहा कि गेहूं के अंकुरण में भी 17-20 प्रतिशत की वृद्धि हुई।

उन्होंने कहा, ‘‘लगभग 50 प्रतिशत किसानों ने स्वीकार किया कि बायो-डिकंपोजर के उपयोग से उर्वरक डायमोनियम फॉस्फेट की खपत 46 किलोग्राम प्रति एकड़ से घटकर लगभग 40 किलोग्राम प्रति एकड़ हो गई और गेहूं का उत्पादन 8 प्रतिशत बढ़ गया।’’

केजरीवाल ने कहा कि अक्टूबर में पड़ोसी राज्यों द्वारा पराली जलाना दिल्ली में वायु प्रदूषण के उच्च स्तर के पीछे एक प्रमुख कारक है। केजरीवाल ने कहा, ‘‘किसानों की गलती नहीं है। सरकारों की गलती है क्योंकि उन्हें समाधान पेश करना था।’’ उन्होंने कहा कि दिल्ली के पास समस्या का एक समाधान है।

उन्होंने कहा, ‘‘हम केंद्र से अपील करते हैं कि वह राज्यों से कहे कि वे किसानों को पराली जलाने से रोकने के लिए बायो-डिकंपोजर मुफ्त में बांटें।’’

केजरीवाल ने कहा कि वह ऑडिट रिपोर्ट के साथ केंद्रीय पर्यावरण मंत्री से मुलाकात करेंगे और मामले में उनके निजी हस्तक्षेप का अनुरोध करेंगे।

पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्री प्रकाश जावड़ेकर ने पिछले साल कहा था कि पूसा बायो-डीकंपोजर को पंजाब, हरियाणा और उत्तर प्रदेश के कुछ इलाकों में आजमाया जाएगा और अगर यह तकनीक सफल पाई जाती है, तो इसे और क्षेत्रों में विस्तारित किया जाएगा।

किसानों का कहना है कि धान की कटाई और गेहूं की बुवाई के बीच 10-15 दिनों की एक छोटी अवधि होती है और वे पराली इसलिए जलाते हैं क्योंकि यह पराली के प्रबंधन और अगली फसल के लिए अपने खेत को तैयार करने का एक सस्ता और समय बचाने वाला तरीका है।

पिछले साल, 1 नवंबर को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी बढ़कर 40 प्रतिशत हो गई थी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Web Title: Use of bio-decomposer found to be highly effective in stubble management: Kejriwal

भारत से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे