लाइव न्यूज़ :

अमेरिका ने किसान संबंधी मुद्दे के समाधान के लिए वार्ता का आह्वान किया

By भाषा | Updated: February 4, 2021 20:23 IST

Open in App

नयी दिल्ली/वाशिंगटन, चार फरवरी भारत में जारी किसान आंदोलन पर अपनी पहली प्रतिक्रिया में अमेरिका के नए प्रशासन ने बृहस्पतिवार को कहा कि वह दोनों पक्षों के बीच वार्ता के जरिए मतभेदों के समाधान को प्रोत्साहित करता है। इसके साथ ही इसने भारत सरकार के कदमों का समर्थन करते हुए कहा कि इनसे भारतीय बाजारों की क्षमता में सुधार हो सकता है तथा व्यापक निवेश आकर्षित हो सकता है।

अमेरिका ने यह भी कहा कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन और इंटरनेट तक निर्बाध पहुंच किसी भी ‘‘सफल लोकतंत्र’’ की ‘‘विशेषता’’ हैं।

दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के प्रदर्शन से संबंधित सवालों के जवाब में अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने वाशिंगटन में और अमेरिकी दूतावास ने दिल्ली में ये टिप्पणियां कीं।

अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हम मानते हैं कि शांतिपूर्ण प्रदर्शन किसी भी सफल लोकतंत्र की विशेषता हैं और उल्लेख करते हैं कि भारत के उच्चतम न्यायालय ने भी यही कहा है। हम पक्षों के बीच किसी भी मतभेद का समाधान वार्ता के जरिए करने को प्रोत्साहित करते हैं।’’

इसी तरह का बयान वाशिंगटन में अमेरिकी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने दिया।

उन्होंने कहा, ‘‘अमेरिका उन कदमों का स्वागत करता है, जिससे भारत के बाजारों की क्षमता में सुधार होगा और निजी क्षेत्र की कंपनियां व्यापक निवेश के लिए आकर्षित होंगी।’’

प्रदर्शन स्थलों पर इंटरनेट संबंधी प्रतिबंधों के बारे में अमेरिकी दूतावास के प्रवक्ता ने कहा, ‘‘हमारा मानना है कि इंटरनेट सहित सूचना तक निर्बाध पहुंच अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की बुनियाद है तथा किसी सफल लोकतंत्र की विशेषता है।’’

भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से इस बारे में तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आई है।

अमेरिका के नए प्रशासन की ओर से टिप्पणियां ऐसे समय आई हैं जब अमेरिकी पॉप गायिका रिहाना और जलवायु कार्यकर्ता ग्रेटा थनबर्ग ने अपने ट्वीट के जरिए दिल्ली की सीमाओं पर तीन नए कृषि कानूनों के विरोध में प्रदर्शन कर रहे किसानों को समर्थन दिया है।

भारतीय विदेश मंत्रालय ने किसानों के प्रदर्शन पर अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया पर बुधवार को कड़ी आपत्ति जताई थी। भारत ने कहा था कि देश की संसद ने ‘‘सुधारवादी कानून’’ पारित किया है, जिसपर ‘‘किसानों के एक बहुत ही छोटे वर्ग’’ को कुछ आपत्तियां हैं और वार्ता पूरी होने तक कानूनों पर रोक भी लगाई गई है।

इस बीच, कई अमेरिकी सांसदों ने भारत में किसानों का समर्थन किया है।

सांसद हैली स्टीवेंस ने कहा, ‘‘भारत में नए कृषि कानूनों के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे प्रदर्शनकारियों पर कार्रवाई की खबर से चिंतित हूं।’’

उन्होंने एक बयान में प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार और प्रदर्शनकारी किसानों के प्रतिनिधियों को सकारात्मक बातचीत के लिए प्रोत्साहित किया।

अन्य सांसद इलहान उमर ने भी प्रदर्शनकारी किसानों के प्रति एकजुटता दिखाई।

किसानों के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए उपराष्ट्रपति कमला देवी हैरिस की भांजी मीना हैरिस ने आरोप लगाया कि दुनिया का सबसे बड़ा लोकतंत्र अभी खतरे में है।

