जोधपुर (राजस्थान), 28 मार्च केन्द्रीय मंत्री और भाजपा नेता गजेंद्र सिंह शेखावत ने पिछले साल राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस के भीतर बगावत के बीच नेताओं के फोनों को कथित रूप से टैप कराये जाने के मामले की जांच कराने की रविवार को मांग की। उन्होंने कहा कि जो भी दोषी पाया जाये, उसके खिलाफ मुकदमा चलाया जाना चाहिए।
केन्द्रीय जलशक्ति मंत्री ने कहा कि यह प्रकरण जन प्रतिनिधियों और राज्य के लोगों की गोपनीयता पर एक हमला था।
शेखावत ने यहां पत्रकारों से कहा कि उन्होंने अशोक गहलोत के नेतृत्व वाली राज्य सरकार द्वारा उन्हें निशाना बनाये जाने और राज्य के विशेष अभियान दल (एसओजी) द्वारा उनके खिलाफ राजद्रोह का मामला दर्ज करने के खिलाफ दिल्ली पुलिस में एक शिकायत दर्ज कराई थी।
उन्होंने कहा, ‘‘हैरानी की बात है कि एक केंद्रीय कैबिनेट मंत्री के खिलाफ राजद्रोह के लिए एक मामला दर्ज किया गया था, जिसमें आरोप लगाया गया था कि राज्य सरकार को सत्ता से बेदखल करने की कोशिश की जा रही है और (इसे) 10 दिनों में वापस ले लिया गया।’’
मंत्री ने कहा, ‘‘मामला दर्ज करने के बाद भी, कई कांग्रेस नेताओं और मंत्रियों ने कहा कि गजेंद्र सिंह अपनी आवाज के नमूने नहीं दे रहे हैं। मैं पूछना चाहता हूं कि वे किस मामले में मेरी आवाज के नमूने चाहते थे जबकि जिस मामले का उन्होंने उल्लेख किया है वह पहले ही उनके द्वारा वापस ले लिया गया है।’’
शेखावत ने कहा, ‘‘मुख्यमंत्री, मुख्य सचिव और अतिरिक्त मुख्य सचिव (गृह) ने पहले दावा किया था कि कोई फोन टैपिंग कभी नहीं हुई थी, और अब राज्य के संसदीय कार्य मंत्री शांति धारीवाल ने विधानसभा में जवाब दिया कि रिकॉर्डिंग की गई थी लेकिन कानूनी रूप से।’’
पुलिस में शिकायत दर्ज कराने संबंधी अपने फैसले का बचाव करते हुए मंत्री ने कहा कि चूँकि ये आरोप ‘‘मेरे चरित्र हनन का प्रयास थे और मेरी मानसिक शांति भंग कर रहे थे, मैं चाहता था कि इन आरोपों की जांच हो और पता चले कि कोई फोन टैपिंग हुई या नहीं और इसमें क्या प्रक्रिया अपनाई गई।’’
उन्होंने यह भी पूछा कि यदि यह फोन टैपिंग कानूनी रूप से की गई थी तो यह मुख्यमंत्री के कार्यालय तक कैसे पहुंची और उनके विशेष कार्याधिकारी (ओएसडी) को यह कैसे मिल गई और इसे वायरल कर दिया।
राजस्थान के पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट तथा कांग्रेस के 18 अन्य विधायकों ने पिछले साल जुलाई में गहलोत नेतृत्व के खिलाफ बागी तेवर अपना लिये थे, जिसके बाद राज्य में राजनीतिक संकट खड़ा हो गया था। इस दौरान शेखावत तथा कांग्रेस नेताओं के बीच टेलीफोन पर हुई कथित बातचीत के ऑडियो क्लिप सामने आए थे और फोन टैपिंग विवाद पैदा हो गया था।
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