यूपी के धर्मांतरण रोधी कानून के तहत पहली सजा, कानपुर के युवक को 10 साल की जेल और 30 हजार रुपये का जुर्माना

By विशाल कुमार | Updated: December 22, 2021 10:30 IST2021-12-22T10:28:28+5:302021-12-22T10:30:23+5:30

यह मामला मई, 2017 का है जिसमें आरोप लगाया गया था कि जावेद नाम के एक युवक ने खुद को मुन्ना बताकर लड़की से मिला था और शादी का वादा किया था. इसके बाद दोनों घर से भाग गए थे। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज करते हुए अगले ही दिन लड़के को गिरफ्तार कर लिया था।

up anti conversion law first sentenced kanpur youth 10 years jail 30k fined | यूपी के धर्मांतरण रोधी कानून के तहत पहली सजा, कानपुर के युवक को 10 साल की जेल और 30 हजार रुपये का जुर्माना

यूपी के धर्मांतरण रोधी कानून के तहत पहली सजा, कानपुर के युवक को 10 साल की जेल और 30 हजार रुपये का जुर्माना

Highlightsफरवरी में लागू किए गए धर्मांतरण रोधी कानून के तहत सजा सुनाने का पहला मामला।जावेद नाम के युवक पर खुद को मुन्ना बताकर लड़की से मिलने का आरोप।इस कानून के तहत अब तक कुल 108 मामलों में 162 लोगों पर केस दर्ज किए गए हैं।

नई दिल्ली:उत्तर प्रदेश में इस साल फरवरी में लागू किए गए धर्मांतरण रोधी कानून के तहत सजा सुनाने के पहले मामले में कानपुर के एक युवक को 10 साल की जेल की सजा और 30 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है।

यह मामला मई, 2017 का है जिसमें आरोप लगाया गया था कि जावेद नाम के एक युवक ने खुद को मुन्ना बताकर लड़की से मिला था और शादी का वादा किया था. इसके बाद दोनों घर से भाग गए थे। पुलिस ने इस मामले में केस दर्ज करते हुए अगले ही दिन लड़के को गिरफ्तार कर लिया था।

लड़की ने कथित तौर पर पुलिस को बताया था कि जब वह अपने पति के घर पहुंची, तो उसने अपनी पहचान बताई और उससे निकाह करने के लिए कहा, जिससे उसने मना कर दिया। उसने युवक पर दुष्कर्म करने का भी आरोप लगाया। इसके बाद पॉक्सो के तहत मामला दर्ज करते हुए युवक को जेल भेज दिया गया।

बता दें कि, उत्तर प्रदेश में 24 फरवरी, 2021 को अवैध धर्मांतरण के खिलाफ ‘उत्तर प्रदेश विधि विरुद्ध धर्म संपरिवर्तन प्रतिषेध विधेयक 2021’ नाम से कानून लागू हुआ था। राज्यपाल आनंदीबेन पटेल ने नवंबर, 2020 में अध्‍यादेश को मंजूरी दी थी।

इसमें बहला-फुसला कर, जबरन, छल-कपट कर, लालच देकर या विवाह के लिए एक धर्म से दूसरे धर्म में किया गया परिवर्तन गैरकानूनी माना गया है। ऐसा करने पर अधिकतम 10 साल की सजा का प्रावधान है। साथ ही 25 हजार रुपए जुर्माना भी होगा।

इसे गैर जमानती संज्ञेय अपराध की श्रेणी में रखने और उससे संबंधित मुकदमे को प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के न्यायालय में विचारणीय बनाए जाने का प्रावधान किया गया है।

108 मामलों में 162 लोगों पर केस दर्ज

उत्तर प्रदेश पुलिस ने इस कानून के तहत अब तक कुल 108 मामलों में 162 लोगों पर केस दर्ज किए हैं। उत्तर प्रदेश में पहला मामला कानून लागू होने के चार दिन बाद बरेली में दर्ज किया गया था।

यूपी में सबसे ज्यादा मामले बरेली जोन (28), मेरठ जोन (23), गोरखपुर जोन (11), लखनऊ जोन (नौ) और आगरा जोन (नौ) में दर्ज किए गए हैं। प्रयागराज और गौतम बौद्ध नगर दोनों सात-सात हैं, जबकि वाराणसी और लखनऊ छह मामलों में हैं। कानपुर में ऐसे केवल दो मामले दर्ज हैं।

यूपी की तर्ज पर कई अन्य राज्यों में लाया गया है कानून

उत्तर प्रदेश की तर्ज पर ही मध्य प्रदेश, हरियाणा और गुजरात जैसे भाजपा शासित राज्यों में भी ऐसा ही कानून लागू किया गया है. वहीं, बीते मंगलवार को कर्नाटक की भाजपा सरकार ने भी विधानसभा में इस संबंध में एक विधेयक पेश किया।

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