‘सिख्स पॉलिटिकल एक्शन कमेटी’ के अध्यक्ष गुरिंदर सिंह खालसा ने एक बयान में कहा, ‘‘ऐतिहासिक किसान आंदोलन भारत सरकार की पूंजीवादी व्यवस्था के खिलाफ सबसे बड़ी क्रांति’’ बनने जा रहा है।

अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) ने भी हाल ही में कहा था कि भारत के नए कृषि कानूनों में कृषि क्षेत्र में सुधार की दिशा में ‘‘उल्लेखनीय कदम’’ उठाने की क्षमता है।

भारत के विदेश मंत्रालय ने कहा था कि विरोध प्रदर्शन के बारे में टिप्पणी करने की जल्दबाजी से पहले तथ्यों की जांच-परख की जानी चाहिए।

विदेश मंत्रालय ने अपने बयान में कहा, ‘‘खास तौर पर मशहूर हस्तियों एवं अन्य द्वारा सोशल मीडिया पर हैशटैग और टिप्पणियों को सनसनीखेज बनाने की ललक न तो सही है और न ही जिम्मेदाराना है।’’

इसने कहा, ‘‘ हम इस बात पर जोर देना चाहते हैं कि इन प्रदर्शनों को भारत के लोकतांत्रिक आचार और राज्य-व्यवस्था के संदर्भ में तथा संबंधित किसान समूहों से गतिरोध दूर करने के सरकार के प्रयासों के संदर्भ में देखा जाना चाहिए।’’

कृषि कानूनों को निरस्त करने, फसलों के लिए न्यूनतम समर्थन मूल्य पर कानूनी गारंटी देने तथा दो अन्य मुद्दों को लेकर हजारों किसान दिल्ली की अलग-अलग सीमाओं पर डटे हुए हैं।

इस साल सितंबर में अमल में आए तीनों कानूनों को भारत सरकार ने कृषि क्षेत्र में बड़े सुधार के तौर पर पेश किया है। उसका कहना है कि इन कानूनों के आने से बिचौलियों की भूमिका खत्म हो जाएगी और किसान अपनी उपज देश में कहीं भी बेच सकेंगे।

दूसरी तरफ, प्रदर्शन कर रहे किसान संगठनों का कहना है कि इन कानूनों से एमएसपी का सुरक्षा कवच खत्म हो जाएगा और मंडियां भी खत्म हो जाएंगी तथा खेती बड़े कॉरपोरेट समूहों के हाथ में चली जाएगी।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

Open in App

संबंधित खबरें

भारतगोवा अग्निकांड पर पीएम मोदी और राष्ट्रपति ने जताया दुख, पीड़ितों के लिए मुआवजे का किया ऐलान

भारतGoa Fire Accident: अरपोरा नाइट क्लब में आग से 23 लोगों की मौत, घटनास्थल पर पहुंचे सीएम सावंत; जांच के दिए आदेश

भारतगोवा के नाइट क्लब में सिलेंडर विस्फोट में रसोई कर्मचारियों और पर्यटकों समेत 23 लोगों की मौत

पूजा पाठPanchang 07 December 2025: जानें आज कब से कब तक है राहुकाल और अभिजीत मुहूर्त का समय

पूजा पाठAaj Ka Rashifal 07 December 2025: आज इन 3 राशियों के लिए दिन रहेगा चुनौतीपूर्ण, वित्तीय नुकसान की संभावना

भारत अधिक खबरें

भारतEPFO Rule: किसी कर्मचारी की 2 पत्नियां, तो किसे मिलेगी पेंशन का पैसा? जानें नियम

भारतरेलवे ने यात्रा नियमों में किया बदलाव, सीनियर सिटीजंस को मिलेगी निचली बर्थ वाली सीटों के सुविधा, जानें कैसे

भारतकथावाचक इंद्रेश उपाध्याय और शिप्रा जयपुर में बने जीवनसाथी, देखें वीडियो

भारत2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव, 2025 तक नेता प्रतिपक्ष नियुक्त नहीं?, उद्धव ठाकरे ने कहा-प्रचंड बहुमत होने के बावजूद क्यों डर रही है सरकार?

भारतजीवन रक्षक प्रणाली पर ‘इंडिया’ गठबंधन?, उमर अब्दुल्ला बोले-‘आईसीयू’ में जाने का खतरा, भाजपा की 24 घंटे चलने वाली चुनावी मशीन से मुकाबला करने में फेल