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धनशोधन मामले में महबूबा की याचिका स्थानांतरित करने का शीर्ष अदालत से आग्रह किया: केंद्र ने उच्च न्यायालय को बताया

By भाषा | Updated: October 27, 2021 15:27 IST

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नयी दिल्ली, 27 अक्टूबर केंद्र ने बुधवार को दिल्ली उच्च न्यायालय को सूचित किया कि उसने उच्चतम न्यायालय से पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (पीडीपी) की नेता महबूबा मुफ्ती की उस याचिका को स्थानांतरित करने का आग्रह किया है जिसमें धनशोधन रोकथाम अधिनियम के एक प्रावधान को चुनौती दी गई है।

केंद्र की ओर से पेश वकील ने मुख्य न्यायाधीश डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ को बताया कि स्थानांतरण याचिका के शीर्ष अदालत के समक्ष एक सप्ताह के भीतर-29 अक्टूबर को सुनवाई के लिए आने की संभावना है।

इसके बाद, उच्च न्यायालय ने मामले में अगली सुनवाई के लिए 23 दिसंबर की निर्धारित कर दी।

केंद्र ने पहले अदालत को बताया था कि धनशोधन रोकथाम अधिनियम के विभिन्न प्रावधानों और योजना से संबंधित कई याचिकाएं उच्चतम न्यायालय में लंबित हैं और मामला एक विशेष पीठ को सौंपा गया है तथा पक्षों ने कुछ प्रश्नों का आदान-प्रदान किया है, जिनमें से एक प्रश्न वह भी है जो इस याचिका में है।

केंद्र ने कहा था कि वह एक स्थानांतरण याचिका दायर करना चाहता है ताकि इन मामलों को एक साथ सूचीबद्ध किया जा सके।

इसने कहा था कि उच्चतम न्यायालय के समक्ष सवालों में धनशोधन रोकथाम अधिनियम के तहत जांच शुरू करने से संबंधित मुद्दे शामिल हैं।

जम्मू-कश्मीर की पूर्व मुख्यमंत्री ने मार्च में दायर अपनी याचिका में संबंधित कानून की धारा 50 को अमान्य और निष्क्रिय घोषित करने का आग्रह करते हुए कहा था कि यह अनुचित रूप से भेदभावपूर्ण, सुरक्षा उपायों से रहित है और संविधान के अनुच्छेद 20 (3) का उल्लंघन करती है।

अधिनियम की धारा 50 प्राधिकार, यानी प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) के अधिकारियों को किसी भी व्यक्ति को सबूत देने या रिकॉर्ड पेश करने के लिए तलब करने का अधिकार देती है। तलब किए गए सभी व्यक्ति उनसे पूछे गए प्रश्नों का उत्तर देने और ईडी अधिकारियों के लिए जरूरी आवश्यक दस्तावेजों को प्रस्तुत करने के लिए बाध्य हैं। ऐसा नहीं करने पर उन्हें अधिनियम के तहत दंडित किया जा सकता है।

महबूबा ने धनशोधन के एक मामले में ईडी द्वारा उन्हें समन जारी किए जाने को भी चुनौती दी है और इस पर रोक लगाने का आग्रह किया है जिसे पूर्व में अदालत ने खारिज कर दिया था।

अनुच्छेद 370 की समाप्ति के साथ जम्मू-कश्मीर का विशेष दर्जा खत्म होने के बाद एक साल से अधिक समय तक हिरासत में रहीं 61 वर्षीय महबूबा को राष्ट्रीय राजधानी में ईडी मुख्यालय में पेश होने के लिए नोटिस जारी किया गया था।

शुरुआत में ईडी ने मुफ्ती को 15 मार्च को तलब किया था, लेकिन उस समय उसने उनके व्यक्तिगत तौर पर पेश होने पर जोर नहीं दिया था। इसके बाद उन्हें 22 मार्च को तलब किया गया था।

इससे पहले, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता और ईडी का प्रतिनिधित्व करने वाले अधिवक्ता अमित महाजन ने कहा था कि उन्हें औपचारिक नोटिस जारी करने की कोई आवश्यकता नहीं है क्योंकि वे पहले से ही अदालत के समक्ष पेश हो रहे हैं। उन्होंने कहा था कि वे कानून के सवाल पर एक संक्षिप्त नोट दाखिल करेंगे।

Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।

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